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दरभंगा में 'दहेज की आग' बुझी न्याय की लपटों से: बहू को जलाने की कोशिश में पति-सास-ससुर को कठोर कारावास karawas Aajtak24 News |
दरभंगा - बिहार की न्यायभूमि दरभंगा से एक ऐसा फैसला आया है, जिसने दहेज के दानवों पर करारा प्रहार किया है। महज़ पाँच लाख रुपये की कथित माँग पूरी न होने पर अपनी ही नवविवाहिता बहू को केरोसिन तेल छिड़ककर जिंदा जलाने की कोशिश करने वाले एक पति, उसकी सास और ससुर को अदालत ने सलाखों के पीछे धकेल दिया है। इस कठोर निर्णय ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि अपराध कितना भी छिपाया जाए, न्याय की आँख से बच नहीं सकता।
खुशियों का एक साल और फिर 'दहेज की लपटें
यह हृदय विदारक घटना 16 जनवरी 2021 की सुबह बहादुरपुर थाना क्षेत्र के देकुली गाँव में घटी थी। अभियोजन पक्ष के अपर लोक अभियोजक चमक लाल पंडित ने अदालत में बताया कि एक साल पहले ही ब्याही गई अनुपम कुमारी की ज़िंदगी में खुशियों की जगह अचानक अँधेरा छा गया। उसके पति मोनू कुमार यादव, सास अनीता देवी और ससुर राम सोगारथ यादव ने उससे पाँच लाख रुपये दहेज की माँग की। जब अनुपम इस माँग को पूरा नहीं कर पाई, तो इन तीनों ने मिलकर क्रूरता की सारी हदें पार कर दीं – अपनी ही बहू पर केरोसिन तेल छिड़ककर उसे जलाने का प्रयास किया।
जलती हुई हालत में अस्पताल पहुँची पीड़िता, पिता ने दर्ज कराई FIR
घटना की सूचना जैसे ही अनुपम कुमारी के पिता, मब्बी थाना क्षेत्र के शीशो पश्चिमी गाँव निवासी बचनदेव यादव तक पहुँची, उनके पैरों तले ज़मीन खिसक गई। वे तत्काल मौके पर पहुँचे और अपनी बेटी को जलती हुई अवस्था में उठाकर पंडासराय स्थित बर्न हॉस्पिटल ले गए, जहाँ उसका इलाज कराया गया। दर्द और आघात से जूझती बेटी को देखने के बाद, पिता ने हिम्मत नहीं हारी। उन्होंने 20 जनवरी 2021 को बहादुरपुर थाना में इस जघन्य अपराध के खिलाफ प्राथमिकी (कांड सं. 45/21) दर्ज कराई, जिसकी बुनियाद पर आज न्याय की इमारत खड़ी हुई है।
न्यायालय का ऐतिहासिक फैसला: पति को 7 साल, सास-ससुर को 5-5 साल की सज़ा
जिला एवं अपर सत्र न्यायाधीश नागेश प्रताप सिंह की अदालत ने इस मामले की गंभीरता को समझते हुए गुरुवार को अभियुक्तों की सज़ा अवधि पर अभियोजन और बचाव पक्ष की विस्तृत बहस सुनी। गहन विचार-विमर्श के बाद, न्यायालय ने जो फैसला सुनाया है, वह दहेज उत्पीड़न के खिलाफ एक मील का पत्थर साबित हो सकता है:
- पति मोनू कुमार यादव को भारतीय दंड संहिता की धारा 307 (हत्या का प्रयास) के तहत सात वर्षों का कठोर कारावास और 10 हज़ार रुपये का अर्थदंड सुनाया गया है। इसके अलावा, उसे धारा 498 (ए) (दहेज उत्पीड़न) में छह माह का कारावास और पाँच हज़ार रुपये अर्थदंड, और दहेज निषेध अधिनियम की धारा चार में छह माह के कारावास और पाँच हज़ार रुपये अर्थदंड की भी सज़ा मिली है।
- ससुर राम सोगारथ यादव और सास अनीता देवी को भी पाँच-पाँच वर्षों का कारावास और प्रत्येक को 7,500 रुपये का अर्थदंड सुनाया गया है।
न्यायालय ने यह भी स्पष्ट निर्देश दिया है कि लगाया गया सारा अर्थदंड पीड़िता अनुपम कुमारी को मुआवज़े के तौर पर दिया जाएगा। यह फैसला न केवल अपराधियों को सज़ा देता है, बल्कि उन सभी परिवारों के लिए एक चेतावनी भी है जो दहेज के नाम पर अपनी बहुओं पर ज़ुल्म ढाते हैं। न्याय की इस जीत ने एक बार फिर यह संदेश दिया है कि अपराध का अंजाम भुगतना ही पड़ता है।