रीवा स्वास्थ्य विभाग में सबसे बड़ा भूचाल: CMHO डॉ. संजीव शुक्ला पर वरिष्ठ विधायक का 'भ्रष्टाचार' बम, मुख्यमंत्री से उच्च-स्तरीय EOW/लोकायुक्त जाँच की मांग! Aajtak24 News

 रीवा स्वास्थ्य विभाग में सबसे बड़ा भूचाल: CMHO डॉ. संजीव शुक्ला पर वरिष्ठ विधायक का 'भ्रष्टाचार' बम, मुख्यमंत्री से उच्च-स्तरीय EOW/लोकायुक्त जाँच की मांग! Aajtak24 News

रीवा - रीवा जिले का स्वास्थ्य विभाग इस समय अपने इतिहास के सबसे बड़े प्रशासनिक और राजनीतिक संकट का सामना कर रहा है। सत्ताधारी दल के वरिष्ठ विधायक, गुढ़ (Gudh) से नागेंद्र सिंह, ने खुद अपनी ही सरकार के सिस्टम को कठघरे में खड़ा करते हुए एक सनसनीखेज पत्र मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव को भेजा है। इस पत्र में उन्होंने मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी (CMHO) डॉ. संजीव शुक्ला के कार्यकाल में हुए व्यापक भ्रष्टाचार और अनियमितताओं का 'काला-चिट्ठा' खोलते हुए, तत्काल उच्च-स्तरीय जाँच और CMHO को पद से हटाने की मांग की है।

विधायक नागेंद्र सिंह की यह 'चिट्ठी' सार्वजनिक होने के बाद से राजनीतिक और प्रशासनिक गलियारों में हड़कंप मच गया है। यह पहली बार नहीं है जब रीवा के CMHO कार्यालय पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे हों, लेकिन सत्तापक्ष के वरिष्ठ विधायक द्वारा इतने सीधे और गंभीर आरोप लगाना, यह स्पष्ट करता है कि सिस्टम अब पूरी तरह से बेलगाम हो चुका है।

💰 CMHO पर पाँच महाघोटालों का आरोप: करोड़ों के चूने की आशंका

गुढ़ विधायक नागेंद्र सिंह ने मुख्यमंत्री से मांग की है कि यह गंभीर कदाचार और जनहित का मुद्दा है, जिसकी जाँच EOW या लोकायुक्त जैसी किसी स्वतंत्र एजेंसी से कराई जानी चाहिए। विधायक द्वारा लगाए गए आरोपों के प्रमुख बिंदु, सरकारी खजाने को करोड़ों का चूना लगने की आशंका जताते हैं:

  1. अवैध पंजीयन का रैकेट: क्लीनिकों और नर्सिंग होम को नियम-कानूनों की धज्जियां उड़ाते हुए अवैध रूप से पंजीयन दिए गए।

  2. आउटसोर्सिंग भर्ती घोटाला: आउटसोर्स कर्मियों की भर्ती प्रक्रिया में भारी मनमानी की गई है और नियमों का घोर उल्लंघन कर भर्ती की गई है।

  3. मनचाहा अटैचमेंट: चिकित्सीय स्टाफ का नियम विरुद्ध संलग्नीकरण (अटैचमेंट) किया गया है। इसका सीधा परिणाम यह हुआ है कि स्टाफ मूल स्थानों से हट गया है, जिससे ग्रामीण और प्राथमिक स्वास्थ्य सेवाओं में भारी अव्यवस्था फैल गई है।

  4. खरीदी में महाघोटाला: दवाइयों और उपकरणों की खरीदी में भंडार क्रय नियमों का सीधा उल्लंघन किया गया, जो करोड़ों के घोटाले की ओर इशारा करता है।

  5. फंड की बंदरबाँट: सी.आर.एम. (CMR) के भ्रमण और अन्य मदों में आवंटित सरकारी बजट का बिंदुवार दुरुपयोग किया गया है।

⚔️ विधायक की दो टूक: तुरंत हटाओ और सरकारी फंड वसूलों

विधायक नागेंद्र सिंह ने इस मुद्दे पर कोई नरमी नहीं दिखाते हुए मुख्यमंत्री से तीन ठोस और त्वरित कार्रवाई की मांग की है:

  • तत्काल निलंबन: CMHO डॉ. संजीव शुक्ला को तुरंत उनके पद से हटाया जाए, ताकि वे अपने पद का दुरुपयोग कर जाँच को प्रभावित न कर सकें।

  • दोषियों पर FIR: आउटसोर्स भर्ती घोटाले, खरीदी और अवैध पंजीयन में शामिल सभी अधिकारियों के खिलाफ तत्काल प्रभाव से FIR दर्ज की जाए।

  • फंड की रिकवरी: सरकारी खजाने को हुए करोड़ों के नुकसान की भरपाई (रिकवरी) तुरंत संबंधित भ्रष्ट अधिकारियों से की जाए।

यह मामला अब रीवा जिले की सीमा लांघकर प्रदेश की राजधानी तक पहुँच चुका है। विधायक की यह 'भ्रष्टाचार चिट्ठी' यह दर्शाती है कि स्वास्थ्य विभाग में गहरे तक जड़ें जमा चुकी अनियमितताओं को अब और छिपाना संभव नहीं है। प्रशासनिक गलियारों में अब सबकी निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव इस गंभीर आरोप पर कितनी जल्दी और कितनी सख्त कार्रवाई करते हैं।

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