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MP में सरकारी पैसे की हेराफेरी: पंचायत में 4000 रुपये के फोटोकॉपी बिल पर सरपंच-सचिव की लापरवाही उजागर, शासन पर उठे सवाल sawal Aajtak24 News |
शहडोल/मध्य प्रदेश - मध्य प्रदेश में सरकारी कामकाज और वित्तीय प्रबंधन में व्याप्त भ्रष्टाचार का एक और चौंकाने वाला मामला सामने आया है। शहडोल जिले की जयसिंह नगर जनपद पंचायत के तहत आने वाली कुदरी ग्राम पंचायत में एक ऐसा बिल पास किया गया है, जिसने न सिर्फ स्थानीय अधिकारियों को बल्कि पूरे प्रदेश को हैरान कर दिया है। यह मामला सिर्फ दो पन्नों की फोटोकॉपी का है, जिसके लिए ग्राम पंचायत ने 4,000 रुपये का भारी-भरकम भुगतान किया है। यह राशि प्रति फोटोकॉपी 2,000 रुपये की चौंकाने वाली दर से लगाई गई है, जबकि सामान्य तौर पर एक फोटोकॉपी की कीमत 2 से 5 रुपये के बीच होती है। यह घोटाला तब उजागर हुआ जब बिल की एक कॉपी सोशल मीडिया पर वायरल हुई। बिल में साफ तौर पर दिखाया गया है कि दो पन्नों की फोटोकॉपी के लिए 4 हजार रुपये का भुगतान किया गया है। बिल पर ग्राम पंचायत की सरपंच चंद्रवती सिंह और सचिव गुलाब सिंह के हस्ताक्षर और मुहर भी लगी हुई है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि यह भुगतान उनकी स्वीकृति से हुआ है। इस घटना ने सरपंच और सचिव की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं, क्योंकि इतनी बड़ी अनियमितता पर उन्होंने कोई ध्यान नहीं दिया।
मामले की जानकारी मिलने पर सरपंच चंद्रवती सिंह ने अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ते हुए कहा कि उन्हें इस बिल के बारे में कोई जानकारी नहीं है। उन्होंने कहा कि "सचिव ने जिस तरह के बिल में दस्तखत कराए होंगे, मैंने वैसे ही कर दिए होंगे। उसमें क्या मात्रा और क्या दर है, इस संबंध में मैं अधिकारियों से चर्चा करूंगी।" सरपंच का यह बयान उनकी घोर लापरवाही को दर्शाता है, क्योंकि एक सरपंच के रूप में उनका यह कर्तव्य है कि वे किसी भी भुगतान को पास करने से पहले उसकी पूरी जांच करें। वहीं, कुदरी पंचायत के वर्तमान सचिव हेमराज कहार ने इस बिल के बारे में कहा कि यह भुगतान उनके कार्यकाल का नहीं है और यह पहले के सचिव के समय में हुआ होगा। उन्होंने यह भी माना कि बिल बनाने में जरूर गड़बड़ी हुई है, जिसमें 'दर' की जगह 'मात्रा' और 'मात्रा' की जगह 'दर' लिख दिया गया है। उनका यह बयान भी सरकारी तंत्र की कमजोरी को दर्शाता है, क्योंकि किसी भी बिल का भुगतान होने से पहले उसकी सही जांच करना संबंधित अधिकारियों की जिम्मेदारी होती है।
इस पूरे मामले में एक और चौंकाने वाला तथ्य सामने आया है। जिस दुकान से फोटोकॉपी का बिल लगाया गया है, उसका नाम 'महाराज फोटोकॉपी सेंटर' है, लेकिन बिल 'राज फोटोकॉपी सेंटर एवं डिजिटल स्टूडियो' के नाम से बनाया गया है। इस विसंगति ने इस पूरे मामले को और भी संदिग्ध बना दिया है। दुकान संचालक अनिलेश चतुर्वेदी का कहना है कि पंचायत के सभी दस्तावेजी काम उनकी ही दुकान से होते हैं, लेकिन 2 हजार रुपये प्रति कॉपी किस दस्तावेज के हुए हैं, यह उन्हें याद नहीं।
यह कुदरी ग्राम पंचायत में सरकारी पैसे के दुरुपयोग का पहला मामला नहीं है। इससे पहले भी इस पंचायत में 14 किलो ड्राइफूड और 24 लीटर ऑयल पेंट के बिलों में भी घोटाले सामने आ चुके हैं। ये लगातार हो रहे घोटाले इस बात का प्रमाण हैं कि पंचायत स्तर पर वित्तीय प्रबंधन और निगरानी में गंभीर खामियां हैं। स्थानीय लोगों ने इस मामले की उच्च स्तरीय जांच की मांग की है और दोषियों पर सख्त कार्रवाई की अपील की है ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोका जा सके। कलेक्टर ने भी इस मामले को संज्ञान में लेते हुए जांच कराने की बात कही है, जिससे उम्मीद है कि इस घोटाले के पीछे के असली culprits का पर्दाफाश हो पाएगा।