जेल से नहीं चलेगी सरकार: अमित शाह का विपक्ष पर करारा वार, राहुल-केजरीवाल को दिखाया आईना Aajtak24 News

जेल से नहीं चलेगी सरकार: अमित शाह का विपक्ष पर करारा वार, राहुल-केजरीवाल को दिखाया आईना Aajtak24 News

नई दिल्ली - केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने हाल ही में संसद में पेश किए गए 130वें संविधान संशोधन विधेयक पर विपक्ष के विरोध को लेकर तीखी प्रतिक्रिया दी है। इस विधेयक में यह प्रावधान किया गया है कि यदि प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री या कोई भी मंत्री किसी गंभीर आपराधिक आरोप में 30 दिन से अधिक समय तक जेल में रहते हैं, तो उन्हें पद छोड़ना होगा। अगर वे ऐसा नहीं करते हैं, तो 31वें दिन उनका पद स्वतः ही समाप्त हो जाएगा। अमित शाह ने एक विशेष इंटरव्यू के दौरान विपक्ष पर निशाना साधते हुए कहा कि जेल से सरकार चलाना लोकतंत्र की गरिमा के ख़िलाफ़ है और वे इस सोच को पूरी तरह से खारिज करते हैं।

विधेयक का उद्देश्य और विपक्ष का विरोध

अमित शाह ने इस विधेयक का बचाव करते हुए कहा कि इसका उद्देश्य देश में राजनीतिक शुचिता बनाए रखना है। उन्होंने कहा, "संसद में चुनी हुई सरकार कोई भी विधेयक या संवैधानिक संशोधन लाए, इसे सदन के समक्ष रखने में क्या आपत्ति हो सकती है?" उन्होंने स्पष्ट किया कि इस बिल को संयुक्त संसदीय समिति (JPC) को भेजा जाएगा, जहाँ विपक्ष अपनी राय रख सकता है और मतदान के दौरान भी अपना मत व्यक्त कर सकता है। विपक्ष के विरोध पर उन्होंने सवाल उठाया कि क्या संसद बहस और चर्चा के लिए है या फिर शोर-शराबे और हंगामे के लिए? उन्होंने कहा कि यह मानसिकता अलोकतांत्रिक है और विपक्ष को जनता के सामने इसका जवाब देना होगा।

राहुल गांधी और केजरीवाल पर सीधा हमला

अमित शाह ने अपने इंटरव्यू में कांग्रेस और आम आदमी पार्टी पर दोहरे मानदंडों का आरोप लगाया। उन्होंने 2013 की एक घटना का ज़िक्र किया, जब तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की सरकार एक अध्यादेश लाई थी, जिसका उद्देश्य लालू प्रसाद यादव को अयोग्य होने से बचाना था। उस अध्यादेश को राहुल गांधी ने सार्वजनिक रूप से फाड़ दिया था। शाह ने कहा, "अगर उस दिन वह नैतिकता थी, तो आज क्या दिक्कत है? सिर्फ इसलिए कि आप लगातार तीन चुनाव हार गए हैं?" उन्होंने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल पर भी सीधा हमला बोला। शाह ने कहा कि आजादी के बाद यह पहला मौका है जब कोई नेता जेल जाने के बाद भी अपने पद से इस्तीफा नहीं दे रहा है। उन्होंने कहा, "क्या किसी को जेल से सरकार चलानी चाहिए? क्या इससे दुनिया में भारत के लोकतंत्र को सम्मान मिलेगा?" उन्होंने आरोप लगाया कि विपक्ष आज भी यह कोशिश कर रहा है कि अगर वे जेल जाते हैं तो वहीं से सरकार चलाएंगे, और यह लोकतंत्र की गरिमा के ख़िलाफ़ है।

प्रधानमंत्री मोदी ने खुद को भी बिल में शामिल किया

अमित शाह ने इस विधेयक की गंभीरता को रेखांकित करते हुए एक बड़ा खुलासा किया। उन्होंने बताया कि जब इस बिल का मसौदा तैयार हो रहा था, तब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खुद जोर देकर कहा कि इसमें प्रधानमंत्री का पद भी शामिल किया जाए। शाह ने कहा, "अब अगर प्रधानमंत्री जेल जाता है, तो उसे भी इस्तीफा देना होगा।" उन्होंने कहा कि यह विधेयक किसी भी छुटपुट आरोप पर लागू नहीं होगा, बल्कि उन गंभीर मामलों में होगा जिनमें 5 साल से अधिक की सज़ा का प्रावधान है। उन्होंने कहा कि यह आरोप गलत हैं कि यह विधेयक विपक्षी नेताओं के उत्पीड़न के लिए है, क्योंकि देश में अदालतें हैं जो 30 दिनों के भीतर जमानत दे सकती हैं। यदि किसी को जमानत मिल जाती है, तो वह फिर से शपथ लेकर अपना पद संभाल सकता है।

उपराष्ट्रपति चुनाव और जगदीप धनखड़ के इस्तीफे पर भी बोले शाह

अपने इंटरव्यू में अमित शाह ने सिर्फ विधेयक पर ही बात नहीं की, बल्कि उपराष्ट्रपति चुनाव और पूर्व उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के इस्तीफे पर भी सरकार का पक्ष रखा। उन्होंने महाराष्ट्र के राज्यपाल सी.पी. राधाकृष्णन को एनडीए का उपराष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाए जाने का समर्थन किया और इसे एक स्वाभाविक फैसला बताया, क्योंकि राष्ट्रपति पूर्व से और प्रधानमंत्री उत्तर और पश्चिम से हैं, इसलिए उपराष्ट्रपति दक्षिण भारत से होना चाहिए। उन्होंने कहा कि राधाकृष्णन का चयन 2026 के तमिलनाडु चुनावों से जोड़ना गलत है। उन्होंने कहा कि उनका राजनीतिक जीवन लंबा और बेदाग रहा है, और आरएसएस से उनका जुड़ाव कोई नकारात्मक पहलू नहीं है। जगदीप धनखड़ के इस्तीफे पर उठ रहे सवालों के जवाब में शाह ने कहा कि धनखड़ ने स्वास्थ्य कारणों से इस्तीफा दिया है और विपक्ष के 'हाउस अरेस्ट' वाले आरोप पूरी तरह गलत हैं। उन्होंने कहा कि उनका इस्तीफा पत्र खुद स्पष्ट है, और बेवजह इस पर हंगामा नहीं होना चाहिए। उन्होंने कांग्रेस नेता राहुल गांधी और जयराम रमेश के बयानों को भी निराधार बताया।

सलवा जुडूम पर भी साधा निशाना

अमित शाह ने इंडिया गठबंधन और सेवानिवृत्त सुप्रीम कोर्ट जज बी. सुदर्शन रेड्डी पर भी निशाना साधा। उन्होंने कहा कि रेड्डी की 2011 में सलवा जुडूम को अवैध और असंवैधानिक बताने वाली टिप्पणी के कारण नक्सलवाद, जो लगभग खत्म हो गया था, दो दशक और जिंदा रहा। उन्होंने राहुल गांधी से सवाल किया कि आखिर विपक्ष ने ऐसे उम्मीदवार को क्यों चुना, जिसकी टिप्पणी ने नक्सलियों को बचाया। शाह ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के रिकॉर्ड में यह है कि सलवा जुडूम को ख़त्म कर आदिवासियों के आत्मरक्षा के अधिकार को छीना गया, जिससे नक्सली फिर से सक्रिय हो गए।

अमित शाह की नैतिकता पर टिप्पणी

अमित शाह ने कहा कि नैतिकता के मानक चुनाव में जीत या हार से नहीं जुड़े होते, बल्कि उन्हें सूरज और चंद्रमा की तरह स्थिर रहना चाहिए। उन्होंने जोर देकर कहा कि जेल में बैठे व्यक्ति से देश नहीं चल सकता और यह सोच लोकतंत्र के लिए हानिकारक है। कुल मिलाकर, अमित शाह का यह इंटरव्यू विपक्ष पर एक व्यापक हमला था, जिसमें उन्होंने 130वें संविधान संशोधन विधेयक का जोरदार बचाव किया और इसे देश की राजनीतिक व्यवस्था में शुचिता लाने वाला कदम बताया। उन्होंने विपक्ष पर दोहरे मापदंड अपनाने और संसद को बाधित करने का आरोप लगाया, जबकि सरकार की नीतियों और फैसलों को स्पष्ट रूप से सही ठहराया।

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