घटना का पूरा विवरण: लाखों का माल गायब, ड्राइवर लापता
ट्रांसपोर्टर राजेंद्र प्रसाद तिवारी ने बताया कि उनकी गाड़ी (नंबर MP 19 HA 5415) 31 मार्च 2025 की सुबह सतना से चैंपियन सीमेंट लोड कर आजमगढ़, उत्तर प्रदेश के लिए रवाना हुई थी। सीमेंट को 3 अप्रैल को आजमगढ़ पहुंचना था। जब सीमेंट तय समय पर गंतव्य तक नहीं पहुंची, तो दुकानदार ने ट्रांसपोर्टर से संपर्क किया। ट्रांसपोर्टर ने बताया कि उन्होंने तो गाड़ी रवाना कर दी थी। 4 अप्रैल को गाड़ी की तलाश शुरू की गई। कड़ी मशक्कत के बाद, ट्रक गढ़ थाना क्षेत्र के उत्तर द्विवेदी ढाबा के समीप सुनसान हालत में खड़ा मिला। हालांकि, गाड़ी से 250 लीटर डीजल और 600 बोरी सीमेंट में से 200 बोरी सीमेंट गायब मिली। तभी से, यानी 4 जून से, ट्रक ड्राइवर की तलाश निरंतर की जा रही है, लेकिन उसका कहीं कोई अता-पता नहीं चल रहा है। लाखों रुपये का माल चोरी हो जाने और ड्राइवर के लापता हो जाने से ट्रांसपोर्टर सदमे में हैं।
पुलिस की 'सीमा विवाद' की रट: पीड़ित को मानसिक प्रताड़ना
राजेंद्र प्रसाद तिवारी ने अपनी आपबीती सुनाते हुए बताया कि उन्होंने थाना गढ़ में इस घटना की लिखित सूचना दर्ज करा दी है, लेकिन दो दिन बीत जाने के बाद भी उनकी एफआईआर (FIR) दर्ज नहीं की गई है। वे पिछले तीन दिनों से थाने-थाने भटक रहे हैं और मानसिक रूप से बेहद परेशान हैं। पुलिस द्वारा उन्हें बार-बार यह कहकर टाल दिया जा रहा है कि जहां से गाड़ी लोड हुई थी (सतना), वहां रिपोर्ट दर्ज कराएं, और फिर सतना जाने पर वहां से कहा जाता है कि जहां गाड़ी मिली है (गढ़ थाना क्षेत्र), वहां रिपोर्ट कराएं। यह 'सीमा क्षेत्र' का विवाद बार-बार सामने आ रहा है, जो पुलिस की कार्यप्रणाली पर बड़ा प्रश्नचिह्न लगाता है। जबकि सरकार के कानून की मंशा स्पष्ट है कि किसी भी अपराध की सूचना मिलने पर जीरो एफआईआर (Zero FIR) दर्ज कर उसे संबंधित थाने को स्थानांतरित कर देना चाहिए, ताकि पीड़ित को अनावश्यक रूप से भटकना न पड़े। लेकिन इस मामले में ऐसा होता नहीं दिख रहा है, जिससे पीड़ित ट्रांसपोर्टर को और अधिक मानसिक प्रताड़ना झेलनी पड़ रही है।
ड्राइवरों की बदलती मानसिकता और पुलिस की जवाबदेही पर सवाल
राजेंद्र प्रसाद तिवारी ने भारी मन से कहा कि कुछ ट्रक ड्राइवरों में अब पैसे की ऐसी लालची मानसिकता आ गई है, जो अन्य विश्वसनीय ट्रक ड्राइवरों को भी बदनाम कर रही है। उन्होंने कहा, "ड्राइवर को एक विश्वसनीय व्यक्ति माना जाता है, जिस पर लाखों-करोड़ों रुपए की गाड़ियां और उसमें लदे लाखों का माल भरोसे के साथ भेजा जाता है। यदि ड्राइवर ही इस तरह की मानसिकता अपना लें, तो हम किस पर भरोसा करेंगे? उन्होंने पुलिस की उदासीनता और लचीलेपन पर भी गहरा रोष व्यक्त किया। तिवारी जी ने कहा, "यह इससे बड़ी उदासीनता और क्या होगी? पुलिस जनता की समस्या सुनने और उसका निराकरण करने के लिए बैठी है। यदि पुलिस यह मानती है कि मेरी शिकायत झूठी है, तो उन्हें कानून के दायरे के अंतर्गत झूठी रिपोर्ट का प्रकरण दर्ज करना चाहिए। और यदि यह माना जाता है कि घटना सही घटित हुई है, तो आरोपी चालक के ऊपर तत्काल प्रकरण पंजीबद्ध किया जाए और जिस थाने का प्रकरण हो, उसे वहां स्थानांतरित किया जाए। उन्होंने कानून के रखवालों से अपील करते हुए कहा कि किसी भी व्यक्ति को इतना मानसिक परेशान न किया जाए, जिसके साथ इतनी बड़ी घटना हुई हो। पीड़ित पहले ही आर्थिक और मानसिक रूप से प्रताड़ित है, और पुलिस की निष्क्रियता उसे और अधिक कष्ट दे रही है।
वरिष्ठ अधिकारियों से हस्तक्षेप की मांग
राजेंद्र प्रसाद तिवारी ने जिले और संभाग के वरिष्ठ अधिकारियों से इस मामले में तत्काल हस्तक्षेप करने की मांग की है। उन्होंने आग्रह किया है कि सभी थानों को स्पष्ट निर्देश दिए जाएं कि इस तरह की घटनाओं में पीड़ित को रिपोर्ट दर्ज कराने के लिए बार-बार भटकना न पड़े और जहां घटना होती है, वहीं एफआईआर दर्ज की जाए। इस मामले में त्वरित कार्रवाई और निष्पक्ष जांच की आवश्यकता है ताकि अपराधियों को पकड़ा जा सके और भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोका जा सके।