रीवा में नशीली दवाओं के अवैध कारोबार का भंडाफोड़: एक मेडिकल सील, तीन संचालक फरार farar Aajtak24 News

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रीवा/मध्य प्रदेश - रीवा में युवाओं को नशे की गिरफ्त में धकेलने वाले एक बड़े नेटवर्क का खुलासा हुआ है। जिला प्रशासन और पुलिस ने एक संयुक्त अभियान चलाकर नशीली और प्रतिबंधित दवाओं के अवैध संग्रहण और बिक्री में लिप्त मेडिकल स्टोर्स पर बड़ी कार्रवाई की है। यह कार्रवाई कलेक्टर रीवा और पुलिस अधीक्षक रीवा के निर्देश पर औषधि निरीक्षक राधेश्याम वट्टी और थाना चोरहटा प्रभारी आशीष मिश्रा की अगुवाई में की गई।

पुलिस जांच से सामने आया अवैध नेटवर्क

एक दिन पहले, थाना चोरहटा पुलिस ने नशे के लिए दुरुपयोग की जाने वाली भारी मात्रा में टेबलेट्स जब्त की थीं। पुलिस जांच में यह सामने आया कि ये प्रतिबंधित दवाएं कुछ स्थानीय मेडिकल दुकानों से अवैध रूप से सप्लाई की जा रही थीं। इसी सूचना के आधार पर औषधि विभाग और पुलिस टीम ने तुरंत एक्शन लिया और तीन से चार संदिग्ध मेडिकल दुकानों पर एक साथ दबिश दी। इन छापों में अंबालिका मेडिकल एजेंसी नामक एक मेडिकल स्टोर में भारी अनियमितताएं पाई गईं, जिसके बाद उसे तत्काल सील कर दिया गया।

तीन संचालक फरार, कठोर कार्रवाई की तैयारी

छापेमारी की भनक लगते ही तीन अन्य मेडिकल स्टोर संचालक मौके से फरार हो गए। प्रारंभिक जांच में इनकी संलिप्तता भी संदिग्ध मानी गई है। पुलिस उनके ठिकानों पर लगातार दबिश दे रही है और जल्द ही उनके नामों का खुलासा कर NDPS एक्ट और ड्रग्स एक्ट के तहत कठोर विधिक कार्रवाई की जाएगी। इन धाराओं के अंतर्गत दोषी पाए जाने पर संबंधित संचालकों को कई वर्षों की जेल और भारी आर्थिक जुर्माना हो सकता है।

प्रशासन का सख्त रुख: 'अब नहीं चलेगा नशे का धंधा'

जिला प्रशासन ने स्पष्ट कर दिया है कि रीवा में नशीली दवाओं के अवैध व्यापार को बिल्कुल बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। ऐसे तत्वों के खिलाफ बिना किसी दबाव या सिफारिश के सख्त कानूनी कार्रवाई की जाएगी। यह भी संकेत मिले हैं कि आगामी दिनों में अन्य मेडिकल स्टोर्स की भी गहन जांच की जाएगी।

बढ़ते नशे का संकट और सामाजिक चिंता

रीवा सहित मऊगंज, गुढ़, और चोरहटा जैसे क्षेत्रों में लंबे समय से यह आशंका जताई जा रही थी कि कुछ मेडिकल दुकानों से ट्रामाडोल, अल्प्राजोलम और कोरेक्स सिरप जैसी नशीली श्रेणियों की गोलियों और सिरप की अवैध आपूर्ति हो रही है। ये नशीली दवाएं युवाओं और किशोरों में नशे की लत बढ़ाने में अहम भूमिका निभा रही थीं। इस अवैध व्यापार ने स्कूल-कॉलेज के छात्रों और बेरोजगार युवाओं को अपना शिकार बनाया है, जिससे क्षेत्र में अपराध, मानसिक असंतुलन और आत्महत्या जैसी घटनाएं भी बढ़ी हैं।

संभागीय आयुक्त, रीवा संभाग से भी इस गंभीर मुद्दे पर विशेष ध्यान देने की अपील की गई है। मेडिकल स्टोर्स की नियमित जांच औषधि निरीक्षकों की जिम्मेदारी है, लेकिन स्वास्थ्य विभाग द्वारा जिस तरह से शहर से लेकर ग्रामीण अंचलों तक मेडिकल हॉल और मेडिकल स्टोर के लाइसेंस दिए जा रहे हैं, उन पर भी सवाल उठ रहे हैं। यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता है कि खरीदी गई दवाइयां किन मेडिकल स्टोर्स को बेची गईं और उन मेडिकल स्टोर धारकों द्वारा किस डॉक्टर की पर्ची पर दवा बिक्री की गई। इन बिंदुओं की जांच होनी चाहिए और स्वास्थ्य विभाग की जिम्मेदारी सुनिश्चित की जानी चाहिए, क्योंकि अकेले पुलिस के लिए इस मेडिकल नशे पर रोक लगाना संभव नहीं है। औषधि निरीक्षकों पर विशेष जिम्मेदारी ठहराते हुए संभाग में ऐसे मेडिकल स्टोर्स की गहन जांच की आवश्यकता है, जिससे नशा कारोबारियों की कमर तोड़ी जा सके।

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