नक्सल गढ़ में बदली तस्वीर: CRPF जवान बने दुल्हन के 'भाई', हिड़मा के गांव में दिखा उम्मीद का नया रंग rang Aajtak24 News


नक्सल गढ़ में बदली तस्वीर: CRPF जवान बने दुल्हन के 'भाई', हिड़मा के गांव में दिखा उम्मीद का नया रंग rang Aajtak24 News

सुकमा/छत्तीसगढ़ - बस्तर के सुकमा जिले के पूवर्ती गांव से एक बेहद खूबसूरत और दिल को छू लेने वाली तस्वीर सामने आई है, जो नक्सल प्रभावित क्षेत्र में आ रहे सकारात्मक बदलाव का प्रतीक है। खूंखार नक्सली हिड़मा और देवा के गांव के नाम से मशहूर पूवर्ती में एक बेटी की शादी के दौरान, सुरक्षाबलों के जवान न सिर्फ विवाह समारोह में शामिल हुए, बल्कि दुल्हन के भाई बनकर उन्होंने अपना फर्ज भी निभाया। यह वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है, जहाँ दुल्हन जवानों के पैर छूकर आशीर्वाद लेती दिखाई दे रही है।

जवानों ने ऐसे निभाया 'भाई' का फर्ज

जानकारी के अनुसार, पूवर्ती गांव में एक शादी समारोह का आयोजन किया गया था. जब दुल्हन की विदाई का समय आया, तो सुरक्षा में तैनात सीआरपीएफ 150वीं बटालियन के अधिकारी और जवान मौके पर पहुंच गए। उन्होंने 'भाई' होने का फर्ज निभाते हुए दुल्हन को नेग दिया, उसे आशीर्वाद दिया, और नाचते-गाते ग्रामीणों के साथ विवाह की खुशियां साझा कीं। इस मौके पर दुल्हन भी भावुक हो गई और उसने जवानों को भाई मानते हुए उनके पैर छूकर आशीर्वाद लिया। जवानों के इस आत्मीय भाव ने सभी का दिल जीत लिया।

बदलाव की खूबसूरत तस्वीर

यह घटना नक्सलियों के गढ़ में आ रहे बड़े बदलाव की एक महत्वपूर्ण तस्वीर मानी जा रही है. पूवर्ती, जो कभी नक्सली कमांडरों का गढ़ था, जहाँ ग्रामीण पहले पुलिस और जवानों को देखकर दूर भागते थे, वहीं अब वे उनके करीब आ रहे हैं और उनके साथ खुशियां बांट रहे हैं। छत्तीसगढ़ के वन मंत्री केदार कश्यप ने भी इस वीडियो को सोशल मीडिया पर पोस्ट करते हुए लिखा है। "जब पूवर्ती गांव की बेटी की विदाई हुई, तो वो सीधे सुरक्षाबल के अपने भाइयों के पास सीआरपीएफ कैंप में पहुंची। 150वीं बटालियन के जवानों ने पूरी आत्मीयता के साथ बहन को नेग दिया, आशीर्वाद दिया और खुशी में झूमकर नाचे भी. जहाँ कभी डर और सन्नाटा था, आज वहां प्रेम, अपनापन और सुरक्षा का…."

यह घटना दर्शाती है कि केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा क्षेत्र में शांति बहाली और विकास के लिए किए जा रहे प्रयासों का सकारात्मक परिणाम दिख रहा है। सुरक्षा बलों की मानवीय पहलें ग्रामीणों का विश्वास जीतने और उन्हें मुख्यधारा से जोड़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं. यह सिर्फ एक शादी नहीं, बल्कि बस्तर में उम्मीद और सौहार्द के नए अध्याय की शुरुआत है।



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