विपक्ष के आरोप और चुनाव आयोग की प्रतिक्रिया
यह विरोध प्रदर्शन तब शुरू हुआ जब राहुल गांधी ने आम चुनाव 2024 के दौरान कर्नाटक की एक सीट पर 'वोट चोरी' का दावा किया था। उन्होंने बेंगलुरु के महादेवपुरा विधानसभा क्षेत्र के आंकड़ों का हवाला देते हुए आरोप लगाया था कि 1,00,250 वोटों की चोरी हुई थी, जबकि भाजपा ने यह सीट 32,707 वोटों के अंतर से जीती थी। राहुल गांधी ने इसे भाजपा द्वारा 'वोट चोरी' का एक मॉडल बताया था। विपक्ष ने चुनाव आयोग से मिलकर डिजिटल मतदाता सूची में पूरी पारदर्शिता सुनिश्चित करने की मांग की है। इसी क्रम में, चुनाव आयोग ने कांग्रेस नेता जयराम रमेश के अनुरोध पर सोमवार दोपहर 12 बजे प्रतिनिधिमंडल से मुलाकात का समय दिया है। हालांकि, आयोग ने जगह की कमी का हवाला देते हुए प्रतिनिधिमंडल में केवल 30 लोगों को शामिल होने की अनुमति दी है।
संसद का व्यस्त एजेंडा और विपक्ष की रणनीति
संसद के अंदर भी सोमवार का दिन बेहद व्यस्त रहा। लोकसभा में प्रश्नकाल के बाद विभिन्न मंत्रालयों के मंत्री दस्तावेज पेश कर रहे हैं। इसके अलावा, विदेश मामलों, वित्त, रेलवे और जल संसाधन से जुड़ी कई महत्वपूर्ण संसदीय समितियों की रिपोर्टें भी सदन में पेश की जा रही हैं। संसद से सड़क तक की यह रणनीति विपक्ष की एक मजबूत पहल मानी जा रही है, जिसका उद्देश्य सरकार को घेरना और चुनावी प्रक्रिया की निष्पक्षता पर सवाल उठाना है। मार्च के बाद, विपक्षी एकता को और मजबूत करने के लिए कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने सोमवार शाम को दिल्ली के चाणक्यपुरी स्थित ताज पैलेस होटल में 'इंडिया' गठबंधन के सांसदों के लिए एक डिनर मीटिंग का भी आयोजन किया है। यह इस मुद्दे पर दूसरी ऐसी बैठक है, जो विपक्षी खेमे में बढ़ती एकजुटता को दर्शाती है।
जनता से अपील और वेब पोर्टल लॉन्च
कांग्रेस ने अपने 'वोट चोरी' के दावों को जनता तक पहुंचाने के लिए रविवार को एक वेब पोर्टल भी लॉन्च किया है। राहुल गांधी ने लोगों से अपील की है कि वे इस पोर्टल पर पंजीकरण करके चुनाव आयोग से जवाबदेही की मांग करें और डिजिटल मतदाता सूची की मांग का समर्थन करें। उन्होंने अपने सोशल मीडिया पोस्ट में कहा कि 'वोट चोरी' लोकतंत्र के मूल सिद्धांत पर हमला है और स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनावों के लिए साफ-सुथरी मतदाता सूची अनिवार्य है। यह पहल विपक्ष की इस लड़ाई को केवल संसद और सड़क तक ही सीमित न रखकर जनता से जोड़ने की कोशिश है।