रीवा में फिर 'मौत की घाटी' बनी सोहागी पहाड़: भीषण सड़क हादसे में 7 श्रद्धालुओं की दर्दनाक मौत, 3 गंभीर घायल ghayal Aajtak24 News

 

रीवा में फिर 'मौत की घाटी' बनी सोहागी पहाड़: भीषण सड़क हादसे में 7 श्रद्धालुओं की दर्दनाक मौत, 3 गंभीर घायल ghayal Aajtak24 News 

रीवा - सड़क दुर्घटनाओं के लिए कुख्यात रीवा-प्रयागराज नेशनल हाईवे 30 पर स्थित सोहागी पहाड़ की घाटी, जिसे अक्सर 'मौत की घाटी' कहा जाता है, एक बार फिर खून से लाल हो गई है। आज, दिनांक 5 जून 2025 को दोपहर में एक भीषण सड़क दुर्घटना घटित हुई, जिसमें एक ही परिवार के सात श्रद्धालुओं की असमय मृत्यु हो गई और तीन लोग गंभीर रूप से घायल हो गए। इस त्रासदी ने एक बार फिर राष्ट्रीय राजमार्गों की दुर्दशा और प्रशासनिक उदासीनता पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।

दर्दनाक हादसा और मृतकों की पहचान:

जानकारी के मुताबिक, सीमेंट की सीट से लदा एक ट्रक रीवा की ओर आ रहा था, तभी सोहागी घाटी में अनियंत्रित होकर पलट गया। उसी समय प्रयागराज की तरफ से आ रहा एक ऑटो रिक्शा उसकी चपेट में आ गया। इस भयावह टक्कर से ऑटो में सवार छह लोगों की मौत घटनास्थल पर ही हो गई, जबकि एक अन्य व्यक्ति ने अस्पताल ले जाते समय रास्ते में दम तोड़ दिया। बताया गया है कि मऊगंज जिले के ये श्रद्धालु प्रयागराज में गंगा स्नान कर ऑटो से अपने घर लौट रहे थे। जैसे ही उनका ऑटो सोहागी पहाड़ में पहुंचा, सीमेंट से भरे ट्रक के पलटने से वे उसके नीचे दब गए। इस दुर्घटना में कुल सात लोगों की मृत्यु हुई है और तीन गंभीर रूप से घायल हुए हैं। सभी मृतक और घायल एक ही परिवार के सदस्य बताए गए हैं।

मृतकों की सूची:

रामजीत जायसवाल (38 वर्ष) - निवासी भमरा, थाना शाहपुर, जिला मऊगंज

पिंकी जायसवाल (पत्नी रामजीत जायसवाल, 35 वर्ष) - निवासी भमरा, थाना शाहपुर, जिला मऊगंज

अंबिका (पिता रामजीत जायसवाल, 9 वर्ष) - निवासी भमरा, थाना शाहपुर, जिला मऊगंज

हीरालाल जायसवाल (पिता शोभनाथ, 65 वर्ष) - निवासी भमरा, थाना शाहपुर, जिला मऊगंज

अरविंद (पिता वरुण जायसवाल, 5 वर्ष) - निवासी बहेरी, थाना देवतालाब, जिला मऊगंज

मानवी (पुत्री वरुण जायसवाल, 7 वर्ष) - निवासी बहेरी, थाना देवतालाब, जिला मऊगंज

सौरभ (पिता प्रवीण जायसवाल, 11 वर्ष) - निवासी उमरी, जिला मऊगंज

घायलों में भी बच्चे शामिल:

रविता (पति वरुण जायसवाल, 30 वर्ष) - निवासी बहेरी, थाना देवतालाब

प्रियांशु (पिता रामजीत जायसवाल, 6 वर्ष)

अदिति (पिता रामजीत जायसवाल, 5 वर्ष) - दोनों निवासी भमरा, थाना शाहपुर, जिला मऊगंज

पुलिस और प्रशासन की प्रारंभिक प्रतिक्रिया:

घटना की जानकारी मिलते ही सोहागी थाना पुलिस तत्काल मौके पर पहुंची और राहत व बचाव कार्य में जुट गई। एडिशनल एसपी रीवा विवेक लाल ने बताया कि दुर्घटना की सूचना मिलने के बाद पुलिस ने सभी घायलों को तुरंत रीवा के संजय गांधी अस्पताल में भर्ती कराया। उन्होंने यह भी बताया कि ऑटो में सवार लोग नईगढ़ी थाना क्षेत्र के देवतालाब और मऊगंज के निवासी हैं, और पूरे मामले की विस्तृत जांच की जा रही है।

सड़क सुरक्षा पर गंभीर सवाल: लापरवाही की जड़ें गहरी

यह दुर्घटना केवल एक हादसा नहीं, बल्कि नेशनल हाईवे 30 और 35 की जानलेवा स्थिति और प्रशासनिक लापरवाही का सीधा परिणाम है। प्रशासन सड़क दुर्घटनाओं के बाद कुछ समय के लिए सक्रियता दिखाता है, लेकिन कुछ ही समय बाद फिर से वही पुराने ढर्रे पर लौट आता है। यह विडंबना ही है कि हाल ही में 'सड़क सुरक्षा सप्ताह' जैसे अभियान चलाए गए, लेकिन शाहपुर थाना से लेकर प्रयागराज तक पुलिस और परिवहन विभाग को यह क्यों नहीं दिखा कि ऑटो में क्षमता से अधिक सवारियां कैसे बॉर्डर और थानों को पार कर रही थीं? इन राष्ट्रीय राजमार्गों पर सड़क निर्माण के मानक पूरे नहीं किए गए हैं। खराब सड़कों पर सुधार के नाम पर लगाए गए 'पैच' उन्हें और भी जानलेवा बना रहे हैं। हाईवे पर डिवाइडर बीच-बीच में कटे हुए हैं, जो अचानक वाहनों की आवाजाही को बढ़ावा देते हैं, और पटरियां अधूरी पड़ी हुई हैं। आज तक न्यूज़ 24 जैसे मीडिया माध्यम कई बार इन सड़कों की दुर्दशा को प्रमुखता से प्रकाशित कर चुके हैं, लेकिन प्रशासन ने कभी इस पर गंभीरता से विचार नहीं किया, जिसके परिणामस्वरूप आए दिन गंभीर दुर्घटनाएं होती रहती हैं।

जनता और सरकार के सामने अब ये सवाल:

क्या रीवा-मऊगंज की सड़कें इसी तरह 'मौत के गलियारे' बनी रहेंगी, जहां निर्दोष लोग अपनी जान गंवाते रहेंगे? सड़क सुरक्षा सप्ताह जैसे अभियान केवल दिखावा हैं, या उनका वास्तविक उद्देश्य भी है? क्या नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया (NHAI) और स्थानीय प्रशासन को इन जानलेवा सड़कों के लिए जवाबदेह ठहराया जाएगा? क्षमता से अधिक सवारी ढोने वाले वाहनों पर रोक लगाने में परिवहन विभाग और पुलिस क्यों विफल रही है?

यह दुर्घटना सिर्फ एक परिवार के लिए नहीं, बल्कि पूरे समाज के लिए एक बड़ा सबक है। जब तक सड़कों के बुनियादी ढांचे को मजबूत नहीं किया जाता, यातायात नियमों का कड़ाई से पालन नहीं कराया जाता और लापरवाही पर सख्त कार्रवाई नहीं होती, तब तक ऐसी दर्दनाक घटनाएं होती रहेंगी और 'विकास' के दावे खून से सने रहेंगे।





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