परियोजनाओं व विकास के नाम पर आदिवासियों को जंगलों से उजाड़ना बंद करे - विजय सोलंकी

परियोजनाओं व विकास के नाम पर आदिवासियों को जंगलों से उजाड़ना बंद करे - विजय सोलंकी

परियोजनाओं व विकास के नाम पर आदिवासियों को जंगलों से उजाड़ना बंद करे - विजय सोलंकी

बड़वानी (सचिन पटेल) - विकास एवं परियोजनाओं के नाम पर हजारों सालों से जंगलों में रहने वाले आदिवासियों को जंगल और जमीन से उजाड़ना बंद करें। देश का सुप्रीम कोर्ट भी इन दिनों जातिवादी हो गया है आए दिन देश के दलित आदिवासियों के विरुद्ध लगातार अन्याय पूर्वक फैसले सुना कर उनको खत्म करने की साजिश कर रहा है। उक्त बात आदिवासी मुक्ति संगठन के प्रवक्ता विजय सोलंकी ने 13 फरवरी 2019 को सुप्रीम कोर्ट द्वारा सुनाए गए फैसले एवं उ.प्र.के  सोनभद्र में आदिवासियों के नरसंहार के विरोध में सोमवार को एसडीएम कार्यालय सेंधवा में हुए धरना प्रदर्शन को संबोधित करते हुए कही।

साथ ही आदिवासी एकता परिषद  के प्रदेश अध्यक्ष गजानंद ब्राह्मणे ने  कहा कि आदिवासी समाज जंगलों में तब से रहता आ रहा है जब सभ्यताएं नहीं बनी थी उसके बाद कई गांव बसे शहर बसे हैं, लेकिन जब अंग्रेज भारत मे 1927 में इंडियन फॉरेस्ट एक्ट लेकर आए थे इसके कारण पीढ़ियों से जंगलों में रहने वाले आदिवासी समाज के लोग अचानक उनकी नजरों में अतिक्रमणकारी बन गए। लोगों पर जेल की कार्रवाई और सरकारी जुर्माने लगने शुरू हो गए।

मगर भारत में वन अधिकारों के लिए हुए आंदोलनों का लंबा इतिहास है, लंबी खीचतान के बाद, दिसम्बर 2006 में यूपीए सरकार एक कानून बनाती है वन अधिकार मान्यता कानून 2006 इसके तहत जितने भी लोग कम से कम तीन पीढ़ी से जंगलों में रह रहे थे उन्हें जमीन के पट्टे मिलने थे यानी सरकारी जमीन पर जितना आप ने दावा किया था आपको उस पर मालिकान हक मिलना था। वहां उनको कोई हटा नही सकता, मगर सुप्रीम कोर्ट का 13 फरवरी 2019 का फैसला मध्य प्रदेश समेत देश भर के तेरा लाख आदिवासियों के लिए घातक फैसला है। सभा को मुकेश डुडवे, राजेश कनोजे, गेंदराम भाई, कुंवर सिंह भाई, राजाराम कनासिया, संगीता चौहान, सुमलीबाई, अनिल रावत, मगन जमरे, राकेश रावत आदि लोगों ने संबोधित किया।

परियोजनाओं व विकास के नाम पर आदिवासियों को जंगलों से उजाड़ना बंद करे - विजय सोलंकी

सभा के बाद उन्होंने एसडीएम को मुख्यमंत्री कमलनाथ के नाम ज्ञापन सौंपकर यह मांग की है कि 24 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट में इसी मामले को लेकर सुनवाई होना है जिसमें मध्य प्रदेश सरकार आदिवासियों की तरफ से सुप्रीम कोर्ट में उनका पक्ष रखें। उत्तर प्रदेश के सोनभद्र में आदिवासियों के साथ जो नरसंहार किया गया इसमें दोषियों को पकड़ कर फांसी दी जाए वह पीड़ित परिवारों को मुआवजा दिया जाए जैसी मांगों को लेकर ज्ञापन सौंपा।

इस दौरान सुभद्रा परमार, अनिता सोलंकी, चन्द्रशेखर सेनानी, सुनील नरगाँवे,मोंटू सोलंकी ,मुकेश डावर, कैलाश मोरे, अमरसिंग दादा,धुरसिंग पटेल, शान्तिलाल जाधव, जाडिया भाई, रामसिंग, रतन निगवाल, प्रकाश ब्राह्मणे, कैलाश सोलंकी, रमेश सोलंकी समेत आदिवासी समाजजन  कार्यकर्ता मौजूद थे।

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