![]() |
"कृषि के बिना भारत की पहचान अधूरी": कृषि मंत्री शिवराज सिंह का किसानों से सीधा संवाद samwad Aajtak24 News |
पानीपत - केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण और ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने 31 मई 2025 को हरियाणा के पानीपत में आयोजित "विकसित कृषि संकल्प अभियान" के दौरान किसानों के साथ एक मर्मस्पर्शी संवाद किया। अपने ओजस्वी संबोधन में उन्होंने स्पष्ट किया कि कृषि के बिना भारत की पहचान अधूरी है और देश की सीमाओं की रक्षा करने वाले जवान और खेतों में पसीना बहाने वाले किसान ही भारत के सच्चे आधार हैं। उन्होंने यह भी रेखांकित किया कि किसानों से जुड़े कोई भी कार्यक्रम तब तक अधूरे हैं, जब तक उनमें खेतों का वास्तविक दौरा शामिल न हो।
खेतों से सीधी सीख: किसानों की समस्याओं को जानने का अनूठा प्रयास
अपने निर्धारित कार्यक्रम की शुरुआत से पहले, केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने एक अनूठी पहल करते हुए सीधे किसानों के बीच खेतों में जाकर उनसे बातचीत की। उन्होंने विविध तरीकों से की जा रही खेती-किसानी के बारे में गहरी जानकारी ली। इस दौरान उन्होंने किसान रामप्रसाद के खेत का विशेष दौरा किया, जहां उन्होंने न केवल पारंपरिक लाल तरबूज, बल्कि पीले और संतरी तरबूज की शानदार और स्वाद से भरपूर खेती देखी। चौहान ने किसान रामप्रसाद की इस अभिनव कृषि पद्धति की भूरी-भूरी प्रशंसा की और इसे गेहूं की खेती के साथ-साथ कृषि विकास के लिए एक बेहतरीन उदाहरण बताया। उन्होंने मुख्य कार्यक्रम में अपने अनुभव साझा करते हुए कहा, "आज भी मैंने खेत में जाकर हमारे किसान भाइयों से बात की, जिनमें से एक हैं रामप्रसाद, जिनके खेत में मैं गया। एक कृषि मंत्री की असली भूमिका किसानों से बातचीत करना, उनके पास जाकर समस्याएं सुनना और उनके समाधान के बारे में बताना है।
"मेरे रोम-रोम में किसान": देश की अर्थव्यवस्था की रीढ़ है कृषि
शिवराज सिंह चौहान ने भावनात्मक लहजे में कहा कि कृषि आज भी भारत की अर्थव्यवस्था की रीढ़ है और किसान उसकी आत्मा हैं। उन्होंने अपनी जड़ों से जुड़ते हुए कहा, "मुझे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तरफ से कृषि और ग्रामीण विकास मंत्रालय का दायित्व दिया गया है। मेरे रोम-रोम में किसान है और हर सांस में खेती है। मैं खेती को जीने की कोशिश कर रहा हूं। मैं किसान का बेटा हूं। ट्रैक्टर भी चलाता हूं। बोवनी भी करता हूं।" उन्होंने बार-बार इस बात पर जोर दिया कि खेती के बिना हिंदुस्तान की पहचान अधूरी है। उन्होंने सीमा पर तैनात जवानों के शौर्य और खेतों में डटे किसानों के अथक परिश्रम को देश के दो अनमोल आधार स्तंभ बताया।
सिंधु जल संधि और 'विकसित कृषि संकल्प अभियान' की दूरगामी सोच
कृषि मंत्री ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सिंधु जल समझौता स्थगित करने के लिए धन्यवाद ज्ञापित किया। उन्होंने इस समझौते को एक ऐतिहासिक अन्यायपूर्ण समझौता करार दिया, जिसके तहत हमारी नदियों का 80 प्रतिशत पानी पाकिस्तान को दिया जाता था। अब यह पानी भारत के अपने किसानों और खेती के लिए उपयोग किया जाएगा, जिससे पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश और जम्मू-कश्मीर के लाखों किसानों को सीधा लाभ मिलेगा और हरियाणा तक पानी की लहर बहेगी।
चौहान ने 'विकसित कृषि संकल्प अभियान' की परिकल्पना को भी विस्तार से समझाया। उन्होंने बताया कि इस अभियान का मुख्य उद्देश्य किसानों और वैज्ञानिकों को जोड़कर 'लैब टू लैंड' (प्रयोगशाला से खेत तक) की दिशा में आगे बढ़ना है। उन्होंने कहा कि रिसर्च का फायदा सीधे किसानों तक पहुंचे, इसके लिए 16 हजार वैज्ञानिकों की 2170 टीमें बनाई गई हैं, जो गांव-गांव जाकर किसानों से संवाद कर रही हैं। उन्होंने भारतीय वैज्ञानिकों द्वारा धान की दो नई किस्मों के सफल विकास का भी उल्लेख किया, जिनमें 30 प्रतिशत अधिक उत्पादन और 20 प्रतिशत कम पानी की खपत होगी। उन्होंने कहा, "अब रियल टाइम में किसानों को बताएं कि ये चीज है इस पर ये चीज लगाओ इसलिए बना है 'विकसित कृषि संकल्प अभियान'।
संतुलित उर्वरक प्रयोग और प्राकृतिक खेती का आह्वान
केंद्रीय कृषि मंत्री ने उर्वरकों के संतुलित उपयोग पर विशेष जोर दिया। उन्होंने कहा कि अभियान के जरिए वैज्ञानिक टीमें मिट्टी की गुणवत्ता बनाए रखते हुए उर्वरकों के संतुलित प्रयोग की जानकारी किसानों को देंगी। उन्होंने प्राकृतिक खेती को प्रोत्साहित करते हुए किसानों से इस दिशा में आगे बढ़ने की अपील की। उन्होंने हरियाणा सहित पूरे देश के किसानों से आग्रह किया कि जब उनके गांव में वैज्ञानिकों की टीम आए तो वे उनके साथ बैठें, अपनी समस्याएं बताएं, सवाल पूछें और वैज्ञानिक मित्र भी पूरे फर्ज और धर्म के साथ निष्ठापूर्वक यह काम करें। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि इन प्रयासों से खरीफ की फसल में ही उत्पादन बढ़ेगा और भारत पूरे विश्व के लिए खाद्यान्न सुनिश्चित करने में सक्षम होगा। इस महत्वपूर्ण कार्यक्रम में हरियाणा के कृषि मंत्री श्याम सिंह राणा, शिक्षा मंत्री महिपाल ढांडा और भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) के महानिदेशक डॉ. एम.एल. जाट सहित कई अन्य गणमान्य अधिकारी और स्थानीय जनप्रतिनिधि भी उपस्थित रहे, जिन्होंने इस अभियान को सफल बनाने में अपना योगदान दिया।