![]() |
भारत में कैंसर का बढ़ता बोझ: अध्ययन में सामने आए चौंकाने वाले आंकड़े, दक्षिण में ब्रेस्ट कैंसर का सबसे अधिक खतरा Aajtak24 News |
नई दिल्ली - देश में कैंसर के बढ़ते मामलों को लेकर एक चौंकाने वाली रिसर्च स्टडी सामने आई है। JAMA ओपन नेटवर्क में प्रकाशित राष्ट्रीय कैंसर रजिस्ट्री कार्यक्रम की इस रिपोर्ट के अनुसार, भारत के दक्षिण भारतीय शहरों में ब्रेस्ट कैंसर का खतरा सबसे अधिक बढ़ रहा है, जबकि देश के अन्य हिस्सों में अन्य प्रकार के कैंसर भी चिंताजनक रूप से फैल रहे हैं। स्टडी ने हैदराबाद को "ब्रेस्ट कैंसर कैपिटल" करार दिया है, जहाँ प्रति 100,000 महिलाओं में 54 मामले सामने आए हैं, जो राष्ट्रीय स्तर पर सबसे अधिक है। बेंगलुरु भी इस सूची में दूसरे स्थान पर है, जहाँ यह दर 46.7 प्रति 100,000 है।
दक्षिण भारत बना ब्रेस्ट कैंसर का गढ़
यह अध्ययन 2015 से 2019 के बीच देश भर की 43 जनसंख्या-आधारित कैंसर रजिस्ट्रियों (PBCR) के आंकड़ों पर आधारित है। रिपोर्ट के अनुसार, राष्ट्रीय स्तर पर ब्रेस्ट कैंसर की सर्वाधिक दर वाले शीर्ष छह क्षेत्रों में से चार दक्षिण भारत के हैं। चेन्नई क्षेत्र में प्रति 100,000 महिलाओं में 45.4 मामले दर्ज किए गए, जबकि केरल के अलाप्पुझा और तिरुवनंतपुरम में यह दर क्रमशः 42.2 और 40.7 रही। यह पैटर्न स्पष्ट रूप से दर्शाता है कि दक्षिण भारत के शहरी केंद्र, विशेष रूप से हैदराबाद और बेंगलुरु, भारत में स्तन कैंसर के बढ़ते प्रकोप का केंद्र बन रहे हैं। रिपोर्ट में 2024 तक राष्ट्रीय स्तर पर 238,085 महिलाओं के स्तन कैंसर से प्रभावित होने का अनुमान लगाया गया है, जो इसे भारतीय महिलाओं में सबसे आम कैंसर बनाता है। रिसर्च स्टडी के आंकड़ों से पता चलता है कि स्तन कैंसर दक्षिण भारतीय शहरों में अन्य क्षेत्रों की तुलना में अधिक तेजी से और व्यापक पैमाने पर फैल रहा है, जबकि देश के अन्य हिस्सों में अन्य प्रकार के कैंसर के मामले बढ़ रहे हैं। रिपोर्ट में इन बढ़ते मामलों के पीछे विशिष्ट स्थानीय कारकों पर भी प्रकाश डाला गया है, जिन पर तत्काल ध्यान देने की आवश्यकता है।
पूर्वोत्तर में लंग्स कैंसर और अहमदाबाद में ओरल कैंसर का खतरा
स्तन कैंसर के मामले में जहां दक्षिण भारतीय शहर आगे हैं, वहीं फेफड़ों के कैंसर (लंग्स कैंसर) के मामले में पूर्वोत्तर के राज्य चिंताजनक स्थिति में हैं। स्टडी रिपोर्ट के अनुसार, मणिपुर की राजधानी आइज़ोल में प्रति 100,000 महिलाओं में 33.7 मामले फेफड़ों के कैंसर के हैं, जबकि राज्य का औसत दर 24.8 दर्ज किया गया है। हालांकि, दक्षिण भारतीय शहरों में भी फेफड़ों के कैंसर की स्थिति चिंताजनक है, जहाँ हैदराबाद में प्रति 100,000 पर 6.8 और बेंगलुरु में 6.2 मामले दर्ज किए गए हैं। पुरुषों में फेफड़ों के कैंसर के पैटर्न के मामले में केरल सबसे आगे है, जिसके कई जिलों में यह दर बहुत ऊंची है। वहीं, श्रीनगर में भी फेफड़ों के कैंसर के मामले उच्चतम दर (39.5 प्रति 100,000) पर हैं। ओरल कैंसर के मामलों में भी हैदराबाद और बेंगलुरु में बड़ी संख्या में मामले सामने आए हैं, लेकिन अहमदाबाद इस श्रेणी में सबसे ऊपर है।
पुरुषों और महिलाओं में कैंसर का पैटर्न
National Cancer Registry Programme Investigator Group की 'क्रॉस-सेक्शनल' स्टडी के अनुसार, पुरुषों में माउथ कैंसर के मामले सबसे अधिक देखे जा रहे हैं, इसके बाद लंग कैंसर और प्रोस्टेट कैंसर का स्थान आता है। हालांकि, पुरुषों की तुलना में महिलाओं में कैंसर के मामले अधिक हैं, लेकिन मृत्यु दर कम है। महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर सबसे आम है और इससे होने वाली मौतों का आंकड़ा भी चिंताजनक है। इसके अतिरिक्त, सर्वाइकल कैंसर और ओवेरियन कैंसर भी महिलाओं में पाए जाने वाले प्रमुख कैंसर हैं। यह स्टडी 2015 से 2019 के बीच देश भर में 7.08 लाख कैंसर मामलों और 2.06 लाख मौतों को कवर करती है। इसमें पाया गया कि कैंसर के कुल मामलों में महिलाओं का अनुपात अधिक था, जबकि मौतों में पुरुषों का अनुपात अधिक था। रिपोर्ट का अनुमान है कि भारत में किसी व्यक्ति को कैंसर होने का खतरा लगभग 11% है।
राज्यों और शहरों में कैंसर का स्थानिक वितरण
स्टडी में पाया गया कि पूर्वोत्तर भारत के राज्यों में कैंसर का खतरा सबसे अधिक है। आइजोल, पूर्वी खासी हिल्स, पापुमपारे, कामरूप शहरी और मिजोरम जैसे क्षेत्रों में 2015-2019 के बीच कैंसर के मामले लगातार सबसे ज्यादा दर्ज किए गए। बड़े शहरों की बात करें तो बेंगलुरु में महिलाओं में कैंसर के सबसे अधिक मामले सामने आए हैं और यह ब्रेस्ट कैंसर के मामलों में भी शीर्ष तीन शहरों में शामिल है। दस लाख से अधिक आबादी वाले महानगरों में दिल्ली में पुरुषों के लिए कैंसर की दर सबसे अधिक थी, जबकि श्रीनगर में फेफड़ों के कैंसर के मामले सबसे ज्यादा पाए गए। यह स्टडी भारत में कैंसर के बढ़ते बोझ और विभिन्न क्षेत्रों में इसके स्थानिक वितरण को उजागर करती है। रिपोर्ट में इन गंभीर आंकड़ों पर तत्काल ध्यान देने और रोकथाम, शीघ्र निदान तथा प्रभावी उपचार के लिए ठोस कदम उठाने की आवश्यकता पर बल दिया गया है।