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हरिजन एक्ट की धमकी देकर रोका सरकारी काम: मनगवां में दबंगों की दबंगई, पीड़ित ने वीडियो संदेश से लगाई न्याय की गुहार guhar Aajtak24 News |
रीवा - रीवा जिले की मनगवां तहसील से एक ऐसा चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जो प्रशासनिक उदासीनता, सामाजिक अन्याय और सत्ता-संरक्षित दबंगई की त्रासदी को एक साथ उजागर करता है। यहाँ दबंगों ने सरकारी काम को रोकने के लिए हरिजन अत्याचार निवारण अधिनियम (SC/ST Act) के तहत झूठे मुकदमे में फंसाने की धमकी दी, जिससे सरकारी अमला भयभीत होकर कार्य रोकने को विवश हो गया। इस घटना से आहत एक वृद्ध ग्रामीण ने वीडियो संदेश के जरिए न्याय की गुहार लगाई है, जिसने शासन-प्रशासन की संवेदनहीनता पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
राजस्व कार्य में बाधा और हरिजन एक्ट की धमकी
यह मामला मनगवां थाना अंतर्गत एक ग्राम पंचायत का है, जहाँ राजस्व विभाग के कर्मचारी एक वैधानिक कार्यवाही कर रहे थे। तभी कुछ स्थानीय दबंग, जो स्वयं को राजनेताओं और उच्च अधिकारियों का संरक्षण प्राप्त बताते हैं, मौके पर पहुंचे और कार्य में बाधा डालने लगे। इन दबंगों ने खुलेआम अधिकारियों को हरिजन अत्याचार निवारण अधिनियम (SC/ST Act) के तहत झूठे प्रकरण में फंसाने की धमकी दी। इस धमकी से सरकारी अमला इतना भयभीत हो गया कि उसे अपना काम रोकना पड़ा। यह स्थिति प्रशासन की लचर कार्यशैली और उसकी उदासीनता पर सीधा प्रहार मानी जा रही है।
पीड़ित की व्यथा: "हमारी कहीं सुनवाई नहीं होती"
इस पूरी घटना से एक वृद्ध ग्रामीण इतना आहत हुआ कि उसने अपनी वेदना को रीवा के वरिष्ठ अधिकारियों, कलेक्टर और पुलिस अधीक्षक तक पहुंचाने के लिए एक वीडियो संदेश बनाया। वीडियो में वृद्ध स्पष्ट रूप से कह रहा है कि "हमारी कहीं सुनवाई नहीं होती, जो अधिकारी मौके पर आते हैं वो भी नेताओं के दबाव में चुपचाप लौट जाते हैं। क्या गरीब और साधारण लोगों को न्याय पाने के लिए भी कोई सिफारिश चाहिए?" यह वीडियो संदेश जनसुनवाई की दुर्दशा और आम आदमी के न्याय पाने की मुश्किलों को दर्शाता है।
'कृपा पात्रता' का खेल और प्रशासनिक चुप्पी
मनगवां क्षेत्र में यह आम धारणा बनती जा रही है कि प्रशासनिक कार्यवाही अब 'कृपा पात्रता' पर आधारित हो गई है। यानी, केवल उन्हीं मामलों में सुनवाई होती है, जहाँ कोई राजनैतिक या प्रभावशाली व्यक्ति हस्तक्षेप करता है। ऐसे में आम नागरिकों, विशेषकर वृद्ध और गरीब लोगों के लिए न्याय पाना एक सपना बनता जा रहा है। प्रशासनिक चुप्पी से दबंगों का मनोबल लगातार बढ़ रहा है, और अधिकारी तथा 'सफेदपोशधारी' के संरक्षण में पीड़ितों को न्याय नहीं मिल पा रहा है।
प्रशासन से न्याय और कानून के सम्मान की मांग
इस मामले ने एक बार फिर साबित किया है कि कानून का डर खत्म हो चुका है और उसकी जगह अब धमकी, दबाव और राजनीतिक संरक्षण ने ले ली है। यदि प्रशासन इस प्रकरण को गंभीरता से लेकर दोषियों के विरुद्ध कठोर कार्रवाई नहीं करता, तो यह प्रवृत्ति आने वाले समय में और भी भयावह रूप ले सकती है।
पीड़ित की प्रशासन से प्रमुख मांगें हैं:
- पीड़ित वृद्ध द्वारा भेजे गए वीडियो की तत्काल जांच कर कड़ी कार्रवाई की जाए।
- राजस्व और पुलिस विभाग को स्वतंत्र रूप से कार्य करने दिया जाए, बिना किसी दबाव के।
- हरिजन एक्ट जैसे संवेदनशील कानून का दुरुपयोग कर सरकारी कार्य में बाधा डालने वालों के विरुद्ध कड़ी से कड़ी कार्रवाई सुनिश्चित की जाए।
- जनसुनवाई की व्यवस्था को मजबूत किया जाए ताकि किसी भी वृद्ध या कमजोर व्यक्ति को न्याय के लिए वीडियो बनाकर गुहार न लगानी पड़े।
यह मामला प्रशासन के लिए एक बड़ी चुनौती है कि वह कैसे कानून का राज स्थापित करता है और आम नागरिकों को न्याय दिलाता है, खासकर जब दबंगई और राजनीतिक दबाव हावी हो।