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नकली खाद और कालाबाजारी पर नड्डा सख्त: उर्वरक मंत्री ने बुलाई हाई-लेवल मीटिंग, दिए कड़े निर्देश nirdesh Aajtak24 News |
नई दिल्ली - देश में नकली खाद के बढ़ते मामलों और कालाबाजारी की चिंताओं के बीच, केंद्रीय रसायन एवं उर्वरक मंत्री जगत प्रकाश नड्डा ने गुरुवार को एक उच्च-स्तरीय बैठक की। इस बैठक में उन्होंने उर्वरकों के अवैध डायवर्जन, जमाखोरी और कालाबाजारी को रोकने के लिए राज्य सरकारों के साथ समन्वित कार्रवाई की आवश्यकता पर जोर दिया। मंत्री ने इन कुप्रथाओं को रोकने और यह सुनिश्चित करने के लिए कड़े कदम उठाने की अपील की कि उर्वरक केवल उन्हीं किसानों तक पहुंचे जिन्हें वास्तव में इसकी आवश्यकता है।
खरीफ बुवाई से पहले बढ़ी चिंता, राजस्थान और महाराष्ट्र में सामने आए मामले
यह बैठक ऐसे समय में हुई है जब देश में खरीफ बुवाई का सीजन शुरू होने वाला है और राजस्थान व महाराष्ट्र जैसे राज्यों में नकली खाद पकड़े जाने के कई मामले सामने आ रहे हैं। इन घटनाओं ने केंद्र और राज्य सरकारों की चिंता बढ़ा दी है। राजस्थान में तो कृषि मंत्री किशोरी लाल मीणा इस पूरे मामले में सख्त कार्रवाई कर रहे हैं। हालांकि, यह बैठक चालू खरीफ सीजन के दौरान उर्वरकों की उपलब्धता और वितरण की समीक्षा के लिए बुलाई गई थी, लेकिन इसमें नकली खाद और कालाबाजारी के मुद्दे पर भी गहन चर्चा हुई।
किसानों तक पहुंचे सही खाद: नड्डा के सख्त निर्देश
जगत प्रकाश नड्डा ने अधिकारियों को निर्देश दिया कि किसानों की जरूरत को पूरा करने के लिए सभी राज्यों में उर्वरक तुरंत उपलब्ध कराए जाएं। इस संबंध में, उन्होंने राज्य सरकारों, उर्वरक कंपनियों, रेलवे और पोर्ट अथॉरिटीज के अधिकारियों सहित सभी हितधारकों को अहम निर्देश दिए। मंत्री ने देश के लिए खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने में कृषि की महत्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डाला और फसल उत्पादकता को समर्थन देने के लिए पोषक तत्वों की समय पर उपलब्धता सुनिश्चित करने की आवश्यकता पर जोर दिया।
उर्वरक उत्पादन उच्चतम स्तर पर, आयात समझौते से आपूर्ति सुनिश्चित
बैठक में नड्डा को उर्वरक आपूर्ति की वर्तमान स्थिति और खरीफ 2025 की तैयारियों के बारे में भी जानकारी दी गई। बताया गया कि देश में उर्वरकों का उत्पादन सर्वोच्च स्तर पर बना हुआ है, जिसमें डीएपी उत्पादन 3.84 लाख मीट्रिक टन तक पहुंच गया है, जो हाल के महीनों में सबसे अधिक है। मांग और घरेलू आपूर्ति के बीच के अंतर को कम करने के लिए, भारतीय उर्वरक कंपनियों ने सऊदी अरब, मोरक्को और रूस जैसे प्रमुख उर्वरक निर्यातकों के साथ समझौता किया है, जिससे पूरे साल लगातार आयात सुनिश्चित हो रहा है।
यूरिया पर निर्भरता घटाने पर जोर, पीएम-प्रणाम योजना पर फोकस
मंत्री नड्डा ने रासायनिक उर्वरकों, विशेषकर यूरिया पर बढ़ती निर्भरता पर भी चिंता व्यक्त की। उन्होंने टिकाऊ कृषि पद्धतियों को बढ़ावा देने की जरूरत पर बल दिया। उन्होंने अधिकारियों को पीएम-प्रणाम (PM-PRANAM) योजना के कार्यान्वयन के प्रयासों को तेज करने का भी आदेश दिया। इस पहल का उद्देश्य उर्वरकों के टिकाऊ और संतुलित उपयोग को प्रोत्साहित करना, वैकल्पिक उर्वरकों को अपनाना और जैविक व प्राकृतिक खेती के तरीकों को बढ़ावा देना है। नड्डा ने स्पष्ट किया कि रासायनिक उर्वरक के उपयोग में कमी दिखाने वाले राज्य इस कार्यक्रम के तहत प्रोत्साहन के योग्य होंगे। यह कदम देश में कृषि पद्धतियों को अधिक टिकाऊ बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रयास है।