![]() |
MP में पंचायतों पर 'सर्जिकल स्ट्राइक': कटनी और बैतूल में 6 सचिव निलंबित, भ्रष्टाचार-लापरवाही पर सरकार सख्त sakht Aajtak24 News |
भोपाल - मध्यप्रदेश में पंचायतों में व्याप्त भ्रष्टाचार और काम में लापरवाही के खिलाफ सरकार ने अब तक की सबसे बड़ी और सीधी कार्रवाई शुरू कर दी है। प्रदेश के कटनी और बैतूल जिलों में कुल छह ग्राम पंचायत सचिवों को उनके पदों से तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया है, जिससे पूरे पंचायत राज सिस्टम में भूचाल आ गया है। यह सख्त कदम मध्य प्रदेश पंचायत सेवा नियमों के तहत उठाया गया है, जो मुख्यमंत्री मोहन यादव के सुशासन के एजेंडे को दर्शाता है।
भ्रष्टाचार की जड़ें खोदता कटनी का एक्शन: 'अपात्रों को लाभ' पड़ा भारी
कटनी जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी (CEO) शिशिर गेमावत ने जनपद पंचायत ढीमरखेड़ा और बहोरीबंद में तीन पंचायत सचिवों पर भ्रष्टाचार और गंभीर अनियमितताओं के आरोप में कार्रवाई की है। ये निलंबन स्पष्ट संदेश हैं कि किसी भी कीमत पर वित्तीय धांधली और नियमों का उल्लंघन बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
- लखन लाल बागरी (ग्राम पंचायत गोपालपुर, ढीमरखेड़ा): इन पर भवन सन्निर्माण योजना के तहत एक मृतका, श्रीमती भूरी बाई, को अपात्र होते हुए भी गलत तरीके से लाभ पहुंचाने का गंभीर आरोप था। 3 जून को जारी कारण बताओ नोटिस का उनका जवाब संतोषजनक नहीं पाया गया, जिसके बाद यह कार्रवाई हुई।
- वंश्रुहक मंसूरी (ग्राम पंचायत अंतर्वेद, ढीमरखेड़ा): वंश्रुहक मंसूरी पर मृतका गुड्डी बाई को संबल योजना के तहत नियमों के विरुद्ध जाकर लाभ देने का आरोप था। इनका जवाब भी संतोषजनक नहीं मिला, जिससे इनकी लापरवाही स्पष्ट हुई।
- काशीराम बेन (ग्राम पंचायत स्लीमनाबाद, बहोरीबंद): काशीराम बेन के खिलाफ निर्माण कार्यों में गंभीर अनियमितता और वित्तीय धांधली के मामले थे। 3 जून को जारी नोटिस का इन्होंने 4 जून तक कोई जवाब नहीं दिया, जो इनके कदाचरण की पुष्टि करता है।
इन तीनों सचिवों के कृत्यों को मध्य प्रदेश पंचायत सर्विस रूल्स 1998 के नियम 3 के तहत 'कदाचरण' यानी दुर्व्यवहार माना गया है। CEO शिशिर गेमावत ने मध्य प्रदेश पंचायत सर्विस (डिसिप्लिन एंड अपील) रूल्स 1999 के तहत इनके निलंबन आदेश जारी किए हैं। निलंबन अवधि में, इनका मुख्यालय संबंधित जनपद पंचायत कार्यालय होगा, और इन्हें केवल जीवन निर्वाह भत्ता ही मिलेगा।
बैतूल में 'जल गंगा संवर्धन अभियान' पर सेंध: महत्वाकांक्षी योजना में लापरवाही पड़ी भारी
बैतूल जिले में जिला पंचायत CEO अक्षत जैन ने राज्य सरकार के सबसे महत्वाकांक्षी अभियान 'जल गंगा संवर्धन अभियान' में लापरवाही बरतने वाले तीन पंचायत सचिवों को निलंबित कर दिया है। यह कार्रवाई उन अधिकारियों के लिए एक चेतावनी है, जो सरकार की प्राथमिकता वाली योजनाओं को गंभीरता से नहीं लेते।
- गुलाबराव पंडाग्रे (ग्राम पंचायत नांदपुर, जनपद पंचायत आमला)
- हेमराज घोरसे (ग्राम पंचायत दामजीपुरा, जनपद पंचायत भीमपुर)
- रामाधार यादव (ग्राम पंचायत नसीराबाद, जनपद पंचायत चिचोली)
इन तीनों सचिवों का कामकाज 2 जून 2025 को CEO अक्षत जैन द्वारा की गई समीक्षा बैठक में असंतोषजनक पाया गया था। यह खुलासा हुआ कि उनकी पंचायतों में स्वीकृत खेत तालाब, डगवेल रिचार्ज (कुएं रिचार्ज) जैसे महत्वपूर्ण कार्य और पुराने एनआरएम वर्क्स (प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन कार्य) भी तय समय सीमा में पूरे नहीं किए गए थे। स्वीकृत कार्यों पर न्यूनतम व्यय और पुराने लंबित कार्यों में प्रगति न होना इस कार्रवाई का मुख्य कारण बना। यह दर्शाता है कि जल संरक्षण जैसे महत्वपूर्ण अभियानों में भी जमीनी स्तर पर कितनी शिथिलता बरती जा रही थी।
'नोटिस बम' से हड़कंप: कई और सचिव और रोजगार सहायक रडार पर
इन निलंबनों के साथ ही, बैतूल जिला पंचायत सीईओ अक्षत जैन ने कई अन्य ग्राम पंचायतों के सचिवों और ग्राम रोजगार सहायकों को भी निशाने पर लिया है। जनपद पंचायत चिचोली की ग्राम पंचायतें असाडी, कामठामाल, जनपद पंचायत शाहपुर की ढुमका रैयत, केसिया, ढोढरामऊ, जनपद पंचायत आमला की डंगारिया, ब्राम्हणवाड़ा, और जनपद पंचायत प्रभात पट्टन की ग्राम पंचायत पचधार के सचिवों को कारण बताओ नोटिस जारी कर जवाब तलब किए गए हैं।
इसके अतिरिक्त, चिचोली, शाहपुर, आमला, और प्रभात पट्टन की कुछ ग्राम पंचायतों के ग्राम रोजगार सहायकों को भी नोटिस जारी किए गए हैं। इन सभी को एक सप्ताह के भीतर अपने कार्यों में स्पष्ट प्रगति दिखाने का अल्टीमेटम दिया गया है, अन्यथा उनके खिलाफ भी सख्त अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी। यह 'नोटिस बम' यह स्पष्ट संदेश देता है कि सरकार का 'पंचायत राज में सफाई अभियान' अभी जारी रहेगा।
'जीरो टॉलरेंस' का संदेश: पंचायतों में जवाबदेही बढ़ाने पर जोर
मध्यप्रदेश सरकार की यह ताबड़तोड़ कार्रवाई पंचायतों में फैले भ्रष्टाचार, अनियमितता और कामचोरी को खत्म करने की दिशा में एक बड़ा कदम है। कटनी और बैतूल में हुई ये कार्रवाईयां राज्य सरकार के 'भ्रष्टाचार मुक्त पंचायत राज' के एजेंडे का हिस्सा हैं। यह स्पष्ट संदेश है कि पदीय दायित्वों में लापरवाही और वित्तीय अनियमितताओं को किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। आने वाले समय में प्रदेश के अन्य जिलों में भी इसी तरह की कठोर कार्रवाई देखने को मिल सकती है, क्योंकि सरकार का लक्ष्य जमीनी स्तर पर सुशासन और विकास सुनिश्चित करना है। यह पहल ग्रामीण विकास में जवाबदेही और पारदर्शिता लाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित हो सकती है।