त्योहारी सीजन में भी प्याज की कीमतें जस की तस रहने का अनुमान, किसानों को राहत की उम्मीद कम Aajtak24 News

त्योहारी सीजन में भी प्याज की कीमतें जस की तस रहने का अनुमान, किसानों को राहत की उम्मीद कम Aajtak24 News

नई दिल्ली - इस साल दिवाली के त्योहारी सीजन में भी प्याज किसानों को कीमतों में बड़ी बढ़ोतरी की राहत मिलने की संभावना कम है। भारतीय बागवानी उत्पाद निर्यातक संघ (APEDA) ने कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय को एक पत्र लिखकर बताया है कि देश में प्याज की आपूर्ति पर्याप्त बनी रहेगी, जिसके कारण कीमतों में किसी बड़े उछाल की आशंका नहीं है।

35-40% रबी स्टॉक बाकी: संघ के उपाध्यक्ष विकास सिंह द्वारा लिखे गए पत्र में यह जानकारी दी गई है कि किसानों के पास अभी भी 2025 सीज़न की रबी प्याज का करीब 35 से 40 फीसदी स्टॉक बचा हुआ है। यह स्टॉक किसानों ने कीमतें बढ़ने की उम्मीद में सुरक्षित रखा है। उम्मीद है कि आने वाले हफ्तों में इस स्टॉक की अच्छी आवक बाजार में स्थिरता बनाए रखेगी। मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र जैसे प्रमुख उत्पादक राज्यों में भी बड़ी मात्रा में स्टॉक मौजूद है।

खरीफ की फसल की आवक शुरू: बाजार में स्थिरता बने रहने का एक और बड़ा कारण खरीफ की नई फसल की आवक है। पत्र के अनुसार, कर्नाटक के बेंगलुरु और आसपास के क्षेत्रों में खरीफ प्याज की कटाई शुरू हो चुकी है, जिसकी उपज की गुणवत्ता और मात्रा दोनों ही बेहतर बताई जा रही है। राजस्थान और गुजरात से भी जल्द ही खरीफ प्याज की सप्लाई शुरू होने की उम्मीद है, जिससे बाजार में प्याज की निरंतर उपलब्धता बनी रहेगी। रिपोर्ट्स के मुताबिक, महाराष्ट्र में भी इस साल देर से बोई गई खरीफ प्याज की खेती अधिक क्षेत्र में की गई है, जिसकी 'लेट खरीफ' फसल नवंबर के तीसरे सप्ताह तक बाजार में पहुंचने की संभावना है।

निर्यात घटने से राहत नहीं: संघ ने यह भी बताया कि पुराने रबी स्टॉक और नई खरीफ फसल की नियमित आवक के कारण इस साल प्याज की कमी की कोई संभावना नहीं है। इसके अलावा, विदेशों से प्याज की मांग में भी कमी आई है, जिससे निर्यात की मात्रा सीमित रह सकती है। निर्यात कम होने से घरेलू बाजार में प्याज की कीमतों में बड़ा उछाल आने की संभावना नहीं है।

बीज निर्यात पर रोक जारी रखने की मांग: संघ ने सरकार से प्याज के बीज के निर्यात पर लगी रोक को जारी रखने का अनुरोध किया है। संघ ने बताया कि बांग्लादेश, श्रीलंका और अन्य पड़ोसी देश भारतीय मूल के बीजों का उपयोग करके प्याज का उत्पादन कर रहे हैं, जिससे भारतीय किसानों को सीधी प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ रहा है। यह प्रवृत्ति लंबे समय में भारतीय किसानों के हितों के लिए चुनौती बन सकती है।

Post a Comment

Previous Post Next Post