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'विंध्य वसुंधरा समाचार' की खबर का असर: मनगवां में मौत का बोरवेल आखिरकार बंद हुआ, प्रशासन की तत्परता पर सवाल बरकरार barkarar Aajtak24 News |
रीवा/मध्य प्रदेश - विंध्य वसुंधरा समाचार' की गंभीर रिपोर्टिंग का बड़ा असर हुआ है। मनगवां तहसील की ग्राम पंचायत गढ़ स्थित आंगनबाड़ी केंद्र में पिछले एक साल से खुला पड़ा खतरनाक बोरवेल, जो मासूमों की जान के लिए खतरा बना हुआ था, उसे आखिरकार बंद कर दिया गया है। यह कार्रवाई नायब तहसीलदार मनोज सिंह के निर्देश पर पंचायत और राजस्व विभाग की संयुक्त टीम ने मिलकर की।
एक साल से मंडरा रहा था खतरा
यह वही बोरवेल था जिसे लेकर क्षेत्रीय लोग महीनों से डरे हुए थे। व्यस्त तिराहे के पास स्थित आंगनबाड़ी केंद्र में प्रतिदिन सैकड़ों बच्चे, किशोरियाँ और गर्भवती महिलाएँ आती थीं। यह खुला बोरवेल उनके लिए 'मौत के कुएँ' जैसा बन चुका था। बच्चों के खेलते-खेलते उसकी ओर दौड़ जाने की घटनाएँ आम थीं, पर प्रशासन इस पर मौन रहा। 'विंध्य वसुंधरा समाचार' ने 30 जून को इस संवेदनशील खबर को प्रमुखता से प्रकाशित किया, जिसके बाद प्रशासन हरकत में आया।
खबर छपी, 24 घंटे में हुई कार्रवाई
समाचार प्रकाशित होने के अगले ही दिन, नायब तहसीलदार मनोज सिंह ने मामले को बेहद गंभीरता से लिया और तत्काल संबंधित विभागों को कार्रवाई के निर्देश दिए। निर्देशों के कुछ ही घंटों के भीतर कर्मचारियों की एक टीम मौके पर पहुँची और बोरवेल को मिट्टी-पत्थर से पूरी तरह भरकर सुरक्षित कर दिया गया। इसके साथ ही, आंगनबाड़ी परिसर को साफ-सुथरा और सुरक्षित बनाने के निर्देश भी दिए गए हैं।
तत्परता सराहनीय, पर लापरवाही पर सवाल
यह राहत की बात है कि एक बड़ा संभावित हादसा टल गया, पर अब भी कई गंभीर सवाल खड़े होते हैं। इतने स्पष्ट खतरों और जिला कलेक्टर के पूर्व निर्देशों के बावजूद, यह बोरवेल पूरे एक साल तक खुला क्यों रहा? क्या इस घोर लापरवाही के लिए किसी अधिकारी या कर्मचारी की जवाबदेही तय की जाएगी? यह घटना एक बार फिर मीडिया की जनहितैषी भूमिका को साबित करती है। 'विंध्य वसुंधरा समाचार' की पड़ताल के बिना, यह बोरवेल किसी दिन एक मासूम की जान ले सकता था। अब ज़रूरत है कि प्रशासन ऐसे सभी खुले बोरवेलों और खतरनाक ढाँचों की व्यापक जाँच करे और बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए स्थायी उपाय करे, ताकि भविष्य में ऐसे हादसों को रोका जा सके।