दिल्ली हाईकोर्ट ने खारिज कि याचिका, वंदे मातरम को नहीं मिलेगा राष्ट्रगान के समान दर्जा

दिल्ली हाईकोर्ट ने खारिज कि याचिका, वंदे मातरम को नहीं मिलेगा राष्ट्रगान के समान दर्जा

दिल्ली हाईकोर्ट ने खारिज कि याचिका, वंदे मातरम को नहीं मिलेगा राष्ट्रगान के समान दर्जा

दिल्ली हाईकोर्ट ने राष्ट्रीय गीत 'वंदे मातरम' को राष्ट्रगान 'जन गण मन' के समान दर्जा देने का अनुरोध करने वाली याचिका शुक्रवार को खारिज कर दी। भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के नेता और अधिवक्ता अश्विनी कुमार उपाध्याय ने यह जनहित याचिका दायर की थी।

याचिका में सरकार को राष्ट्रीय गीत 'वंदे मातरम' को राष्ट्र गान 'जन गण मन' के समान दर्जा और सम्मान देने के लिये राष्ट्रीय बनाने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया था। मुख्य न्यायाधीश डी एन पटेल और न्यायमूर्ति सी हरि शंकर की पीठ ने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 226 के तहत अपने अधिकारों का प्रयोग करते हुए उसे इस याचिका की सुनवाई करने का कोई आधार नजर नहीं आता। पीठ ने कहा कि उसे इस संबंध में प्रतिवादी (केंद्र) को निर्देश देने का कोई कारण नजर नहीं आता। उपाध्याय ने याचिका में कहा था कि बंकिम चंद्र चटर्जी लिखित 'वंदे मातरम' को रबींद्रनाथ टैगोर की रचना एवं राष्ट्रगान 'जन गण मन' की तरह ही सम्मान दिया जाए।

उपाध्याय ने इसमें कहा था कि राष्ट्रीय गीत ने स्वतंत्रता संग्राम में महती भूमिका निभाई थी और पहली बार, 1896 में रवीन्द्र नाथ ठाकुर ने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अधिवेशन में राजनीतिक परिप्रेक्ष्य में इसका गायन किया था। याचिका में कहा गया था कि 'जन गण मन' और 'वंदे मातरम' को बराबर सम्मान देना होगा। 'जन गण मन' में जिन भावनाओं को व्यक्त किया गया है, उन्हें राष्ट्र को ध्यान में रखते हुए अभिव्यक्त किया गया है। वहीं, 'वंदे मातरम' में जिन भावनाओं को अभिव्यक्ति दी गई है वह देश के चरित्र को बताता है और उसे भी बराबरी का सम्मान मिलना चाहिए।

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