जाली दस्तावेजों के जरिए रची गई बैंक की 183 करोड़ की फर्जी बैंक गारंटी Aajtak24 News

- तीर्थ गोपिकॉन लिमिटेड के MD महेश कुंभानी और सहयोगी गौरव धाकड़ गिरफ्तार


इंदौर - केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने इंदौर की तीर्थ गोपिकॉन लिमिटेड के प्रबंध निदेशक महेश कुम्भानी और उनके सहयोगी गौरव धाकड़ को 183 करोड़ के फर्जी बैंक गारंटी घोटाले में गिरफ्तार किया। सोमवार को कोलकाता में हुई इस गिरफ्तारी ने मध्य प्रदेश जल निगम लिमिटेड (एमपीजेएनएल) से आकर्षक सिंचाई परियोजनाएं हासिल करने के लिए जाली दस्तावेजों के जरिए रची गई गहरी साजिश का पर्दाफाश किया है।  इस घोटाले ने न केवल भारी वित्तीय नुकसान पहुंचाया, बल्कि महत्वपूर्ण सार्वजनिक परियोजनाओं में देरी भी की है। आरोपियों को आज इंदौर की विशेष सीबीआई अदालत में पेश किया जाएगा। एमपीजेएनएल की शिकायत पर शुरू हुई इस हाई-प्रोफाइल जांच ने मध्य प्रदेश के कारोबारी और नौकरशाही हलकों में हड़कंप मचा दिया। साथ ही सरकारी ठेके देने की प्रक्रिया में मौजूद खामियों को उजागर किया। सीबीआई की जांच में सामने आया कि एमपीजेएनएल के साथ पंजीकृत ठेकेदार तीर्थ गोपिकॉन लिमिटेड ने छतरपुर, सागर और डिंडोरी जिलों में 974 करोड़ की तीन बड़ी सिंचाई परियोजनाओं को हासिल करने के लिए 183.21 करोड़ की 8 फर्जी बैंक गारंटी जमा की थीं। ये परियोजनाएं, जो 2023 में दी गई थीं, मध्य प्रदेश के जल-कमी वाले क्षेत्रों में पानी की आपूर्ति और सिंचाई ढांचे को मजबूत करने के लिए थीं। घोटाले का खुलासा तब हुआ जब एमपीजेएनएल ने पंजाब नेशनल बैंक की कोलकाता शाखा से कथित तौर पर जारी गारंटी की सत्यता की जांच की। धोखेबाजों ने पीएनबी के आधिकारिक डोमेन की नकल करके फर्जी ईमेल के जरिए गारंटी की पुष्टि की, जिसके आधार पर एमपीजेएनएल ने ठेके दिए और तीर्थ गोपिकॉन को लगभग 85 करोड़ की अग्रिम राशि दी। मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की जबलपुर पीठ के आदेश पर 9 मई 2025 को शुरू हुई सीबीआई जांच ने कोलकाता आधारित एक बड़े गिरोह का पर्दाफाश किया, जो देशभर में इसी तरह के घोटालों में शामिल है।

जांच और गिरफ्तारियां

सीबीआई ने 19 और 20 जून को दिल्ली, पश्चिम बंगाल, गुजरात, झारखंड और मध्य प्रदेश में 23 स्थानों पर छापेमारी कर इस जांच को और तेज किया। इससे पहले एक वरिष्ठ पीएनबी प्रबंधक और कोलकाता के एक अन्य व्यक्ति को गिरफ्तार किया गया था। इस कार्रवाई में इंदौर निवासी कुम्भानी और धाकड़ को कोलकाता में हिरासत में लिया गया और ट्रांजिट रिमांड पर इंदौर लाया गया। छापेमारी के दौरान बरामद दस्तावेज, डिजिटल रिकॉर्ड और वित्तीय लेन-देन के सबूत एक सुनियोजित नेटवर्क की ओर इशारा करते हैं, जो ठेका प्रक्रिया की खामियों का फायदा उठा रहा था। सीबीआई ने आरोपियों से गहन पूछताछ और अन्य संभावित साठगांठ का पता लगाने के लिए हिरासत की मांग की है।

पहले भी की ऐसी धोखाधड़ी

तीर्थ गोपिकॉन पहले भी इस तरह के कदाचार के आरोपों का सामना कर चुकी है। उज्जैन नगर निगम ने 2023 में अमृत योजना के तहत 29 करोड़ की जल पाइपलाइन परियोजना के लिए फर्जी बैंक गारंटी जमा करने के लिए कंपनी के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की थी। उस मामले में निदेशक चंद्रिका कुम्भानी और पल्लव कुम्भानी का भी नाम था, जो धोखाधड़ी के बार-बार दोहराए जाने के पैटर्न को दर्शाता है। यह मामला मध्य प्रदेश की जल जीवन मिशन और अन्य बुनियादी ढांचा परियोजनाओं में वित्तीय अनियमितताओं की व्यापक जांच का हिस्सा है, जहां अन्य ठेकों में 128 करोड़ की फर्जी गारंटी का पता चला है। राज्य सरकार ने ऐसी धोखाधड़ी पर अंकुश लगाने के लिए सीबीआई को पूरे राज्य में जांच का अधिकार दिया है। इस धोखाधड़ी ने वित्तीय नुकसान ही नहीं पहुंचाया, बल्कि सूखा प्रभावित क्षेत्रों में किसानों और समुदायों के लिए महत्वपूर्ण सिंचाई परियोजनाओं में देरी भी की। एमपीजेएनएल ने तीर्थ गोपिकॉन को कारण बताओ नोटिस जारी किया है और अग्रिम राशि की वसूली के लिए कदम उठा रहा है। सीबीआई की जांच का लक्ष्य इस फर्जी बैंक गारंटी रैकेट को पूरी तरह से खत्म करना है, और जांच गहराने के साथ और गिरफ्तारियां होने की उम्मीद है। यह हाई-प्रोफाइल मामला सरकारी खरीद प्रक्रिया में मजबूत डिजिटल सत्यापन तंत्र और सख्त निगरानी की तत्काल जरूरत को रेखांकित करता है। सीबीआई की इस कार्रवाई ने मध्य प्रदेश के बुनियादी ढांचा क्षेत्र में जवाबदेही की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है।


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