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| मध्य प्रदेश में 'कागज़ पर पोषण' का मुद्दा राष्ट्रीय स्तर पर गरमाया, राहुल गांधी ने वीडियो साझा कर सरकार पर बोला हमला Aajtak24 News |
रीवा - मध्य प्रदेश की महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा संचालित महत्वाकांक्षी पोषण आहार और साझा चूल्हा योजनाओं में व्याप्त भ्रष्टाचार और लापरवाही का मुद्दा अब राष्ट्रीय स्तर पर गूंज उठा है। आज तक 24 द्वारा लंबे समय से रीवा और मऊगंज क्षेत्र के उदाहरणों के साथ उठाए जा रहे इन सवालों को कांग्रेस सांसद और वरिष्ठ नेता राहुल गांधी ने अपने एक ट्वीट के माध्यम से राष्ट्रीय बहस का केंद्र बना दिया है।
राहुल गांधी का ट्वीट बना राष्ट्रीय मुद्दा:
शनिवार को कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने एक वीडियो साझा करते हुए मध्य प्रदेश की भाजपा सरकार पर गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने ट्वीट में कहा:
“मध्यप्रदेश के बच्चे जिनके कंधों पर देश का भविष्य टिका है, उन्हें सम्मान की थाली तक नसीब नहीं — सरकार सिर्फ कागज़ों पर भोजन परोस रही है।”
राहुल गांधी ने नर्मदापुरम जिले के हुल्लापुर स्कूल का एक वीडियो साझा किया, जिसमें बच्चों को अख़बार पर मिड-डे मील परोसा गया था। उन्होंने अपने ट्वीट में 20 साल से अधिक की बीजेपी सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि "बच्चों की थाली तक चुरा ली गई है" और उन्होंने मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री को देश के भविष्य की दुर्दशा पर शर्म आनी चाहिए।
आज तक 24 की क्षेत्रीय रिपोर्टों की राष्ट्रीय पुष्टि:
यह मामला ठीक उसी तरह की गड़बड़ियों को दर्शाता है, जिसके बारे में आज तक 24 पिछले कई महीनों से लगातार आगाह करता रहा है। हमारी रिपोर्टों में बार-बार यह उजागर किया गया था कि "रुचिकर भोजन" की योजना केवल सरकारी रिकॉर्ड्स तक सीमित है, जबकि बच्चों की थालियों में पौष्टिक आहार नहीं पहुंच रहा है।
हमारी पुरानी रिपोर्टों के मुख्य बिंदु:
रीवा–मऊगंज जिले के 90% से अधिक आंगनबाड़ी केंद्रों और विद्यालयों में 'रुचिकर भोजन' योजना केवल कागज़ी है।
साझा चूल्हा और स्कूल पोषण आहार योजना का धन महीनों से अटका हुआ है।
कई केंद्रों में बच्चों को केवल सूखी रोटी-खिचड़ी या दाल दी जा रही है।
शिकायत करने वाले शिक्षकों या प्रधानाध्यापकों के खिलाफ उलटा कार्रवाई की जाती है।
देवतालाब और मऊगंज ब्लॉक के अधिकारी जांच से बचते रहे हैं।
राहुल गांधी द्वारा साझा किया गया वीडियो इस बात का प्रमाण है कि यह समस्या किसी एक क्षेत्र विशेष की नहीं, बल्कि पूरे प्रदेश की जमीनी सच्चाई है।
दिखावटी कार्रवाई बनाम असलियत:
राहुल गांधी के ट्वीट के बाद प्रदेश की राजनीति गरमा गई। ‘पत्रिका’ अख़बार की एक रिपोर्ट के अनुसार, आनन-फानन में हरकत में आए अधिकारियों और भाजपा नेताओं ने उसी स्कूल में जाकर स्टील की थाली में खाना खाया और अपनी तस्वीरें खिंचवाईं। हालांकि, विपक्ष इसे केवल दिखावे की कार्रवाई करार दे रहा है और सवाल उठा रहा है कि असल समस्या की जांच और जिम्मेदार अधिकारियों पर जवाबदेही अब तक क्यों तय नहीं हुई।
बीजेपी का बचाव:
मामले पर राजनीति गरमाने के बाद भाजपा मीडिया प्रभारी आशीष अग्रवाल ने पलटवार करते हुए बयान जारी किया। उन्होंने कहा कि “राहुल गांधी भ्रमित राजनीति कर रहे हैं। सरकार ने पहले ही जांच कर कार्रवाई कर दी थी। विपक्ष केवल भ्रम फैलाने का काम कर रहा है। हालांकि, स्थानीय कार्यकर्ताओं और विपक्ष का तर्क है कि यदि कार्रवाई हुई होती, तो बच्चों को अख़बार की थाली पर खाना खाते हुए वीडियो आज भी राष्ट्रीय मीडिया में नहीं आता।
जमीनी हकीकत जस की तस:
रीवा–मऊगंज समेत प्रदेश के ग्रामीण अंचलों में अभिभावक आज भी परेशान हैं। उनका कहना है कि महत्वाकांक्षी योजनाओं का लाभ केवल कागज़ों में ही सीमित है। एक स्थानीय कार्यकर्ता ने उम्मीद जताते हुए कहा कि "अब तो राष्ट्रीय स्तर पर भी खुलासा हो गया है, उम्मीद है कि शासन–प्रशासन अब नींद से जागेगा।" बच्चों को पौष्टिक भोजन से वंचित करने के इस गंभीर मामले में अब शासन से कठोर और पारदर्शी कार्रवाई की मांग तेज हो गई है।
