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पिठोरी अमावस्या 2025: पितरों का तर्पण और संतान की समृद्धि का महापर्व Aajtak24 News |
नई दिल्ली - भाद्रपद महीने की अमावस्या तिथि को पिठोरी अमावस्या के रूप में मनाया जाता है। इस दिन का हिंदू धर्म में विशेष महत्व है, क्योंकि यह माताओं द्वारा अपनी संतान की लंबी आयु और अच्छे स्वास्थ्य के लिए किए जाने वाले व्रत से जुड़ा है। इसके साथ ही, यह दिन पितरों का श्राद्ध, तर्पण और स्नान-दान के लिए भी बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। इस साल, पिठोरी अमावस्या आज, 22 अगस्त 2025 को है। इसे कुशोत्पाटिनी अमावस्या भी कहते हैं।
पूजा विधि और व्रत का महत्व
पिठोरी अमावस्या का व्रत मुख्य रूप से संतान की सुरक्षा और समृद्धि के लिए रखा जाता है। इस दिन माताएं देवी दुर्गा की 64 योगिनियों और भगवान शिव की पूजा करती हैं। मान्यता है कि इस व्रत के प्रभाव से संतान को हर तरह के कष्टों से मुक्ति मिलती है और उनके जीवन में सुख-समृद्धि आती है।
पूजा की विधि:
सुबह जल्दी उठकर पवित्र नदी या सरोवर में स्नान करें। यदि यह संभव न हो, तो घर में ही नहाने के पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान कर सकते हैं।
स्नान के बाद, व्रत का संकल्प लें और मन में देवी दुर्गा और भगवान शिव का ध्यान करें।
पूजा के लिए एक वेदी पर लाल या पीला कपड़ा बिछाएं और देवी-देवताओं की मूर्ति स्थापित करें।
दूर्वा, फूल, रोली, चंदन, अक्षत (चावल) अर्पित करें और दीपक जलाएं।
इस दिन आटे से बनी पिठोरी माता की मूर्ति की पूजा विधिपूर्वक की जाती है।
पिठोरी अमावस्या की कथा पढ़ें या सुनें।
इसके बाद देवी की आरती करें और फल व मिष्ठान का भोग लगाएं।
पूजा के बाद, यह भोग बच्चों को प्रसाद के रूप में दें। इस दिन तामसिक चीजों (मांस-मदिरा) से दूर रहना चाहिए।
स्नान-दान और पितृ तर्पण का समय
पिठोरी अमावस्या पितरों को याद करने और उनका आशीर्वाद लेने का एक महत्वपूर्ण अवसर है। इस दिन स्नान और दान का विशेष महत्व होता है। 22 अगस्त को सुबह 11:55 बजे से अमावस्या तिथि शुरू होगी और अगले दिन सुबह 11:35 बजे तक रहेगी, इसलिए इस पूरे समय में स्नान-दान और पितरों से संबंधित कार्य किए जा सकते हैं।
पवित्र नदी में स्नान के बाद सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है।
इस दिन पितरों को तिल, जल और अन्न अर्पित किया जाता है।
पितरों को तर्पण और पिंडदान करने से पितृ दोष का निवारण होता है और परिवार में सुख-शांति आती है।
इस दिन ब्राह्मणों को भोजन और दान देने का भी विशेष महत्व है।
शुभ मुहूर्त और अन्य महत्वपूर्ण बातें
अमावस्या तिथि का समय: 22 अगस्त, 2025 को सुबह 11:55 बजे से शुरू होकर 23 अगस्त, 2025 को सुबह 11:35 बजे समाप्त होगी।
कुशोत्पाटिनी अमावस्या: भादो की अमावस्या को कुशोत्पाटिनी अमावस्या भी कहते हैं, जिसका अर्थ 'कुशा का संग्रह करना' है। इस दिन धार्मिक कार्यों में उपयोग होने वाली कुशा का संग्रह किया जाता है।
पूजा मंत्र: इस दिन पितरों के लिए 'ऊं पितृभ्यः स्वधायिभ्यः स्वाहा' और अन्य मंत्रों का जाप किया जाता है।
शुभ मुहूर्त:
ब्रह्म मुहूर्त: सुबह 04:26 बजे से 05:10 बजे तक
अभिजित मुहूर्त: सुबह 11:58 बजे से दोपहर 12:50 बजे तक
विजय मुहूर्त: दोपहर 02:34 बजे से 03:26 बजे तक
गोधूलि मुहूर्त: शाम 06:53 बजे से 07:15 बजे तक
निशिता मुहूर्त: 23 अगस्त को 12:02 बजे से 12:46 बजे तक
पिठोरी अमावस्या का पर्व न केवल पितरों को शांति और सम्मान देता है, बल्कि यह हमारे जीवन को एक नई दिशा और सकारात्मक ऊर्जा भी प्रदान करता है।