मध्य प्रदेश में मूंग-उड़द की MSP पर खरीद का रास्ता साफ: कल से रजिस्ट्रेशन शुरू, जानिए पूरी प्रक्रिया और जरूरी दस्तावेज dastavej Aajtak24 News


 मध्य प्रदेश में मूंग-उड़द की MSP पर खरीद का रास्ता साफ: कल से रजिस्ट्रेशन शुरू, जानिए पूरी प्रक्रिया और जरूरी दस्तावेज dastavej Aajtak24 News

भोपाल/मध्य प्रदेश - मध्य प्रदेश के हजारों जायद मूंग और उड़द उत्पादक किसानों का इंतजार आखिरकार खत्म हो गया है। राज्य सरकार ने ग्रीष्मकालीन मूंग और उड़द को न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर खरीदने की मंजूरी देते हुए केंद्र सरकार को इसका प्रस्ताव भेज दिया है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने मंगलवार (17 जून, 2025) को इसकी जानकारी देते हुए बताया कि कल, 19 जून, 2025 से इन फसलों की खरीद के लिए रजिस्ट्रेशन शुरू हो जाएंगे।

विवाद के बाद सरकार का यू-टर्न, किसानों को मिली राहत: यह फैसला किसानों के लिए बड़ी राहत लेकर आया है। इससे पहले ऐसी खबरें थीं कि राज्य सरकार ने मूंग में हानिकारक केमिकल्स के अत्यधिक उपयोग का हवाला देते हुए इसकी खरीद से इनकार कर दिया था। इस बात पर किसानों ने लगातार विरोध प्रदर्शन किए थे, और विपक्षी दल कांग्रेस ने भी सरकार पर निशाना साधा था। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के इस नवीनतम फैसले से लाखों किसानों के चेहरे खिल उठे हैं, जिन्हें अब अपनी फसल औने-पौने दाम पर बेचने की मजबूरी से मुक्ति मिलेगी। प्रदेश में ग्रीष्मकालीन मूंग का बंपर उत्पादन होता है, और अब किसानों को अपनी उपज का उचित दाम मिलने की उम्मीद है। रजिस्ट्रेशन और खरीद की तिथियां: मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के अनुसार, किसान अपनी मूंग और उड़द की फसल को न्यूनतम समर्थन मूल्य पर बेचने के लिए 19 जून से 6 जुलाई, 2025 तक रजिस्ट्रेशन करा सकेंगे। रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया पूरी होने के बाद, इन दालों की वास्तविक खरीद 7 जुलाई से 6 अगस्त, 2025 तक की जाएगी।

MSP और जिलों का विवरण:

  • राज्य के 36 मूंग उत्पादक जिलों में 8682 रुपये प्रति क्विंटल MSP पर जायद मूंग की खरीद की जाएगी।
  • वहीं, 13 उड़द उत्पादक जिलों में 7400 रुपये प्रति क्विंटल MSP पर उड़द की खरीद की जाएगी।

रजिस्ट्रेशन के लिए आवश्यक दस्तावेज: सरकारी खरीद केंद्रों पर अपनी फसल बेचने के लिए किसानों को रजिस्ट्रेशन करना अनिवार्य है। इसके लिए उन्हें निम्नलिखित दस्तावेज तैयार रखने होंगे:

  • आधार नंबर
  • बैंक खाता संख्या
  • IFSC कोड (इंडियन फाइनेंशियल सिस्टम कोड)
  • भू-अधिकार पुस्तिका (खसरा-खतौनी) की स्व-प्रमाणित फोटोकॉपी
  • लोन बुक की स्व-प्रमाणित फोटोकॉपी (यदि लागू हो)

यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि किसानों का बैंक खाता अनिवार्य रूप से नेशनलाइज्ड बैंक (राष्ट्रीयकृत बैंक) या जिला सहकारी केंद्रीय बैंक की शाखा में ही होना चाहिए।

पारदर्शिता के लिए 'व्यवस्था उपार्जन समितियां': राज्य सरकार ने यह भी सुनिश्चित किया है कि पूरी खरीद प्रक्रिया पारदर्शी और आसान हो। इसके लिए हर उपार्जन (खरीद) केंद्र पर "व्यवस्था उपार्जन समिति" का गठन किया जाएगा। ये समितियां खरीद प्रक्रिया की निगरानी करेंगी और यह सुनिश्चित करेंगी कि किसानों को रजिस्ट्रेशन से लेकर फसल बेचने तक किसी भी तरह की परेशानी का सामना न करना पड़े। इससे प्रक्रिया में जवाबदेही बढ़ेगी और किसानों का भरोसा मजबूत होगा। यह कदम मध्य प्रदेश सरकार की किसानों के हितों की रक्षा और उनकी उपज का उचित मूल्य सुनिश्चित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल मानी जा रही है।

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