फर्जीवाड़े की चौंकाने वाली कार्यप्रणाली
एसपी नरेंद्र सिंह मीणा ने इस गैंग की कार्यप्रणाली को बेहद चौंकाने वाला बताया। सताराम अपने नाम या अपने करीबियों के नाम पर महंगे ट्रक और ट्रेलर खरीदता था। इसके बाद वह राजस्थान के अलग-अलग थानों जैसे गुड़ामालानी, बायतू, पचपदरा, जसोल, सिणधरी, आसोप, सेंदड़ा और जैतारण में इन वाहनों की चोरी की झूठी रिपोर्ट दर्ज करवाता था। इन झूठी पुलिस रिपोर्टों को आधार बनाकर वह बीमा कंपनियों से भारी-भरकम क्लेम लेता था। पुलिस की गहन जाँच में पता चला कि यह जालसाज़ी सिर्फ़ क्लेम लेने तक सीमित नहीं थी। सताराम और उसका गैंग गाड़ी की चोरी की शिकायत दर्ज कराने के बाद उस वाहन का अरुणाचल प्रदेश में नया रजिस्ट्रेशन करवा लेता था। नई नंबर प्लेट के साथ वे उन वाहनों को तेल कंपनियों को किराए पर देकर डबल प्रॉफ़िट कमाते थे। इस तरह, एक तरफ़ उन्हें बीमा कंपनी से क्लेम मिल रहा था और दूसरी तरफ़ वही वाहन किराए पर चलाकर अतिरिक्त कमाई हो रही थी।
फर्जी दस्तावेज़ और अस्तित्वहीन गाड़ियाँ
इस धोखाधड़ी की परतें तब और भी ज़्यादा खुल गईं जब पुलिस ने पाया कि कई मामलों में जिन गाड़ियों की चोरी की शिकायत दर्ज की गई थी, उनका कोई अस्तित्व ही नहीं था। सताराम इन फर्जी वाहनों के लिए भी फर्जी दस्तावेज़ तैयार करके उनका बीमा करवाता था। इतना ही नहीं, कुछ मामलों में उसने बीमा क्लेम उठाने के लिए गाड़ियों को जानबूझकर जला भी दिया था। यह दिखाता है कि यह गैंग कितना शातिर था और हर तरह से बीमा कंपनियों को धोखा देने की कोशिश करता था।
राजस्थान के बाहर भी फैला था जाल
पुलिस अधिकारी ने बताया कि सताराम का यह फर्जीवाड़ा सिर्फ़ राजस्थान तक सीमित नहीं था। उसने दिल्ली और गुजरात में भी वाहन चोरी के फर्जी मुकदमे दर्ज कराए थे। गैंग ने एक और तरीका अपनाया था, जिसमें वे टोयोटा कंपनी की हाईलक्स गाड़ियों को फाइनेंस पर खरीदते थे। बीमा क्लेम उठाने के बाद वे इन गाड़ियों को डोडा तस्करों को बेच देते थे। इस तरह की एक हाईलक्स गाड़ी के लिए आसोप (जोधपुर ग्रामीण), दिल्ली और गुजरात में भी फर्जी शिकायतें दर्ज कराई गई थीं। यह एक ऐसा संगठित अपराध था जो कई राज्यों में फैला हुआ था और जिसमें अलग-अलग तरह के वाहन शामिल थे।
विदेश भागने की तैयारी, पुलिस ने दबोचा
सताराम के ख़िलाफ़ 7 अगस्त को थाना गुड़ामालानी में ट्रक चोरी की झूठी एफआईआर दर्ज करवाने और इंश्योरेंस कंपनी में फर्जी क्लेम करने के संबंध में मुकदमा दर्ज हुआ था। जब उसे इस एफआईआर की भनक लगी, तो वह उत्तर प्रदेश से अपनी बेटी को लेकर जयपुर पहुँचा और तुरंत वीजा बनवाने की तैयारी करने लगा। वह विदेश भागकर कानून की गिरफ्त से बचना चाहता था। लेकिन गुड़ामालानी पुलिस ने त्वरित कार्रवाई करते हुए उसे जयपुर से धर दबोचा।
बरामदगी और आगे की कार्रवाई
पुलिस ने अब तक इस गैंग के तीन ऐसे वाहनों को जब्त किया है, जिनकी चोरी की झूठी रिपोर्ट दर्ज कराई गई थी। ये वाहन अरुणाचल प्रदेश से री-रजिस्टर्ड थे और राजस्थान में चलाए जा रहे थे। इस मामले की गंभीरता को देखते हुए, पुलिस ने आयकर विभाग (Income Tax) और प्रवर्तन निदेशालय (ED) को भी जानकारी दी है। इसका उद्देश्य सताराम द्वारा अवैध तरीके से अर्जित की गई संपत्ति की जाँच करना और नए कानूनों के तहत उसे जब्त करना है। यह कार्रवाई इस बात का संकेत है कि पुलिस इस मामले को सिर्फ़ धोखाधड़ी तक सीमित नहीं रखेगी बल्कि इसकी आर्थिक जड़ों तक पहुँचेगी ताकि इस तरह के अपराध को जड़ से ख़त्म किया जा सके। यह पूरा मामला संगठित अपराध की एक नई मिसाल पेश करता है, जिसमें आधुनिक तकनीक और संगठित जालसाज़ी का इस्तेमाल करके करोड़ों रुपये का चूना लगाया गया। पुलिस की सतर्कता से इस बड़े फर्जीवाड़े का समय रहते पर्दाफाश हो सका।