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50 लाख के गांजा प्रकरण में मनगवां पुलिस पर 'खेला' का आरोप! संदिग्ध फरार, IG जांच की मांग mang Aajtak24 News |
रीवा/मनगवां - रीवा जिले के मनगवां थाना क्षेत्र में हाल ही में हुई करीब 50 लाख रुपये मूल्य के गांजे की बरामदगी की कार्रवाई अब सवालों के घेरे में आ गई है। इस बड़ी कार्रवाई के बावजूद, स्थानीय स्तर पर गंभीर आरोप लग रहे हैं कि पुलिस की हिरासत से एक संदिग्ध हथकड़ी सरकाकर फरार हो गया। वहीं, जिस कार से गांजा ले जाया जा रहा था, उसका चालक भी अभी तक लापता बताया जा रहा है, जिससे पुलिस की कार्यप्रणाली पर संदेह गहरा गया है।
परिजनों के गंभीर आरोप: 'निर्दोष फंसाया, असली अपराधी फरार!'
पुलिस द्वारा इस गांजा प्रकरण में आरोपी बनाए गए एक युवक के परिजनों ने कार्रवाई को मनगढ़ंत बताते हुए रीवा रेंज के पुलिस महानिरीक्षक (आईजी) से साक्ष्य सहित शिकायत की है। परिजनों का सीधा आरोप है कि पुलिस ने एक निर्दोष व्यक्ति को फंसाया है, जबकि इस मामले के असली आरोपियों को या तो फरार होने दिया गया या जानबूझकर छोड़ दिया गया। यह शिकायत मामले की गंभीरता को और बढ़ा देती है।
मनगवां थाने में 'सनाका': बड़े खुलासे की आशंका
सूत्रों के मुताबिक, घटना के बाद देर शाम मनगवां थाना परिसर में अजीब सी खामोशी छा गई। इस पूरी कार्रवाई से जुड़ी आंतरिक बातों को लेकर अफसरों के बीच चुप्पी देखी गई। सूत्रों की मानें तो किसी वरिष्ठ अधिकारी की मौजूदगी में कुछ दस्तावेजों की गहन जांच की जा रही थी। इस घटनाक्रम से यह आशंका गहरा रही है कि आने वाले दिनों में इस प्रकरण में कुछ बड़ा खुलासा हो सकता है, जो पुलिस विभाग के लिए चुनौती बन सकता है।
पुलिस पर आरोप: लापरवाही या निजी स्वार्थ?
जन चर्चा और सोशल मीडिया पर यह भी सामने आया है कि पुलिस ने कथित तौर पर वाहन चालक को जानबूझकर छोड़ दिया। हालांकि, इन दावों की पुष्टि किसी भी जिम्मेदार अधिकारी द्वारा अब तक नहीं की गई है, जिससे अफवाहों का बाजार गर्म है। यदि ये आरोप सही पाए जाते हैं, तो यह न केवल जिला पुलिस की छवि को धूमिल करेगा, बल्कि रीवा जोन के पुलिस महानिरीक्षक द्वारा चलाए जा रहे अपराध-विरोधी अभियानों की निष्पक्षता और विश्वसनीयता पर भी गंभीर सवाल उठेंगे। जनता को यह जानने का अधिकार है कि सच क्या है—आरोपी वास्तव में फरार हुआ, छोड़ा गया या कोई और तथ्य है।
प्रशासन से पारदर्शिता की अपेक्षा
'विंध्य वसुंधरा समाचार' इन आरोपों की पुष्टि नहीं करता, लेकिन यह स्पष्ट है कि इस मामले में पूर्ण पारदर्शिता बेहद आवश्यक है। यदि किसी भी स्तर पर चूक या मनमानी हुई है, तो इसकी निष्पक्ष जांच होनी चाहिए। पुलिस प्रशासन को चाहिए कि वह जनचर्चा और सोशल मीडिया पर चल रही खबरों का खंडन या पुष्टि कर सच्चाई जनता के सामने रखे, ताकि जनता का विश्वास बना रहे।