अखिल भारतीय विराट कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया | Akhil bhartiya virat kavi sammelan ka ayojan kiya gaya

अखिल भारतीय विराट कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया

अखिल भारतीय विराट कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया

हमे गीता भी प्यारी है और हम कुरआन वाले है, हमारे दुश्मनों सुनलो, जरा औकात मे रहना, न टकराना कभी हमसे, हम हिन्दुस्तान वाले है

लोग क्यूं प्यार निभा करके तोड देते है, एक अनमोल रतन पाके छोड देते है, जैसी सशक्त रचनाओं ने श्रोताओं को देर रात्री तक बांधे रखा..

झाबुआ (अली असगर बोहरा) - सार्वजनिक गणेश मंडल राजवाडा चैक द्वारा शनिवार की रात्री 9-30 बजे से पैलेस गार्डन में अखिल भारतीय विराट कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया । समाज सेवी बृजेन्द्रशर्मा एवं सुरेशचन्द्र जैन पप्पु सेठ के सौजन्य से आयोजित अखिल भारतीय विराट कवि सम्मेलन में देश के मुर्धन्य साहित्यमणियों ने अपनी रचनाओं से रात्री 2 बजे तक श्रोताओं का भरपुर मनोंरजन किया । कवि सम्मेलन में सप्त कवियों ने श्रोताओं को देर तक बांधे रखा तथा सभी श्रोताओं का हास्य,व्यंग साहित्य, श्रृंगार एवं देशभक्ति की रचनाओं से सराबोर कर दिया । कवि सम्मेलन में पधारे सुरेन्द्र याग्वेन्द्र हास्य, बारा राजस्थान,संचालनकर्ता अशोक नागर हास्य, शाजापुर, विभासिंह श्रृगार एवं गीत गजल बनारस, डा. मुकेश गौतम लाफ्टर शो मुंबई, नैत्रहिन कवि अकबर ताज देशभक्ति, खंडवा, वीरेन्द्र चैरे हास्य पंधाना, एवं विष्णु विश्वास हास्य खाचरौद का गणेश मंडल के सरंक्षक विद्याराम शर्मा, डा. केके त्रिवेदी, राजेन्द्र अग्निहौत्री, नानालाल कोठारी, नीरजसिंह राठौर, रविराज राठौर, अजय रामावत, राजेन्द्र सोनी, हर्षभट्ट, लालु भाई, जितेन्द्र शाह, दौलत गोलानी, बण्टू अग्निहौत्री आदि ने पुष्पगुच्छो एवं मालाओं से स्वागत किया । 

अखिल भारतीय विराट कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया

कवि सम्मेलन की शुभारंभ सरस्वती वंदना से बनारस से आइ्र श्रीमती विभासिंह ने अपनी कविता ’’ विणा वाली जननी भवानी मां द्वार तोरे बेटी आई है, मोडो नही करूण नजरिया मां द्वारे तेरी बेटी आई है’’ से किया और तालिया बटोरी। इसके बाद खाचरोद से आये हास्य सम्राट विष्णु विश्वास ने ’’ अरे दिल वालों सोनिया से कहदों, संसद में फिर से मोदी आगया है, अटकते भटकते तीन सौ के पार लेके सरकार मोदी आगया है।’’ ने काफी तालिया बटोरी। पंधाना से पधारे कवि वीरेन्द्र चोरे ने अपनी रचना ’’ सारे हिन्दी बोलने वाले अग्रेज हो गये, अंग्रेजों की रफकापी के पेज हो गये ’’ उनकी अन्य हास्य रचनाओं जिसमे माहौल की विकृति और सभ्यता एवं संस्कृति पर सुनाई कवितायें काफी पसंद की गई ।

अखिल भारतीय विराट कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया

अगले कवि के रूप में देशभक्ति का जज्बा लिये खंडवा से आये राष्ट्रीय कवित अकबर ताज की रचना ’’ सभी रहमान वाले है, सभी भगवान वाले है । हमे गीता भी प्यारी है और हम कुरआन वाले है, हमारे दुश्मनों सुनलो, जरा औकात मे रहना, न टकराना कभी हमसे, हम हिन्द्रुस्तान वाले है’’ पर पूरा सदन तालियों से गुंज उठा । उनकी एक और रचना ’’ तेरी नापाक हरकत से हम कभी डर नही सकते, तुझे कश्मीर देदे ऐसा हरगिज कर नही सकते, जो अमर होते है पाते दर्जा शहीदों का, वतन पर कुर्बान होने वाले कभी मर नही सकते ।’’ को काफी पसंद किया गया । इसके अलावा भी उनकी आधा दज्रन से अधिक रचनाओं को काफी पसंद किया गया । श्रृंगार रस की सशक्त हस्ताक्षर विभासिंह ने अपनी रचना लोग क्यूं प्यार निभा करके तोड देते है, एक अनमोल रतन पाके छोड देते है, निभाना प्यार तो सीखों गुलाब फुलों से, जो टूटकर भी दो दिलों को जोड देते है ’’ तथा ’’ किसी पतझड से न पुछो बहार का तलब, संगे दिल समझा कब अश्कबार का मतलब, कृष्ण बन कर ही कोई जान पाया राधा को, मन का जोगी क्ष्या जाने प्यार का मतलब ’’ को खुब तालिया मिली । मुबई से आये लाफ्टर डा. मुकेश गौतम ने अपनी हास्य रचना ये फेसबुक भी कमाल की चिज है, जिसने कालेज की बुक का फेस नही देखा, उसके फेसबुक पर अकाउंट एक सौ तीस है ’’ तथा बडा वो नही जो बडा होने का अभिमान करें, बडा वह है जो सबको साथ लेकर वले और सबका सम्मान करें ’’ को काफी पसंद किया गया । उनकी हास्य रचना एक कवि और कवियित्री ने आपस में शादउी रचाई, सुहागरात पर घुंघट उठाते ही दुल्हे ने दुल्हन ने पांच गीत, चार रूबाई , दोनो का कवि सम्मेलन रात भर चला, दोनों ने एक दुसरे को खुब दाद दी, दोनों को सुबह याद आया आज तो सुहाग रात थी’’ ने काफी तालिया बटोरी । बारा राजस्थान से आये हास्य कवि सुरेन्द्र याग्वेन्द की कविता ’’ कुछ देशो के तो बस झंडे पर ही है चान्द, भारत ने चांद पर ही झंडा गाड दिया ’’ तथा ’’ ज्ञान में भारत तो था पहले विश्व गुरू अब उसे विज्ञान में भी सबको पछाड दिया ’’ दोनो वक्त जितना खाता है पुरा पाकिस्तान, इतना तो हम हयां झुठा छोड देते है’’उनकी जेएनयु तथा हनुमन्थप्पा पर लिखी गंभीर कविता को भी काफी पसंद किया गया । शाजापुर से आये हास्य कवि अशोक नागर ने भी एक से बढ कर एक कवितायें सुनाई उनकी कविता ’’ मंबई के फिल्मी गीतकारों केकारण देश की तमाम मातायें परेशान हो गई, बाप मुन्नी की बदनामी के दाग धोने गया गया था, तब तक शीला जवान हो गई ’’ श्री नागर की साला जीजा पर लिखी मालवी कविता का श्रोताओं ने खुब आनन्द लिया । कार्यक्रम के पूर्व गणेश मंडल के पदाधिकारियों ने केन्द्रीय स्कूल झाबुआ के शिक्षक मनीष त्रिवेदी का सफल प्रश्नमंच कार्यक्रम संचालन के लिये शाल श्रीफल से अभिनंदन भी किया ।

कवि सम्मेलन के पूर्व कवि परिचय एवं कवियों तथा अतिथियों का सम्मान नीरजसिंह राठौर द्वारा किया गया तथा अन्त में आभार प्रदर्शन अजय रामावत द्वारा किया गया ।

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