भगवान की वाणी को आधार मानकर आराधना करे - पूज्य श्री प्रवर्तक देव
स्वाद नहीं साधना का दीवाना बनना है - पूज्य श्री अभय मुनी
पेटलावद (मनीष कुमट) - अनादि काल से जीव संसार में परिभ्रमण कर रहा है और इसका मुख्य कारण कर्म है कर्म के बंध के कारण भव परंपरा तोड़ने के रास्ते बंद होते है, परन्तु भगवान ने अपनी अमृतवाणी में जो फरमाया है वह सुनकर जीव अपने कर्म क्षय कर सकता है और मोक्ष रूपी मार्ग पर आरूढ़ हो सकता है उक्त प्रेरक भरे वचन जिनशासन गौरव आचार्य भगवन पूज्य गुरुदेव श्री उमेश मुनि जी महाराज साहब के शिष्य आगम विशारद बुद्ध पुत्र धर्मदास गणनायक प्रमुख प्रवर्तक पूज्य गुरुदेव श्री जिनेन्द्र मुनी जी मा.सा. ने स्थानक भवन में आयोजित धर्मसभा में कहे आपने आगे बताया कि भगवान की अमृतवाणी में आलोचना को पूरा महत्व दिया गया है जो भी साधक भगवान की वाणी को आधार मानकर आलोचना करता है अपने गुरु के सामने समर्पण भाव से अपने दोषों को प्रकट करता है तो वह साधक मोक्ष के मार्ग पर आगे बढ़ता है आत्मा शुद्ध बनती है भगवान ने कदम कदम पर आलोचना के निर्देश दिए है
पूज्य श्री अभय मुनी जी मा.सा. ने धर्म सभा बताया की मध्य प्रमाद इतना खतरनाक होता है कि यह विपुल (अधिक मात्रा) में कर्म का बंध करता है हमे मध्यप्रमाद का त्याग करना है आत्मा में जागृति लाना है ट्रव्यो पर कंट्रोल करना है स्वाद नहीं साधना का दीवाना बनना है तभी साधना के शिखर पुरुष बनेंगे
नवयुवको द्वारा रात्रि में स्वर की आराधना हो रही है करीब 13 से 15 नवयुवक यह आराधना कर रहे है धर्म सभा में रतलाम के नवयुवक मण्डल के सदसयों द्वारा स्तवन प्रस्तुत किया गया 51 एकासन करने वाले काजू विजय जी मेहता का बहुमान विशाल पटवा ने किया साथ ही दया का मासखमन करने वाले श्री मती संतोष भंडारी का बहुमान श्री मती राजल मेहता ने एकासन से किया| रविवार दोपहर में पाठशाला का आयोजन भी हुआ जिसमें 65 बच्चो ने अपनी उपस्थिति दर्ज करवाई सभा का संचालन राजेन्द्र जी कटकानी ने किया
Tags
jhabua