बारिश, बारिश और बारिश ने तोड़े रिकॉर्ड, मूसलाधार बारिश से अंचल हुआ तरबतर
झाबुआ (अली असगर बोहरा) - पानी कुदरत का इंसानों को अनमोल तोहफा दिया है, इसलिए पानी को अमृत कहा गया है। पानी की एहमियत गरमी के मौसम में पता चलती है, तो वहीं उपवास व रोजे के समय पानी की एक बंूद की कद्र का पता चलता है। पानी नायब है और पानी इंसानी जिंदगी के लिए बहुत ही अहम है। पानी इतना अहम है कि उसकी विशेषता और उसके फायदे हम नहीं लिख सकते। हाल फिलहाल बारिश का सीजन चल रहा है और सत्र में बारिश भी जमकर बरसी है और आशा के विपरीत कुदरत ने इंसानों को इस वर्ष पानी भरपूर मात्रा में दिया है। औसतन बारिश की हम झाबुआ जिले की बात करे तो 1200 मिमी बारिश दर्ज हो चुकी है और अच्छी बारिश है अभी बारिश का करीब आधा माह का सीजन और है और ऐसे में अंदाजा लगाया जा सकता है कि बारिश इस सत्र में औसतन से कहीं अधिक गुना रहेगी। झाबुआ जिले में पिछले चार दिनों से कभी रुक-रुक कर तो कभी मूसलाधार तेज बारिश से अंचल को तरबतर कर दिया है। नदी, नाले, तालाब, कुएं लबालब भर चुके हैं और नदियों की हालत तो यह है कि पिछले तीन दिनों से लगातार ओवरफ्लो बह रही है। वहीं हैंडपंप जो गरमी के दिनों में पानी बेहद कठिनाइयों से दे रहे थे वे हैंडपंप अब ऑटोमेटिक हो चुके हैं और वे भी पानी उगलने लगे हैं।
जलस्त्रोत हुए लबालब
पिछले चार दिनों की लगातार बारिश ने अपने 12 वर्षों के रिकॉर्ड को खंडित कर दिया है और ऐसे में झाबुआ जिले की सभी नदियां उफान पर है और रिकार्ड जल स्तर होने से नदियों को देखने का अपना ही मजा लोग ले रहे हैं। नदियों में पानी आना वैसे बहुत सुकून देने वाला दृश्य भी होता है। लगातार बारिश से तालाब, कुएं, भर चुके हैं और इसके विपरीत निरंतर बारिश से खेत भी अब नदियों की शक्ल लेने लगा है। खेतों में पानी भरने से कुछ हद तक फसलें खराब हुई है, तो वहीं लगातार बारिश से घटिया किस्म के बने तालाब फूट चुके हैं इसका उदाहरण थांदला के टिमरवानी में देखने को मिला है जहां करीब छह तालाब पहली ही बारिश नहीं झेल सके और फूट गए जिससे ग्रामीणों की फसलें व घरों के सामान को काफी नुकसान पहुंचा है।
बारिश लगातार होने से कई पशु बह चुके हैं तो नदियों में पानी अचानक आने से कई इंसानी जाने भी गई है। तो वहीं कुछ लोग मौज मस्ती व नहाने के कारण नदी-तालाबों में डूब चुके हैं। नदियों व तालाबों में रिकार्ड पानी के पश्चात भी नहाना कई युवाओं को भारी पड़ा है और इस बारिश के सीजन में कई लोगों की मौत हो चुकी है।
बारिश लगातार होने के चलते कच्चे घर ही नहीं वरन आरसीसी के पक्के भवनों ने भी जवाब दे दिया है और उनसे भी पानी रिसने लगा है तो कच्चे मकानों की हालात तो बद से बदतर हो चुकी है। एक रिकार्ड के मुताबिक इस वर्ष बारिश के सीजन चालू होने से अभी तक सैकड़ों कच्चे मकान ढह चुके हैं और कई मकान प्रतिदिन धराशायी हो रहे हैं। लेकिन मकान गिरने से कोई जनहानि नहीं हुई है लेकिन ग्रामीणों के कच्चे मकान गिरने से उनका आशियाना उजड़ गया है तो घरेलू सामान भी नष्ट हो गया है। और उन्हें अब शासन से आर्थिक क्षति की भरपाई का इंतजार है। इसी के साथ बारिश लगातार होने से कई पेड़ सड़कों पर गिर कर यातायात बाधित कर चुके हैं।
बारिश ने खोली घटिया निर्माण कार्यों की पोल
वैसे तो घटिया निर्माण कार्यों की गुणवत्ता जांचने के लिए अधिकारियों की टीमे होती है और वे इसकी मॉनिटरिंग भी करते हैं, लेकिन अगर जिम्मेदार आला अधिकारी जिले में हो रही तालाब, स्कूली-छात्रावास बिल्डिंगों और खासकर सड़कों की गुणवत्ता की जांच ठीक से नहीं कर पाते हैं या चूक जाते हैं तो इस बारिश ने उनकी इस चूक को इस वर्ष सुधार कर दिया है। अंचल में लगातार बारिश ने सरकारी स्कूलों, छात्रावास, कॉलेज भवनों के घटिया निर्माण की पोल खोल कर रख दी है और आरसीसी से निर्मित पक्की बिल्डिंग के छतों में से पानी रिस रहा है और स्कूलों की कक्षाओं में बैठे छात्रों को परेशानी में डाल रहा है। इसके अलावा जिलेभर में हुए सड़क निर्माण कार्यों की हालत तो बद से बदतर हो चुकी है और हर सड़क, पुलियाओं पर गड्ढे हो चुके हैं और अब सरकारी जांच एजेंसियों को चाहिए कि जो काम वे जांचने का इस वर्ष नहीं कर सके और वे काम अब बारिश ने कर दिया है तो ऐसे घटिया सरकारी निर्माण करने वाले ठेकेदारों व जिम्मेदारों पर कार्रवाई करे और उन ठेकेदारों को ब्लैकलिस्टेड करे जो घटिया निर्माण कर अपनी जेबे भर रहे हैं और रॉयल लाइफ जी रहे हैं। तो कम से कम बारिश घटिया निर्माण कार्यों और उनसे जुड़े लोगों के लिए इस बार वरदान साबित नहीं हो सकी है जबकि जिम्मेदार अधिकारियों को सेटिंग करने वाले ठेकेदार अब अपना सिर पकड़कर, अपना उतरा हुआ मुंह लिए इधर उधर फिर रहे हैं और कम से कम वे फिर से सेटिंग जमने में लगे हैं ताकि अगले वर्ष होने वाले फिर से निर्माण कार्य अपने हाथ में ले सके। अब देखना यह है कि क्या घटिया कार्य करने वाले ठेकेदार, जिम्मेदार अधिकारियों पर इस बार कलेक्टर साहब या सरकारी जांच एजेंसियां उन पर कार्रवाई करेगी या उनके लिए अगले वर्ष फिर से उन्हें ही कार्य सौंप देगी....?