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रीवा संभाग में नशा माफियाओं पर IG गौरव सिंह राजपूत का शिकंजा: मनगवां में 50 लाख का गांजा जब्त, माफिया में हड़कंप hadkamp Aajtak24 News |
रीवा - रीवा संभाग में नशे के विरुद्ध पुलिस महानिरीक्षक (आईजी) गौरव सिंह राजपूत की मुहिम अब अपने निर्णायक दौर में पहुँच चुकी है। उनकी सख्त निगरानी और दूरदर्शी मार्गदर्शन में संभाग में सक्रिय नशा माफिया नेटवर्क की कमर तोड़ने की कवायद तेज हो गई है। पुलिस अब सिर्फ सतही कार्रवाई तक सीमित नहीं है, बल्कि अपराध की जड़ों को उखाड़ने पर केंद्रित है। इसी व्यापक अभियान के तहत, थाना मनगवां पुलिस ने 30 मई को एक बड़ी सफलता हासिल करते हुए दो प्रमुख गांजा तस्करों को गिरफ्तार किया है, जिनके कब्जे से 293.16 किलो गांजा और एक वाहन सहित कुल ₹50.47 लाख रुपये मूल्य की अवैध सामग्री जब्त की गई है। यह कार्रवाई रीवा संभाग में नशा माफियाओं के विरुद्ध अब तक की सबसे बड़ी और प्रभावी कार्रवाइयों में से एक मानी जा रही है, जिसने पूरे नेटवर्क में हड़कंप मचा दिया है।
मनगवां बना नशा कारोबार के विरुद्ध कार्रवाई का केंद्र: ऐतिहासिक सफलता
आईजी गौरव सिंह राजपूत की सक्रिय भूमिका और पुलिस अधीक्षक विवेक सिंह, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक विवेक कुमार लाल और अनुविभागीय अधिकारी उमेश प्रजापति के निर्देशन में थाना मनगवां पुलिस ने इस बड़ी सफलता को अंजाम दिया। मंगलवार, 30 मई को मुखबिर से एक पुख्ता सूचना मिली थी कि ग्राम अमवा की नहर पुलिया के पास एक सफेद रंग की ईको कार (MP-17 CC-7911) में दो व्यक्ति भारी मात्रा में अवैध मादक पदार्थ गांजा लेकर बिक्री के लिए खड़े हैं। थाना प्रभारी निरीक्षक वर्षा सोनकर ने सूचना मिलते ही बिना समय गंवाए वरिष्ठ अधिकारियों को सूचित किया और त्वरित कार्रवाई के लिए एक पुलिस दल का गठन किया। मौके पर पहुँचते ही पुलिस टीम ने रणनीतिक घेराबंदी कर वाहन में सवार दोनों व्यक्तियों को धरदबोचा।
जब्त सामग्री का विवरण:
- 293.16 किलो अवैध गांजा: अनुमानित कीमत ₹43,97,400
- ईको कार (MP-17 CC-7911): अनुमानित कीमत ₹6,50,000
- कुल जप्ती मूल्य: ₹50,47,400
गिरफ्तार आरोपी:
- शुभम उर्फ गोलू जायसवाल, पिता मुद्रिका जायसवाल, उम्र 25 वर्ष, निवासी इटौरा बाईपास, थाना विश्वविद्यालय, रीवा।
- अरुण कुमार मिश्रा, पिता रामलखन मिश्रा, उम्र 50 वर्ष, निवासी सिरखनी, थाना रायपुर कर्चुलियान, रीवा।
इन दोनों आरोपियों के विरुद्ध नारकोटिक ड्रग्स एंड साइकोट्रोपिक सब्सटेंस (NDPS) एक्ट की धारा 8, 20(बी) के तहत अपराध क्रमांक 288/2025 दर्ज किया गया है। गिरफ्तार आरोपियों से गहन पूछताछ जारी है, जिससे गांजा तस्करी के इस बड़े नेटवर्क से जुड़े अन्य सदस्यों और इसके स्रोत तक पहुंचने की प्रबल संभावनाएं बन गई हैं।
कार्रवाई की अगुवाई करने वाली टीम: इस सफल ऑपरेशन में निरीक्षक वर्षा सोनकर (थाना प्रभारी, मनगवां) के नेतृत्व में उपनिरीक्षक सुशील सिंह, सार्जेंट सियाशरण रावत, प्रधान आरक्षक विष्णुदत्त पांडे, आरक्षक अवनीश तिवारी, बृजकिशोर अहिरवार, यशवंत सिंह और अमरीश शामिल थे। टीम की मुस्तैदी और सूझबूझ ने इस बड़ी बरामदगी को संभव बनाया।
IG गौरव सिंह राजपूत की रणनीति: माफिया नेटवर्क को जड़ से खत्म करने की पहल
रीवा संभाग में आईजी गौरव सिंह राजपूत की पदस्थापना के बाद से ही पुलिस की कार्यप्रणाली में एक स्पष्ट अनुशासन, पारदर्शिता और आक्रामकता देखी जा रही है। उनकी रणनीति केवल छोटे-मोटे अपराधियों पर कार्रवाई तक सीमित नहीं है, बल्कि वे संगठित अपराधों और माफिया नेटवर्क को जड़ से खत्म करने पर जोर दे रहे हैं। चाहे वह मेडिकल नशा हो, नकली सिरप का कारोबार, गांजा तस्करी या साइबर ठगी—हर स्तर पर संगठित अपराधियों पर कठोर कार्रवाई जारी है, जिसने माफियाओं में हड़कंप मचा दिया है।
जनसंवाद से मिल रही ताकत: आईजी द्वारा जनता से सीधा संवाद स्थापित करने की पहल ने पुलिस को जमीनी स्तर पर इन अवैध नेटवर्क्स की सटीक जानकारी प्राप्त करने में बहुत मदद की है। ग्रामीण इलाकों से लेकर शहरी क्षेत्रों के अंदरूनी मोहल्लों तक, अब नागरिक बिना किसी डर के पुलिस को सहयोग कर रहे हैं और गुप्त सूचनाएं दे रहे हैं। यह जनभागीदारी ही पुलिस के अभियानों को और अधिक प्रभावी बना रही है।
नकली पत्रकारों और सफेदपोशों पर भी पैनी नजर: सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार, कुछ तथाकथित पत्रकार, सफेदपोश लोग और यहां तक कि कुछ पुलिसकर्मी भी नशा कारोबारियों से सांठगांठ में लिप्त पाए गए हैं। ऐसे लोगों की पहचान के लिए गोपनीय जांच टीमें गठित की गई हैं। आईजी से यह अपेक्षा की जा रही है कि वे उन सफेदपोश लोगों को भी चिन्हित कर उन पर कड़ी कार्रवाई करें, जो ड्रग माफिया के संरक्षक बने हुए हैं, ताकि इस समस्या को जड़ से खत्म किया जा सके।
साइबर अपराधों पर भी शिकंजा: नशे के साथ-साथ, रीवा संभाग में साइबर ठगी के मामलों पर भी शिकंजा कसा जा रहा है। थाना स्तर पर साइबर जागरूकता अभियान चलाए जा रहे हैं, जिसमें ग्रामीण एवं पिछड़े क्षेत्रों के लोगों को इन अपराधों से बचाव की जानकारी दी जा रही है, ताकि वे डिजिटल धोखाधड़ी का शिकार न बनें।
राजनीतिक समर्थन से मिला बल: प्रदेश के उपमुख्यमंत्री राजेंद्र शुक्ल ने 'नशा मुक्त मध्यप्रदेश' की दिशा में इस अभियान को मजबूत राजनीतिक समर्थन दिया है। उन्होंने उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से भी सीमावर्ती क्षेत्रों में समन्वय की बात कही है, ताकि अंतर-राज्यीय तस्करी पर प्रभावी रोक लगाई जा सके। उनकी मंशा के अनुसार, अब पुलिस सीधे तस्करी के ट्रांजिट मार्गों पर वार कर रही है, जिससे अपराधियों के लिए बच निकलना मुश्किल हो रहा है। यह सिर्फ कानून की जीत नहीं, बल्कि पूरे समाज की जीत है। मनगवां में हुई यह ऐतिहासिक कार्रवाई इस बात का प्रमाण है कि जब पुलिस दृढ़ संकल्प के साथ काम करती है, तो अपराध और अपराधी कहीं टिक नहीं सकते। रीवा संभाग में चल रहा यह अभियान अब किसी औपचारिकता का हिस्सा नहीं, बल्कि एक व्यापक सामाजिक चेतना बन चुका है, जिसका लक्ष्य एक नशामुक्त और सुरक्षित समाज का निर्माण करना है।