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ऑपरेशन ब्लू स्टार की बरसी पर फिर गरमाया खालिस्तान का मुद्दा: स्वर्ण मंदिर में लगे 'खालिस्तान जिंदाबाद' के नारे nare Aajtak24 News |
अमृतसर - ऑपरेशन ब्लू स्टार की 41वीं बरसी और जरनैल सिंह भिंडरावाले की पुण्यतिथि के मौके पर शुक्रवार को अमृतसर का स्वर्ण मंदिर परिसर एक बार फिर खालिस्तान समर्थक नारों से गूंज उठा। इस संवेदनशील अवसर पर शिरोमणि अकाली दल (अमृतसर) के प्रमुख और सांसद सिमरनजीत सिंह मान की मौजूदगी में समर्थकों ने खुलेआम 'खालिस्तान जिंदाबाद' के नारे लगाए। इस दौरान प्रदर्शनकारियों के हाथों में जरनैल सिंह भिंडरावाले के पोस्टर भी स्पष्ट रूप से दिखाई दिए, जो इस मुद्दे की गंभीरता को दर्शाता है।
कड़ी सुरक्षा के बावजूद गूंजे नारे
हर साल की तरह इस बार भी ऑपरेशन ब्लू स्टार की बरसी पर अमृतसर में हाई अलर्ट रहता है और सुरक्षा व्यवस्था चाक-चौबंद की जाती है। स्वर्ण मंदिर परिसर के अंदर और बाहर सुरक्षा बलों की भारी तैनाती की गई थी ताकि किसी भी अप्रिय घटना को रोका जा सके। इसके बावजूद, खालिस्तान समर्थक नारे लगने से सुरक्षा एजेंसियां एक बार फिर सतर्क हो गई हैं। हालांकि, अभी तक किसी बड़े टकराव या हिंसा की कोई खबर नहीं है, लेकिन इन नारों ने शांति और कानून व्यवस्था बनाए रखने की चुनौती को फिर से सामने ला दिया है।
सिमरनजीत सिंह मान के आरोप और पूर्व जत्थेदार का बयान
इस मौके पर सांसद सिमरनजीत सिंह मान ने पत्रकारों से बात करते हुए भिंडरावाले को 'शहीद' बताया और केंद्र सरकार पर गंभीर आरोप लगाए। मान अपनी खालिस्तान समर्थक विचारधारा के लिए जाने जाते हैं और अक्सर अपने बयानों से विवादों में रहते हैं। उनके इन बयानों से माहौल और गरमा जाता है। वहीं, अकाल तख्त के पूर्व जत्थेदार जसबीर सिंह रोडे ने इन नारों को लेकर कहा कि इसमें कुछ भी नया नहीं है। उन्होंने सवाल उठाया कि सरकार के पास अब तक इस बात का जवाब क्यों नहीं है कि सिखों के पवित्र स्थान पर हमला क्यों किया गया। रोडे ने कहा कि सिख अपने अधिकारों की मांग कर रहे थे, उन्होंने भारत सरकार के खिलाफ कोई युद्ध की घोषणा नहीं की थी, फिर भी उन पर 'दुश्मन देशों' की तरह हमला किया गया। उन्होंने जोर देकर कहा कि 'खालिस्तान जिंदाबाद' के नारे हमेशा से लगते रहे हैं और यह सिख समुदाय के एक वर्ग की भावनाओं को दर्शाता है।
राष्ट्रीय सुरक्षा और भावनाओं का टकराव
यह घटना एक बार फिर राष्ट्रीय सुरक्षा और ऐतिहासिक पीड़ा से उपजी भावनाओं के बीच के जटिल संबंधों को उजागर करती है। एक तरफ जहां सरकारें अलगाववादी नारों और गतिविधियों को देश की एकता और अखंडता के लिए खतरा मानती हैं, वहीं दूसरी तरफ सिख समुदाय का एक वर्ग इसे अपने इतिहास और अधिकारों से जोड़कर देखता है। इस तरह के कार्यक्रम और उनमें लगने वाले नारे यह दिखाते हैं कि ऑपरेशन ब्लू स्टार का जख्म आज भी कई लोगों के मन में गहरा है और इसकी बरसी पर ये भावनाएं सतह पर आ जाती हैं। प्रशासन को इन संवेदनशील स्थितियों को संभालने के लिए अत्यधिक सावधानी और समझदारी से काम लेना पड़ता है ताकि कानून व्यवस्था भी बनी रहे और किसी समुदाय की भावनाओं को ठेस न पहुंचे।