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जबलपुर बैंक डकैती का पर्दाफाश: ₹15 करोड़ की लूट की साजिश छत्तीसगढ़ की जेल में रची गई थी, 4 बदमाश गिरफ्तार Aajtak24 News |
जबलपुर - मध्य प्रदेश के जबलपुर में हुई 15 करोड़ की बैंक डकैती का पुलिस ने बड़ा खुलासा किया है। सिहोरा तहसील के खितौला इलाके में स्थित ईएसएएफ स्मॉल फाइनेंस बैंक से हुई इस सनसनीखेज वारदात की पूरी साजिश छत्तीसगढ़ की एक जेल में रची गई थी। पुलिस ने इस मामले में चार स्थानीय बदमाशों को गिरफ्तार किया है, जबकि लूट को अंजाम देने वाला झारखंड का एक कुख्यात गैंग 15 करोड़ रुपये का सोना लेकर फरार है। पुलिस की पांच टीमें अब फरार लुटेरों की तलाश में देश के अलग-अलग हिस्सों में दबिश दे रही हैं।
सिर्फ 20 मिनट में 15 करोड़ की डकैती
यह घटना 11 अगस्त, सोमवार की सुबह करीब 8 बजकर 50 मिनट की है, जब खितौला इलाके का बैंक अपने नियमित कामकाज की शुरुआत कर रहा था। हेलमेट पहने तीन नकाबपोश युवक अचानक बैंक में घुस गए। अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक सूर्यकांत शर्मा के अनुसार, इन बदमाशों के पास पिस्टल थी। उन्होंने कर्मचारियों को कट्टे की नोक पर धमकाकर लॉकर की चाबी मांगी। बैंक के अंदर उस वक्त सिर्फ चार कर्मचारी मौजूद थे, जो डकैतों के सामने बेबस थे। इन शातिर बदमाशों ने महज 20 मिनट में लॉकर से लगभग 14 किलो 875 ग्राम सोना और 5 लाख 8 हजार रुपये नकद लूट लिए। बैंक के बाहर उनके दो अन्य साथी मोटरसाइकिल लेकर इंतजार कर रहे थे। लूट को अंजाम देने के बाद सभी आरोपी मोटर साइकिल पर बैठकर फरार हो गए।
जेल की दोस्ती बनी बैंक डकैती की बुनियाद
पुलिस के लिए यह मामला एक बड़ी चुनौती था। सीसीटीवी फुटेज से पता चला कि आरोपी हाईवे छोड़कर मझौली रोड की तरफ गए थे और इंद्राना गांव में उन्होंने अपने कपड़े बदले थे, लेकिन इसके बाद उनकी कोई लोकेशन नहीं मिल रही थी। पुलिस की गहन जांच में चौंकाने वाला खुलासा हुआ। इस पूरी वारदात का मास्टरमाइंड पाटन निवासी रईस सिंह लोधी है, जो मादक पदार्थों की तस्करी के आरोप में छत्तीसगढ़ की रायगढ़ जेल में बंद था। इसी दौरान उसकी मुलाकात डकैती के अपराध में जेल में बंद झारखंड के एक कुख्यात गैंग के सदस्यों से हुई। जेल के अंदर ही इन दोनों ने मिलकर इस बड़ी बैंक डकैती की योजना बनाई थी।
स्थानीय मददगारों ने निभाई अहम भूमिका
पुलिस ने गिरफ्तार किए गए चारों आरोपियों की पहचान रईस लोधी, सोनू वर्मन, हेमराज और विकास चक्रवर्ती के रूप में की है। पुलिस के अनुसार, इन चारों ने वारदात को अंजाम देने वाले झारखंड गैंग की मदद की थी। योजना के तहत, झारखंड गैंग के पांच सदस्य जबलपुर आए। रईस के साथी सोनू वर्मन ने आरोपियों को अपने गांव इंद्राना में किराए का कमरा दिलाया। ताकि किसी को शक न हो, उन्होंने फर्जी आधार कार्ड बनवाकर खुद को एक फाइनेंस कंपनी का कर्मचारी बताया। सोनू ने इस गैंग को पूरे इलाके के रास्तों से परिचित कराया और बैंक की रेकी में भी मदद की। डकैती को अंजाम देने के लिए रईस के दूसरे साथी हेमराज के नाम पर एक नई मोटरसाइकिल भी फाइनेंस कराई गई थी। वारदात के बाद, सभी पांचों आरोपी इंद्राना में किराए के कमरे में पहुंचे, जहां उन्होंने कपड़े बदले। इसके बाद रईस और हेमराज ने उन्हें सुरक्षित दमोह तक पहुंचाया। दमोह में रईस के एक और साथी विकास चक्रवर्ती ने उनके रहने और खाने-पीने की व्यवस्था की। विकास ने ही उन्हें स्टेशन तक छोड़ा और कोलकाता एक्सप्रेस से झारखंड जाने के लिए ट्रेन का टिकट भी दिलवाया।
करोड़ों का सोना अभी भी झारखंड गैंग के पास
अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक शर्मा ने बताया कि पुलिस ने गिरफ्तार आरोपियों के पास से 1 लाख 83 हजार रुपये नकद, एक कट्टा, चार कारतूस, दो मोटरसाइकिल और चार मोबाइल फोन जब्त किए हैं। हालांकि, लूट का लगभग 15 करोड़ रुपये का सोना अभी तक बरामद नहीं हो सका है। पुलिस जांच में सामने आया है कि झारखंड गैंग के सदस्य सारा सोना अपने साथ ले गए हैं। उन्होंने सोना बेचने और पकड़े जाने के डर से बंटवारा नहीं किया। उन्होंने अपने स्थानीय मददगारों को यह भरोसा दिलाया कि वे सोने को बिस्किट के रूप में बदलकर उनका हिस्सा बाद में भेज देंगे। इस खुलासे के बाद, पुलिस की पांच विशेष टीमों को झारखंड गैंग की गिरफ्तारी के लिए उनके संभावित ठिकानों पर रवाना किया गया है। पुलिस का मानना है कि फरार आरोपियों की गिरफ्तारी के बाद ही लूट का पूरा सोना बरामद हो सकेगा और इस अंतरराज्यीय आपराधिक गिरोह का पर्दाफाश होगा।