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वडोदरा पुल हादसा: 13 की मौत, टोल से बचने की लापरवाही ने ली जान jan Aajtak24 News |
वडोदरा - बुधवार को गुजरात के वडोदरा में एक हृदय विदारक पुल हादसे ने पूरे प्रदेश को स्तब्ध कर दिया। वडोदरा और आणंद जिलों को जोड़ने वाला लगभग 40 साल पुराना (1985 में निर्मित) गंभीरा पुल अचानक ढह गया, जिससे अब तक 13 लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि कुछ अन्य लापता लोगों की तलाश अभी भी जारी है। महिसागर नदी पर बने इस पुल का एक हिस्सा भरभरा कर गिरने से दो ट्रक, एक एसयूवी, एक पिकअप वैन और एक ऑटो रिक्शा नदी में समा गए, वहीं एक टैंकर पुल के मुहाने पर लटका रह गया, जो भयावह मंजर को बयां कर रहा था।
टोल टैक्स से बचने की होड़ और लापरवाही का जानलेवा खेल
इस दर्दनाक हादसे के पीछे के कारणों की शुरुआती जांच में एक चौंकाने वाली और गंभीर वजह सामने आई है: टोल टैक्स से बचने के लिए भारी वाहनों की अंधाधुंध आवाजाही। मुंबई-अहमदाबाद नेशनल हाईवे पर लगने वाले टोल से बचने के लिए, भारी मालवाहक वाहन नियमित रूप से इस पुराने और जर्जर हो चुके पुल का इस्तेमाल करते थे। ऐसा करने से न केवल उन्हें टोल टैक्स की बचत होती थी, बल्कि उन्हें 30-35 किलोमीटर का अतिरिक्त सफर भी कम तय करना पड़ता था।
स्थानीय निवासियों ने लंबे समय से इस पुल की खराब हालत और भारी वाहनों की आवाजाही से होने वाले खतरे के प्रति आगाह किया था। बोरसाद गांव के निवासी देवेंद्र पटेल ने बताया, "हर बार जब यहां से कोई भारी वाहन गुजरता था तो पुल का स्पैन हिलता हुआ दिखता था। यह तो होना ही था।" उनकी यह बात बुधवार दोपहर को सच साबित हो गई और एक बड़ी लापरवाही का भयानक परिणाम सामने आया।
दशकों पुरानी मांग को अनसुना करना पड़ा भारी
यह पुल वडोदरा और आणंद जिलों के बीच एक महत्वपूर्ण कड़ी था और बेहद व्यस्त रहता था। पुल की लंबाई 900 मीटर थी और यह 23 मजबूत खंभों पर टिका था। लेकिन समय के साथ इसकी उम्र पूरी हो चुकी थी। अधिकारियों के मुताबिक, बामनगाम और आसपास के लोगों की यह पुरानी मांग रही थी कि बार-बार मरम्मत कराने के बजाय एक नए पुल का निर्माण किया जाए। इस मामले से अवगत एक अधिकारी ने बताया कि सरकार ने नवंबर 2024 में 217 करोड़ रुपये की लागत से एक नए पुल के निर्माण के लिए प्रस्ताव पास किया था। हालांकि, यह निर्णय तब लिया गया जब पुल अपनी अंतिम सांसें गिन रहा था।
आपराधिक लापरवाही के आरोप और मुआवजे का ऐलान
इस हादसे को लेकर राजनीतिक गलियारों में भी उबाल है। राज्य विधानसभा में विपक्ष के नेता अमित चावड़ा ने सीधे तौर पर राज्य सरकार पर आपराधिक लापरवाही का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा, "कांग्रेस नेताओं समेत स्थानीय लोगों ने प्रशासन से कई बार कहा था कि पुल की हालत बहुत खराब है। हमने कहा था कि 40 साल का होने के कारण अब पुल का समय पूरा हो चुका है। हालांकि, सरकार ने इन शिकायतों पर कोई ध्यान नहीं दिया। राज्य सरकार की आपराधिक लापरवाही के कारण पुल ढह गया। हम इस गंभीर लापरवाही के लिए ज़िम्मेदार लोगों की जांच और सज़ा की मांग करते हैं।"
हादसे पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गहरा दुख व्यक्त किया है। उन्होंने गुजरात के वडोदरा जिले में पुल ढहने से हुई जान-माल की हानि को बेहद दुखद बताया और शोक संतप्त परिवारों के प्रति संवेदना व्यक्त की। प्रधानमंत्री ने प्रधानमंत्री राष्ट्रीय राहत कोष से प्रत्येक मृतक के परिजनों को 2 लाख रुपये और घायलों को 50,000 रुपये की अनुग्रह राशि देने की घोषणा की है। मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने इस दर्दनाक हादसे की वजहों का पता लगाने के लिए जांच के आदेश दिए हैं। अब देखना यह है कि यह जांच क्या सामने लाती है और क्या भविष्य में ऐसे हादसों को रोकने के लिए ठोस कदम उठाए जाते हैं।