छत्तीसगढ़ में नक्सलवाद पर अब तक का सबसे बड़ा 'आत्मसमर्पण प्रहार': 50 लाख के इनामी समेत 127 माओवादियों ने BSF कैंप में डाले हथियार Aajtak24 News

छत्तीसगढ़ में नक्सलवाद पर अब तक का सबसे बड़ा 'आत्मसमर्पण प्रहार': 50 लाख के इनामी समेत 127 माओवादियों ने BSF कैंप में डाले हथियार Aajtak24 News

रायपुर/कांकेर - छत्तीसगढ़ में नक्सल विरोधी अभियानों को एक ऐतिहासिक और निर्णायक सफलता मिली है। पिछले कुछ वर्षों से सुरक्षा बलों और सरकार की समन्वित रणनीति के कारण कमजोर पड़ रहे नक्सल संगठन को शनिवार को एक और करारा झटका लगा, जब कांकेर और सुकमा जिलों में कुल 127 माओवादियों ने एक साथ आत्मसमर्पण कर समाज की मुख्यधारा में लौटने का फैसला किया। इसे राज्य के इतिहास में नक्सलियों का सबसे बड़ा सामूहिक आत्मसमर्पण माना जा रहा है।

🔥 कांकेर: रावघाट एरिया कमेटी को लगा अभूतपूर्व आघात – टॉप लीडर्स ने डाले हथियार

कांकेर जिले के कोयलीबेडा थाना क्षेत्र के कामतेड़ा स्थित बीएसएफ कैंप में 100 से अधिक नक्सलियों के आत्मसमर्पण की खबर ने पूरे राज्य में हलचल मचा दी। हालांकि अधिकारियों ने शुरू में इसकी आधिकारिक पुष्टि से परहेज किया, लेकिन बाद में सामने आई जानकारी ने इस सफलता की पुष्टि की।

  • आत्मसमर्पितों की संख्या: कांकेर में अकेले 100 से अधिक नक्सलियों ने हथियार डाले।

  • प्रमुख लीडर्स: सरेंडर करने वालों में रावघाट एरिया कमेटी के शीर्ष नक्सली लीडर राजू सलाम, मीना, प्रसाद और भास्कर जैसे कुख्यात नाम शामिल हैं। ये सभी नक्सली लंबे समय से रावघाट एरिया कमेटी और माड़ डिवीजन जैसे संवेदनशील इलाकों में सक्रिय थे, जिनकी सुरक्षा बलों को वर्षों से तलाश थी।

  • रणनीतिक महत्व: माना जा रहा है कि इन प्रमुख कमांडरों और बड़ी संख्या में कैडरों के आत्मसमर्पण से कांकेर जिला लगभग नक्सलमुक्त होने की दिशा में निर्णायक कदम उठा चुका है। यह रावघाट एरिया कमेटी के लिए एक बड़ा संगठनात्मक आघात है, जिससे उनकी पकड़ और प्रभाव में भारी कमी आएगी।

  • सुरक्षा व्यवस्था: आत्मसमर्पण प्रक्रिया को अत्यंत गोपनीय तरीके से अंजाम दिया गया। सूत्रों के मुताबिक, नक्सली पहले गेंडाबेड़ा गांव तक पैदल चलकर आए, और फिर पुलिस की बसों में सवार होकर बीएसएफ कैंप तक पहुंचे। कैंप में सुरक्षा व्यवस्था चाक-चौबंद थी, जहां फोर्स के जवान चारों तरफ तैनात थे और बैरिकेड्स भी लगाए गए थे। पत्रकारों को सुरक्षा कारणों से कवरेज से दूर रखा गया। इन नक्सलियों का रिकॉर्ड खंगाला जा रहा है और जल्द ही विस्तृत जानकारी साझा की जाएगी।

💰 सुकमा: 50 लाख के इनामी समेत 27 नक्सलियों का आत्मसमर्पण – महिलाएं भी शामिल

दूसरी ओर, धुर नक्सल प्रभावित सुकमा जिले में भी एक बड़ी सफलता मिली, जहाँ बुधवार को कुल 27 सक्रिय माओवादियों ने आत्मसमर्पण किया। यह आत्मसमर्पण जिला मुख्यालय में वरिष्ठ अधिकारियों के सामने हुआ।

  • उच्च इनामी नक्सली: सरेंडर करने वालों में एक 50 लाख रुपये का इनामी नक्सली भी शामिल था, जो सुरक्षा बलों की हिट लिस्ट में सबसे ऊपर था।

  • संगठनात्मक ढाँचा: आत्मसमर्पितों में पीएलजीए बटालियन नंबर-एक के दो हार्डकोर सदस्य, एक सीपीआई (माओवादी) डिवीजन स्तर का कैडर, एक पार्टी कार्यकर्ता और 11 संगठनात्मक सदस्य शामिल हैं, जो संगठन के विभिन्न स्तरों पर सक्रिय थे।

  • लैंगिक संरचना: आत्मसमर्पण करने वालों में 10 महिलाएं और 17 पुरुष माओवादी शामिल हैं, जो दर्शाता है कि नक्सल संगठन में महिलाएं भी अब मुख्यधारा में लौटना चाहती हैं।

  • इनाम राशि: प्रशासन के अनुसार, इन आत्मसमर्पित नक्सलियों पर अलग-अलग स्तर पर इनाम घोषित था, जिनमें से कुछ पर 10 लाख, तीन पर आठ-आठ लाख, एक पर तीन लाख, दो पर दो-दो लाख और नौ पर एक-एक लाख रुपये का इनाम था।

🗣️ आईजी सुंदरराज पी.: "बस्तर में अब डर नहीं, भरोसा बढ़ा है"

बस्तर रेंज के आईजी सुंदरराज पी. ने इस बड़ी सफलता को रेखांकित करते हुए बताया कि पिछले 20 महीनों में कुल 1,876 नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया है। यह आंकड़ा सिर्फ संख्या नहीं, बल्कि यह इस बात का प्रमाण है कि सरकार की 'विकास और विश्वास' की नीति जमीनी स्तर पर असर दिखा रही है।

उन्होंने कहा, "पहले जहां नक्सली खौफ और हथियार के सहारे शासन चलाने की कोशिश करते थे, वहीं अब गांवों में सड़कें, स्कूल और स्वास्थ्य केंद्र खुलने लगे हैं, जिसकी वजह से लोग मुख्यधारा से जुड़ रहे हैं।" आईजी ने आगे कहा कि बस्तर में अब डर नहीं, बल्कि भरोसा बढ़ा है। जो कभी बंदूक लेकर जंगल में घूमते थे, वे अब अपने बच्चों के भविष्य की बात कर रहे हैं। इस बदलाव को सुरक्षा बलों, प्रशासन और स्थानीय लोगों के संयुक्त प्रयास से संभव बताया गया। पुलिस अधिकारियों के अनुसार, नक्सल संगठन में बढ़ती अव्यवस्था, आर्थिक शोषण, शीर्ष नेताओं का अमानवीय व्यवहार और हिंसक गतिविधियों से असंतुष्ट होकर इन माओवादियों ने यह कदम उठाया है।

🌟 सीएम साय: "नक्सलवाद अपने अंत की ओर अग्रसर है"

छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री श्री साय ने इस ऐतिहासिक आत्मसमर्पण पर अपनी खुशी व्यक्त करते हुए इसे नक्सलवाद पर निर्णायक प्रहार बताया। उन्होंने ट्वीट कर कहा:

"छत्तीसगढ़ के सुकमा जिले में आज 50 लाख के इनामी नक्सली सहित कुल 27 सक्रिय माओवादियों का आत्मसमर्पण इस बात का स्पष्ट संकेत है कि नक्सलवाद अब अपने अंत की ओर अग्रसर है। जिन इलाकों में कभी हिंसा और भय का साया था, आज वहां विकास, संवाद और विश्वास की नई रोशनी पहुंच रही है।"

उन्होंने इस सफलता का श्रेय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व, केंद्रीय गृह मंत्री श्री अमित शाह के मार्गदर्शन, राज्य सरकार की "नक्सलवादी आत्मसमर्पण एवं पुनर्वास नीति 2025" और "नियद नेल्ला नार" योजना को दिया। सीएम ने सुरक्षाबलों – पुलिस, डीआरजी, सीआरपीएफ, कोबरा और एसटीएफ के अदम्य साहस और संयम की भी सराहना की।

सभी आत्मसमर्पित कैडरों को शासन की पुनर्वास नीति के तहत सुरक्षा और आर्थिक सहायता प्रदान की जाएगी, ताकि वे सम्मानजनक जीवन जी सकें और समाज के विकास में योगदान दे सकें। यह घटना छत्तीसगढ़ में एक नए, शांतिपूर्ण युग के आगमन का संकेत है।


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