रीवा-मऊगंज में खाद वितरण व्यवस्था धराशायी, निजी विक्रेता उतरे मैदान में – आंदोलन की चेतावनी Aajtak24 News

रीवा-मऊगंज में खाद वितरण व्यवस्था धराशायी, निजी विक्रेता उतरे मैदान में – आंदोलन की चेतावनी Aajtak24 News

रीवा/मऊगंज - खरीफ की फसल के बीच रीवा और मऊगंज क्षेत्र के किसानों के लिए खाद का संकट गहराता जा रहा है। एक तरफ किसान समय पर खाद न मिलने से त्रस्त हैं, तो दूसरी तरफ निजी खाद विक्रेताओं ने प्रशासनिक अव्यवस्थाओं और बेहद कम मुनाफे के कारण अपना काम अनिश्चितकाल के लिए बंद करने की चेतावनी दे दी है। इस स्थिति ने जिले की खाद वितरण प्रणाली को पूरी तरह से चरमरा दिया है।

जिले में खाद वितरण की बदहाल स्थिति रीवा जिले में कुल 555 निजी लाइसेंसधारी खाद विक्रेता हैं। इनके अतिरिक्त, 10 सहकारी संस्थाएं नकद में खाद बेचती हैं, जबकि 236 शासकीय समितियां किसानों को कर्ज पर खाद उपलब्ध कराती हैं। कलेक्टर के आदेश पर उपखंड स्तर के अधिकारियों और हल्का पटवारियों को वितरण की निगरानी का जिम्मा सौंपा गया था। बावजूद इसके, निजी विक्रेताओं ने 19 अगस्त 2025 से खाद की बिक्री रोक दी है, जिससे किसानों की मुश्किलें और बढ़ गई हैं।

निजी उर्वरक विक्रेताओं की गंभीर शिकायतें निजी उर्वरक विक्रेताओं ने प्रशासन को सौंपे गए अपने आवेदन में कई गंभीर समस्याओं का उल्लेख किया है:

  1. अपर्याप्त आपूर्ति: यूरिया और डीएपी जैसे मुख्य उर्वरकों की पर्याप्त आपूर्ति नहीं हो पा रही है, जिसके चलते किसानों की भारी भीड़ दुकानों पर जमा हो रही है।

  2. असमान आवंटन: शासन की नीति के अनुसार, केवल 30% खाद निजी विक्रेताओं को आवंटित की जाती है, जबकि 70% सरकारी गोदामों से वितरित होती है। 500 से अधिक निजी विक्रेताओं की संख्या के मुकाबले यह आवंटन बहुत कम है, जिससे वितरण में भारी असमानता और विवाद की स्थिति बन रही है।

  3. कंपनी का दबाव: उर्वरक कंपनियां खाद की आपूर्ति के दौरान "सप्लाई डीलिंग" का दबाव बनाती हैं, जिससे समय पर उठाव न होने पर बिलिंग रोक दी जाती है।

  4. अत्यंत कम मार्जिन: डीलरों के लिए यूरिया पर प्रति बोरी केवल ₹2.67 का मामूली मार्जिन निर्धारित किया गया है, जो बढ़ते खर्चों के कारण व्यापार को घाटे में ले जा रहा है।

  5. अनुचित व्यवहार: विक्रेताओं का आरोप है कि मीडिया, किसानों और प्रशासनिक दबाव के कारण उन्हें अपराधियों की तरह देखा जा रहा है, जबकि वे केवल अपना व्यवसाय कर रहे हैं।

विक्रेताओं की अंतिम चेतावनी अपने आवेदन में निजी विक्रेताओं ने स्पष्ट रूप से चेतावनी दी है कि यदि प्रशासन उनकी समस्याओं का तत्काल समाधान नहीं करता है, तो वे मजबूर होकर अपनी दुकानें अनिश्चितकाल के लिए बंद कर देंगे और व्यापक विरोध-प्रदर्शन करेंगे, जिसकी पूरी जिम्मेदारी प्रशासन पर होगी।

किसानों की बढ़ती बेबसी रीवा-मऊगंज क्षेत्र के किसान खाद के लिए लगातार दुकानों के चक्कर काट रहे हैं। पड़ोसी राज्य उत्तर प्रदेश से भी खाद लाने के प्रयास किए जा रहे हैं, लेकिन वहां भी संकट गहराता दिख रहा है। इस निराशा का फायदा उठाकर कुछ किसान सस्ते में खाद खरीदकर कालाबाजारी कर रहे हैं और उसी खाद को ₹500 तक अधिक कीमत पर बेच रहे हैं।

गरमाती राजनीतिक माहौल खाद संकट को लेकर विपक्षी दल कांग्रेस सहित अन्य पार्टियां लगातार सरकार और प्रशासन पर हमलावर हैं। किसान संगठनों ने भी चेतावनी दी है कि यदि खाद की उपलब्धता में जल्द सुधार नहीं हुआ तो वे आंदोलन को और तेज करेंगे।

रीवा-मऊगंज में खाद वितरण की वर्तमान स्थिति किसानों और निजी विक्रेताओं दोनों के लिए एक बड़ी चुनौती बन गई है। जहां किसान समय पर खाद न मिलने से अपनी फसलों को लेकर चिंतित हैं, वहीं निजी विक्रेता घाटे और प्रशासनिक दबाव के चलते अपना व्यवसाय बंद करने की कगार पर हैं। यदि इस समस्या का जल्द समाधान नहीं निकाला गया, तो आने वाले दिनों में स्थिति और भी गंभीर हो सकती है।






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