₹8000 की सैलरी, ₹46 करोड़ का नोटिस: एमपी के मजदूर की कहानी, जो किसी फिल्म से कम नहीं! Aajtak24 News

₹8000 की सैलरी, ₹46 करोड़ का नोटिस: एमपी के मजदूर की कहानी, जो किसी फिल्म से कम नहीं! Aajtak24 News

ग्वालियर/मध्य प्रदेश - मध्य प्रदेश के भिंड में एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जहाँ एक ढाबे पर काम करने वाले मजदूर रविंद्र सिंह चौहान की जिंदगी उस वक्त उलट-पुलट हो गई, जब उन्हें आयकर विभाग की ओर से 46 करोड़ रुपये का नोटिस मिला। रविंद्र की महीने भर की कमाई 8 से 10 हजार रुपये है और इतने बड़े टैक्स नोटिस को देखकर उनके होश उड़ गए। यह घटना धोखाधड़ी और सरकारी लापरवाही की एक हैरान कर देने वाली कहानी है। मामला तब शुरू हुआ जब रविंद्र अपनी रोजी-रोटी की तलाश में पुणे गए और 9 अप्रैल 2025 को उनके घर एक अंग्रेजी में नोटिस आया। परिवार अनपढ़ होने के कारण उसे समझ नहीं पाया और बात को नजरअंदाज कर दिया। लेकिन 25 जुलाई को जब दोबारा उसी तरह का नोटिस आया, तो रविंद्र तुरंत घर लौट आए। नोटिस में 2020-21 के वित्तीय वर्ष में 46 करोड़ 18 लाख 32 हजार 916 रुपये के लेन-देन की बात कही गई थी, जिसकी जानकारी रविंद्र को नहीं थी।

फर्जीवाड़े की पूरी कहानी

यह पूरा फर्जीवाड़ा सात साल पुराना है, जब रविंद्र ग्वालियर में एक टोल कंपनी में हेल्पर का काम करते थे। उनके सुपरवाइजर ने पीएफ (भविष्य निधि) खाता खुलवाने के बहाने उनसे उनका आधार कार्ड और बैंक खाता नंबर ले लिया था। रविंद्र, जो परिवार की खराब आर्थिक स्थिति के कारण छठी कक्षा के बाद पढ़ाई छोड़ चुके थे, ने उस पर भरोसा कर लिया। उन्हें क्या पता था कि उनके दस्तावेजों का इस्तेमाल दिल्ली में 'शौर्या ट्रेडिंग कंपनी' नाम की एक फर्जी फर्म के लिए एक बैंक खाता खोलने में किया गया था। इसी खाते के जरिए करोड़ों का लेन-देन हुआ, जिसका रविंद्र को कोई अंदाजा भी नहीं था। रविंद्र ने बताया, "मैं एक ढाबे पर काम करता हूँ। मेरे खाते में पूरे साल में तीन लाख रुपये भी नहीं आते, फिर 46 करोड़ का नोटिस कैसे आ सकता है?"

पुलिस की अनदेखी और कोर्ट की शरण

नोटिस मिलने के बाद रविंद्र ने तुरंत सिरौल पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज कराई, लेकिन पुलिस ने इसे दिल्ली का मामला बताकर कार्रवाई से इनकार कर दिया। जब कहीं कोई मदद नहीं मिली, तो रविंद्र ने अपने वकील प्रद्युम्न सिंह भदौरिया की मदद से आयकर कार्यालय में अपनी बात रखी। लेकिन जब वहाँ भी कोई समाधान नहीं निकला, तो उन्होंने ग्वालियर हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। अपनी याचिका में रविंद्र ने इस धोखाधड़ी की निष्पक्ष जांच और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है। यह घटना दर्शाती है कि कैसे साइबर जालसाज और धोखेबाज लोग भोले-भाले और कम पढ़े-लिखे लोगों के दस्तावेजों का दुरुपयोग करके बड़ा फर्जीवाड़ा कर सकते हैं। यह मामला कानून और न्याय प्रणाली के लिए एक बड़ी चुनौती है, जहाँ एक निर्दोष व्यक्ति को लाखों-करोड़ों के नोटिस का सामना करना पड़ रहा है। फिलहाल, रविंद्र को कोर्ट के फैसले का इंतजार है, ताकि उनकी बेगुनाही साबित हो सके।

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