22 साल से फरार आरोपी नही मिला तो दूसरे हमनाम को पकड़ ले गई बुरहानपुर पुलिस
81 दिन जेल में रहा निर्दोष, पत्नी द्वारा जबलपुर हाईकोर्ट में लगाई प्रत्यक्षीकरण याचिका, जांच के बाद हुआ खुलासा
जबलपुर हाईकोर्ट ने बुरहानपुर जिला न्यायाधीश की जांच रिपोर्ट देखने के बाद राज्य सरकार से किया जवाब तलब
क्यो न दिया जाए पीड़ित को 20 लाख का मुआवजा
बडवाह (गोविंद शर्मा) - बडवाह स्थित दशहरा मैदान निवासी 1997 से फरार आरोपी मायाराम तंवर को बकरा चोरी के मामले में पकड़ने में नाकाम रही बुरहानपुर पुलिस ने अपनी नाकामी को छुपाने के लिये आरोपी के बजाय हमनाम के निर्दोष मायाराम पिता सीताराम वर्मा निवासी मौलाना आजाद मार्ग बडवाह को बिना तथ्यों को जांचे 8 मई 2019 को पकड़कर न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत कर आरोपी बना दिया। जहाँ से उसे जैल भेज दिया गया। करीब 81 दिनों तक इस अपराध से कोषों दूर होने जे बाद भी निर्दोष जेल की सलाखों के पीछे रहा।
बुरहानपुर पुलिस ने सन 1997 में बकरा चोरी के आरोप में बड़वाह के मायाराम सीताराम तंवर निवासी दशहरा मैदान बडवाह को गिरफ्तार किया था।जहाँ उसे जमानत मिलने के बाद तारीखों पर न्यायालय में पेश नही होने से उसके खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किया था। पुलिस उसे 22 वर्षों तक खोजती रही लेकिन आरोपी नही मिला। विगत 8 मई 2019 को बुरहानपुर पुलिस ने मौलाना आज़ाद मार्ग बड़वाह के ही हमनाम निरपराध मयाराम सीताराम वर्मा को गिरफ्तार कर न्यायालय में मुख्य आरोपी बनाकर पेश कर दिया। पीड़ित ने अनेकबार कहा कि वो निरपराध निर्दोष है। लेकिन उसकी बात नही मानी गई और उसे जेल भेज दिया गया।
पत्नी रिंकू बाई ने अपने पति की रिहाई के लिये सीजेएम कोर्ट और एडीजे कोर्ट बुरहानपुर में जमानत का आवेदन लगाया लेकिन वहां भी पुलिस की झूठी दलीलों के चलते जमानत याचिका खारिज हो गई।पति के जैल जाने से परिवार में बच्चों के भूखे मरने की स्थिति को देखते हुए पत्नी रिंकू ने बड़वाह के वकील जोगेंद्र तिवारी और हाईकोर्ट के वकील श्री हितेश बिहरानी की मदद लेकर हाईकोर्ट में बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका लगाई। जिसे माननीय उच्च न्यायालय जबलपुर ने स्वीकार करते हुए बुरहानपुर जिला एवम सत्र न्यायाधीश को इस मामले की जांच सौंपी।
बुरहानपुर जिला सत्र न्यायाधीश की जांच रिपोर्ट के आधार पर उच्च न्यायालय के जस्टिस जेके माहेश्वरी ओर जस्टिस अंजुली पालो की युगल पीठ ने माना कि गिरफ्तार किया गया मयाराम सीताराम फरार आरोपी नही है। पुलिस ने दूसरे हमनाम को पेश किया है। रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि गिरफ्तार किए गए इस व्यक्ति के शरीर में मुख्य आरोपी के शरीर के दर्ज चिन्हों से मेल नही हो रहे हैं। माननीय न्यायालय ने 81 दिन जेल काटने के बाद 29 जुलाई को निर्दोष मयाराम सीताराम वर्मा को जमानत पर रिहा कर दिया है।
पीड़ित के वकील जोगेंद्र तिवारी ने बताया की निर्दोष को न्याय मिलने के बाद हमने न्यायालय से मांग की है कि बिना किसी अपराध के निर्दोष को 81 दिन जेल में रखने के बदले उसे 20 लाख की क्षति पूर्ति दी जाए। इस पर माननीय उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार को नोटिस जारी कर 17 सितंबर की तारीख तक जवाब पेश करने को कहा है।