रीवा: संजय गांधी अस्पताल में मौत से खिलवाड़! ब्लड बैंक की बड़ी लापरवाही, मरीज का ग्रुप 'A' से 'O' बना डाला Aajtak24 News

रीवा: संजय गांधी अस्पताल में मौत से खिलवाड़! ब्लड बैंक की बड़ी लापरवाही, मरीज का ग्रुप 'A' से 'O' बना डाला Aajtak24 News

रीवा - मध्य प्रदेश के विंध्य क्षेत्र का सबसे बड़ा चिकित्सा केंद्र, संजय गांधी अस्पताल (SGMH), एक बार फिर अपनी अव्यवस्थाओं और कर्मचारियों की संवेदनहीनता के कारण विवादों में है। अस्पताल के ब्लड बैंक में एक महिला मरीज के ब्लड ग्रुप की गलत रिपोर्ट तैयार करने का बेहद गंभीर मामला सामने आया है। इस चूक ने न केवल अस्पताल के दावों की पोल खोल दी है, बल्कि यह भी स्पष्ट कर दिया है कि यहाँ मरीजों की जान कितनी सस्ती है।

सर्जरी से पहले का खौफनाक अनुभव

पूरा मामला तब शुरू हुआ जब मऊगंज जिले के नईगढ़ी निवासी एक सेवानिवृत्त कर्मचारी, उमेश कुमार यादव, अपनी पत्नी को 'नी रिप्लेसमेंट' (घुटना प्रत्यारोपण) के लिए अस्पताल लाए थे। सर्जरी एक जटिल प्रक्रिया है, इसलिए डॉक्टरों ने एहतियात के तौर पर रक्त की व्यवस्था रखने को कहा। उमेश यादव को भली-भांति ज्ञात था कि उनकी पत्नी का ब्लड ग्रुप ए पॉजिटिव (A+) है और पहले भी उन्हें इसी ग्रुप का रक्त चढ़ाया जा चुका था। जब वे ब्लड बैंक पहुँचे, तो वहाँ मौजूद टेक्नीशियन ने रक्त की जाँच की। कुछ देर बाद जब रिपोर्ट मिली, तो परिजन दंग रह गए। रिपोर्ट में महिला का ब्लड ग्रुप ओ पॉजिटिव (O+) बताया गया था।

परिजनों की सतर्कता ने बचाई जान

उमेश यादव ने जब अपनी पत्नी के पुराने रिकॉर्ड्स का हवाला देते हुए आपत्ति जताई, तो ब्लड बैंक के कर्मचारियों ने पहले तो टालमटोल की, लेकिन दबाव बढ़ने पर मामले की गंभीरता समझ में आई। उमेश यादव का आरोप है कि यदि वे पढ़े-लिखे न होते और टेक्नीशियन की रिपोर्ट पर आँख बंद करके भरोसा कर लेते, तो उनकी पत्नी को 'ओ पॉजिटिव' रक्त चढ़ा दिया जाता। मेडिकल साइंस के अनुसार, गलत ब्लड ग्रुप चढ़ने से मरीज के शरीर में 'रिएक्शन' होता है, जिससे गुर्दे फेल हो सकते हैं या तत्काल मृत्यु भी हो सकती है।

अधीक्षक का तर्क: 'ठंड के कारण बदला ब्लड ग्रुप'

इस सनसनीखेज लापरवाही पर जब मीडिया ने अस्पताल अधीक्षक से सवाल किए, तो उनका जवाब बेहद चौंकाने वाला था। अधीक्षक ने तर्क दिया कि "ठंड के मौसम में कभी-कभी 'कोल्ड एग्लुटिनिन' (Cold Agglutinin) के कारण ब्लड टेस्टिंग के परिणाम भ्रामक या गलत आ जाते हैं।" हालांकि, उन्होंने यह स्वीकार किया कि यह टेक्नीशियन की जिम्मेदारी थी कि वह रिपोर्ट देने से पहले उसे दोबारा क्रॉस-चेक करता।

दो कर्मचारियों को नोटिस, कार्रवाई का इंतजार

घटना के बाद मचे बवाल को देखते हुए अस्पताल प्रबंधन ने बचाव की मुद्रा अपना ली है। ब्लड बैंक के दो संबंधित कर्मचारियों को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है। लेकिन सवाल यह उठता है कि क्या केवल नोटिस जारी करना काफी है? एक सेवानिवृत्त कर्मचारी और जागरूक नागरिक होने के नाते उमेश यादव ने दोषियों के खिलाफ आपराधिक लापरवाही का मामला दर्ज करने और उन्हें तत्काल निलंबित करने की मांग की है।

अस्पताल की साख पर सवाल

संजय गांधी अस्पताल में दूर-दराज के जिलों से हजारों गरीब मरीज इस उम्मीद में आते हैं कि उन्हें बेहतर इलाज मिलेगा। लेकिन ब्लड बैंक जैसी संवेदनशील इकाई में अगर 'मौसम' को आधार बनाकर गलत रिपोर्ट दी जाने लगे, तो मरीजों का भरोसा पूरी तरह टूट जाएगा। फिलहाल, पूरे मामले की जाँच के लिए एक कमेटी गठित करने की बात कही जा रही है, लेकिन पीड़ित परिवार अभी भी डरा हुआ और आक्रोशित है।




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