गड्ढों में तब्दील NH-27: गढ़ की जनता झेल रही 'आरक्षित' क्षेत्र होने का दंश, आखिर कब मिलेगी धूल और जानलेवा गड्ढों से मुक्ति? Aajtak24 News

गड्ढों में तब्दील NH-27: गढ़ की जनता झेल रही 'आरक्षित' क्षेत्र होने का दंश, आखिर कब मिलेगी धूल और जानलेवा गड्ढों से मुक्ति? Aajtak24 News

रीवा - प्रदेश की सड़कों को वाशिंगटन जैसी बताने वाले दावों की पोल रीवा जिले के राष्ट्रीय राजमार्ग 27 (NH-27) पर स्थित गढ़ कस्बे में खुल रही है। जिला मुख्यालय से 50 किलोमीटर दूर स्थित यह व्यापारिक केंद्र आज विकास की बाट जोह रहा है। हालत यह है कि यहाँ सड़क कम और जानलेवा गड्ढे ज्यादा नजर आते हैं, जिसके कारण न केवल स्थानीय ग्रामीण बल्कि राहगीर भी आए दिन दुर्घटनाओं का शिकार हो रहे हैं।

दिखावे की मरम्मत: डामर डालते ही फिर उखड़ रही सड़क

स्थानीय लोगों का आरोप है कि जब भी शिकायतों का दबाव बढ़ता है, नेशनल हाईवे के अधिकारी औपचारिकता पूरी करने के लिए गड्ढों में गिट्टी और थोड़ा डामर डाल देते हैं। लेकिन वैज्ञानिक तरीके से पानी की निकासी (Drainage System) न होने के कारण पहली बारिश या सामान्य जलभराव में ही यह मरम्मत बह जाती है। वर्तमान में थाना कार्यालय के ठीक सामने की सड़क बड़े-बड़े गड्ढों में तब्दील हो चुकी है, जो किसी बड़े हादसे को खुला निमंत्रण दे रही है।

नाली का अभाव बना सड़क का दुश्मन

गढ़ एक बड़ा बाजारू क्षेत्र है जहाँ आसपास के 5 किलोमीटर के दायरे से लोग शिक्षा, व्यापार और अन्य कार्यों के लिए आते हैं। आश्चर्य की बात यह है कि इसी हाईवे पर रायपुर, मनगवां, गंगेव और सोहागी जैसे क्षेत्रों में शानदार कंक्रीट रोड और पक्की नालियों का निर्माण हो चुका है, लेकिन गढ़ को आखिर किसके भरोसे छोड़ दिया गया है? बिना नाली के सड़क पर जमा होने वाला पानी डामर को गला रहा है, जिससे सरकारी पैसे की बंदरबांट और 'पैच वर्क' का खेल सालों से जारी है।

अधिकारियों की चुप्पी और गायब जानकारी

इस पूरे मामले में सबसे चौंकाने वाला पहलू अधिकारियों का मौन है। मरम्मत कार्य में कितना व्यय हुआ और कौन सी एजेंसी 'पैच वर्क' का काम कर रही है, इस पर कोई भी जिम्मेदार अधिकारी कुछ बोलने को तैयार नहीं है। विधायक नरेंद्र प्रजापति द्वारा बार-बार पत्र लिखे जाने के बावजूद प्रशासन केवल कागजी खानापूर्ति कर रहा है।

आरक्षित क्षेत्र होने का दर्द?

क्षेत्रीय जनता और सामाजिक कार्यकर्ताओं में भारी आक्रोश है। लोगों का कहना है कि मनगवां क्षेत्र के आरक्षित होने के कारण शायद शासन-प्रशासन यहाँ की समस्याओं को गंभीरता से नहीं ले रहा है। यदि जल्द ही कंक्रीट रोड और नाली का स्थाई निर्माण शुरू नहीं हुआ, तो आने वाले समय में क्षेत्र की जनता उग्र आंदोलन के लिए विवश होगी।

मुख्य सवाल: * जब अन्य कस्बों में कंक्रीट रोड बन सकती है, तो गढ़ के साथ भेदभाव क्यों?

  • पैच वर्क के नाम पर जनता की गाढ़ी कमाई के पैसे को कौन ठिकाने लगा रहा है?

  • क्या प्रशासन किसी बड़ी जनहानि का इंतजार कर रहा है?



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