रीवा-मऊगंज में 'मौत का सौदा': खुलेआम बिक रहा प्लास्टिक की बोतलों में पेट्रोल-डीजल, प्रशासन 'गहरी नींद' में me Aajtak24 News


रीवा-मऊगंज में 'मौत का सौदा': खुलेआम बिक रहा प्लास्टिक की बोतलों में पेट्रोल-डीजल, प्रशासन 'गहरी नींद' में me Aajtak24 News

रीवा/मऊगंज - रीवा और मऊगंज जिलों में राष्ट्रीय राजमार्गों से लेकर छोटे गांव-कस्बों तक खुलेआम प्लास्टिक की बोतलों और खुले गैलनों में डीजल-पेट्रोल की अवैध बिक्री का कारोबार धड़ल्ले से चल रहा है, जो अब सीधे तौर पर जनजीवन के लिए बड़ा खतरा बन गया है। यह न केवल अग्निशमन, मोटर और खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति अधिनियमों का घोर उल्लंघन है, बल्कि किसी भी समय बड़े पैमाने पर जनहानि की आशंका पैदा कर रहा है। स्थानीय लोग इस जानलेवा लापरवाही पर प्रशासन की चुप्पी को 'संवेदनहीन अपराध' करार दे रहे हैं।

हर चौराहे पर 'बारूदी सुरंग': स्कूलों के पास भी मंडरा रहा खतरा

जिला प्रशासन द्वारा ज्वलनशील पदार्थों को बस्तियों के बीच खुले में न रखने के बार-बार आदेश दिए जाने के बावजूद, हकीकत चौंकाने वाली है। सड़कों के किनारे, घरों और दुकानों के ठीक बगल में खुले में पेट्रोल-डीजल बेचा जा रहा है। विडंबना यह है कि इन 'अवैध पेट्रोल पंपों' के ठीक पास चाय-पान और सिगरेट की दुकानें भी हैं, जहाँ लोग बेधड़क सिगरेट सुलगाते हैं। यह स्थिति किसी भी क्षण एक बड़े विस्फोट को निमंत्रण दे रही है।

स्कूल खुलने के साथ ही बच्चों की सुरक्षा भी खतरे में आ गई है। छोटे-छोटे बच्चे अक्सर कुरकुरे और टॉफी खरीदने इन्हीं दुकानों पर जाते हैं, जहाँ पेट्रोल की तेज बदबू और माचिस की जलती तीलियाँ एक साथ मौजूद होती हैं। जरा सी चूक, और एक बड़ा अग्निकांड तय है।

कटरा कांड की कड़वी यादें: क्या फिर दोहराई जाएगी त्रासदी?

यह कोई पहली बार नहीं है जब इस तरह की लापरवाही सामने आई है। गढ़ थाना क्षेत्र के कटरा में कुछ साल पहले पेट्रोल और सिलेंडर विस्फोट में एक घर जलकर राख हो गया था और कई लोगों की जान गई थी। उस समय प्रशासन ने जांच का आश्वासन दिया, सख्ती बरतने की बात कही, लेकिन कुछ ही दिनों में सब कुछ ठंडे बस्ते में डाल दिया गया। आज वही अवैध धंधा फिर से अपनी चरम सीमा पर है, जो भविष्य की एक और त्रासदी की भूमिका तैयार कर रहा है।

प्रशासन की चुप्पी पर सवाल: किसका संरक्षण?

यह सवाल उठता है कि बिना किसी विभागीय संरक्षण के ऐसा अवैध व्यवसाय कैसे चल सकता है?

  • कौन इन दुकानों को लाइसेंस दे रहा है?
  • क्या खाद्य एवं आपूर्ति विभाग नियमित रूप से निरीक्षण कर रहा है?
  • पेट्रोल-डीजल वितरण केंद्रों से इन्हें खुले गैलनों में ईंधन कौन और कैसे बेच रहा है?

स्थानीय लोगों का कहना है कि यदि आज कोई निर्दोष व्यक्ति इस लापरवाही का शिकार होता है, तो उसकी नैतिक जिम्मेदारी सीधे तौर पर प्रशासन की होगी। क्या केवल चुनावों के दौरान सक्रिय होने वाले अधिकारी अब 'मृत मौनव्रत' धारण कर चुके हैं?

'हादसे के बाद कार्रवाई' अब मंजूर नहीं: जनता की सख्त मांग

रीवा और मऊगंज के जिलाधीश, एसपी, खाद्य नियंत्रक और अग्निशमन अधिकारी से स्थानीय जनता की सीधी और स्पष्ट मांग है:

  • 24 घंटे के भीतर ऐसे सभी अवैध बिक्री स्थलों पर तत्काल छापेमारी की जाए।
  • पेट्रोल-डीजल की बोतलें और गैलन जब्त कर FIR दर्ज की जाए।
  • संबंधित लाइसेंस निलंबित कर दोषियों पर रासुका/एक्सप्लोसिव एक्ट में कड़ी कार्रवाई हो।
  • बस्ती क्षेत्रों में ईंधन के गैर-कानूनी भंडारण पर स्थाई प्रतिबंध लागू किया जाए।

स्थानीय निवासियों ने चेतावनी दी है कि यदि आगामी 3 कार्य दिवसों में प्रशासन द्वारा कोई ठोस कार्यवाही नहीं होती है, तो यह माना जाएगा कि इस अवैध व्यापार को सत्ता-संरक्षण प्राप्त है। यह देखना होगा कि क्या प्रशासन किसी और "कटरा जैसे कांड" का इंतजार कर रहा है, या अब आंखें खोलकर इस जानलेवा अवैध कारोबार पर लगाम लगाएगा। अब वक्त है कागजी आदेशों का नहीं, बल्कि जमीन पर ठोस असर दिखाने का।



Post a Comment

Previous Post Next Post