बारिश के बीच ग्रामीणों को करना पड़ा शव का अंतिम संस्कार, कपड़े की आड़ कर किया गया शव का अंतिम संस्कार, तेज बारिश से बार-बार बुझती रही चिता की आग, प्रशासनिक अव्यवस्था ओर लापरवाही की खुली पोल
झाबुआ (मनीष कुमट) - शासन द्वारा गरीब आदिवासी समुदाय के लिए लाखो-करोड़ो रुपये की योजनाए संचालित की जा रही है, जिससे ग्रामीणों को मुख्यधारा जोड़कर उन्हें हर सुविधा का लाभ दिया जा सके। किन्तु आदिवासी बाहुल्य झाबुआ जिले की यह तस्वीर देखकर आप हेरान हो जायेगे की करोड़ो रूपये की योजनाओं को संचालित करने के बाद भी एक गरीब परिवार के व्यक्ति के शव को सम्मान नही मिल सका। ओर किन स्थितियों में शव का अंतिम संस्कार किया गया।
मामला - ग्राम पंचायत गामड़ी के गोपालपूरा का है। जंहा पंचायत द्वारा मुक्तिधाम का अधूरा निर्माण कर उसे छोड़ दिया गया। मुक्तिधाम का जितना निर्माण किया गया है भी घटिया रूप से किया गया है। मुक्तिधाम की सीट बनाकर छोड़ दी गई किन्तु अब तक वहां छत नही डाली गई, जिससे ग्रामीणों को बारिश के दिनों में शव का अंतिम संस्कार करने में काफी समस्यों का सामना करना पड़ रहा है।
हाल ही में गोपालपुरा गांव के रहने वाले मड़ियाल मकवाना की मृत्यु हो गई, जिसके शव को अंतिम संस्कार हेतु गांव में अधूरे पड़े मुक्तिधाम पर ले जाया गया। जंहा तेज बारिश के चलते शव का अंतिम संस्कार करने में ग्रामीणों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा, बारिश की वजह से अंतिम संस्कार के दौरान कई बार तो चिता बुझ गई। बारिश हल्की होने के साथ कपड़े की आड़ में शव का अंतिम संस्कार किया जा सका। पूरे घरनाक्रम में एक म्रतक के शव को सम्मान नही मिल सका, जिसका सीधे सीधे जिम्मेदार ग्राम पंचायत है। जो भोले-भाले ग्रामीणों को गुमराह कर उनके हक को उनसे छीन रही है। ग्रामीण खूना पगी, गुड़िया मकवाना, राजू कटारा, मुन्ना डामर, देवचंद मकवाना, कमलेश, बामनिया, दिनेश मकवाना आदि ने बताया की गाँव मे अगर कोई मोत हो जाती है, तो हमे बारिश के दिनों में काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है, मुक्तिधाम की छत नही होने से शव के अंतिम संस्कार के दौरान चिता कई बार बुझ जाती है, जिससे शव को मिलने वाला सम्मान हम नही दे पाते है। पंचायत द्वारा मुक्तिधाम का अधूरा निर्माण किया है जिसकी स्थिति भी बेहद खराब है।
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