मऊगंज में 'मातम का सन्नाटा': सोहागी पहाड़ हादसे में उजड़ा पूरा परिवार, एक साथ जलीं चार चिताएं, सड़क पर उठे सवाल sawal Aajtak24 News

 

मऊगंज में 'मातम का सन्नाटा': सोहागी पहाड़ हादसे में उजड़ा पूरा परिवार, एक साथ जलीं चार चिताएं, सड़क पर उठे सवाल sawal Aajtak24 News

मऊगंज/शाहपुर - मऊगंज के भमरा गांव में बुधवार, 5 जून की सुबह हुए एक दर्दनाक सड़क हादसे ने पूरे गांव को शोक में डुबो दिया है। गंगा स्नान कर प्रयागराज से लौट रहे श्रद्धालुओं से भरी एक ऑटो पर सीमेंट शीट से लदा एक ट्रेलर पलट गया, जिससे सात लोगों की मौत हो गई। इन सात मृतकों में से चार लोग एक ही परिवार के थे, जिसने गांव में मातम का सन्नाटा पसरा दिया है।

एक साथ जलीं चार चिताएं, पूरा गांव रोया

गुरुवार, 6 जून की दोपहर जब मृतक रामजीत जैसवाल, उनकी पत्नी पिंकी, बेटा शिवम और पिता हीरालाल की एक साथ चिताएं जलीं, तो पूरा भमरा गांव रो पड़ा। हजारों लोगों की आंखें नम थीं और हर किसी के मन में यही सवाल था—"क्या ऐसी मौत की किसी को कल्पना थी?" यह दृश्य इतना हृदय विदारक था कि हर कोई स्तब्ध रह गया। जानकारी के अनुसार, रामजीत जैसवाल उमरिया में चाट-फुल्की का ठेला लगाकर परिवार का भरण-पोषण करते थे। जनवरी में उन्होंने एक ऑटो खरीदी थी, जिसका उपयोग वे अपने व्यापार का सामान लाने-ले जाने के लिए करते थे। 3 जून को वे अपने पूरे परिवार को लेकर गांव आए थे। 4-5 जून की दरम्यानी रात, वे अपने परिवार के साथ गंगा स्नान के लिए प्रयागराज निकले थे, और वापसी के दौरान सोहागी पहाड़ के पास यह भीषण हादसा हो गया।

सड़क सुरक्षा पर गंभीर सवाल, जनप्रतिनिधियों की भूमिका पर प्रश्नचिह्न

इस हादसे में कुल सात लोगों की मौत हुई, जबकि तीन अन्य गंभीर रूप से घायल हैं। सभी शवों का पोस्टमॉर्टम रीवा में कराया गया, जिसके बाद देर शाम चार शव भमरा गांव पहुंचे और 6 जून को दोपहर 12 बजे उनका अंतिम संस्कार किया गया। इस दुखद घटना के बाद सड़क सुरक्षा और स्थानीय जनप्रतिनिधियों की भूमिका पर गंभीर सवाल उठने लगे हैं। पूर्व विधायक सुखेन्द्र सिंह बन्ना सहित आसपास के क्षेत्र से भारी संख्या में लोग श्रद्धांजलि देने पहुंचे। लेकिन ग्रामीणों और स्थानीय लोगों में इस बात को लेकर भी गुस्सा है कि राष्ट्रीय राजमार्ग 30 और 35 की दुर्दशा पर क्यों कोई आवाज नहीं उठाता। यह आरोप लग रहे हैं कि क्षेत्र के विधायक, सांसद और मंत्री सड़कों की खराब स्थिति पर ध्यान नहीं देते और दुर्घटनाओं का इंतजार करते हैं, उसके पहले या बाद कोई न तो आवाज उठाता है और न ही कोई पहल होती है। यह हादसा सिर्फ एक परिवार नहीं, बल्कि पूरे गांव की उम्मीदों को लील गया है, और इसने एक बार फिर खराब सड़कों और सुरक्षा उपायों की कमी के कारण होने वाले हादसों पर गंभीर चिंतन की आवश्यकता को उजागर किया है।


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