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अमरनाथ यात्रा को लेकर सुरक्षा बढ़ी: 3 जुलाई से शुरू हो रही यात्रा के लिए चप्पे-चप्पे पर पुलिस और BSF की तैनाती Aajtak24 News |
जम्मू - जम्मू से शुरू होने वाली वार्षिक श्री अमरनाथ यात्रा के लिए सुरक्षा व्यवस्था को चरम पर पहुंचा दिया गया है। 3 जुलाई से शुरू होने वाली इस 38 दिवसीय तीर्थयात्रा को सुरक्षित और निर्बाध बनाने के लिए जम्मू-कश्मीर पुलिस और केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों (CAPFs) ने मिलकर अभूतपूर्व इंतज़ाम किए हैं। हाल ही में पहलगाम में हुए आतंकी हमले को देखते हुए, सुरक्षा एजेंसियां किसी भी खतरे को नाकाम करने के लिए पूरी तरह से मुस्तैद हैं। तीर्थयात्रियों का पहला जत्था 2 जुलाई को जम्मू स्थित भगवती नगर आधार शिविर से कश्मीर के लिए रवाना होगा।
हाईवे और बेस कैंप पर सुरक्षा का कड़ा घेरा
यात्रा शुरू होने से पहले, जम्मू पुलिस ने पूरे जिले में रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण स्थानों पर संयुक्त जांच चौकियां (Joint Checkpoints) और नाके स्थापित किए हैं। ये चौकियां राष्ट्रीय राजमार्गों, जम्मू शहर के बाहरी इलाकों और भगवती नगर आधार शिविर की ओर जाने वाले सभी संवेदनशील और व्यस्त मार्गों पर 24 घंटे काम कर रही हैं। इन नाकों पर पुलिस के साथ-साथ केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (CISF), केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (CRPF) और भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (ITBP) जैसे केंद्रीय बलों के जवानों को भी तैनात किया गया है।
सघन तलाशी और निगरानी: इन चौकियों पर तैनात कर्मी हर आने-जाने वाले वाहन की गहन तलाशी ले रहे हैं। वाहनों में मौजूद लोगों का सत्यापन किया जा रहा है और संदिग्ध गतिविधियों पर पैनी नज़र रखी जा रही है। इसका मुख्य उद्देश्य किसी भी संभावित आतंकी साजिश या घुसपैठ को रोकना है।
वरिष्ठ अधिकारियों की सीधी निगरानी: वरिष्ठ पुलिस अधिकारी स्वयं इन चौकियों की निगरानी कर रहे हैं ताकि सुरक्षा में कोई चूक न हो। नाका टीमों को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया गया है कि वे यात्रियों और नागरिकों के साथ सम्मानजनक व्यवहार करें, लेकिन जांच में कोई ढिलाई न बरतें।
मॉक ड्रिल और बचाव अभ्यास: यात्रा शुरू होने से पहले ही सुरक्षा बलों ने बेस कैंप यात्री निवास पर मॉक ड्रिल की है। साथ ही, CRPF और अन्य एजेंसियों ने जम्मू-श्रीनगर हाईवे पर भूस्खलन जैसी आपात स्थिति से निपटने के लिए बचाव अभियान का भी अभ्यास किया है।
BSF की सीमा पर तैयारी: 'ऑपरेशन सिंदूर' के बाद बढ़ी चौकसी
अमरनाथ यात्रा की सुरक्षा केवल हाईवे तक सीमित नहीं है, बल्कि अंतर्राष्ट्रीय सीमा पर भी अभूतपूर्व चौकसी बरती जा रही है। बॉडर सिक्योरिटी फोर्स (BSF) ने जम्मू में अंतर्राष्ट्रीय सीमा के चप्पे-चप्पे पर अपनी गश्त बढ़ा दी है।
'ऑपरेशन सिंदूर' का प्रभाव: BSF ने यह स्पष्ट कर दिया है कि 'ऑपरेशन सिंदूर' के बाद भी खतरा टला नहीं है। पाकिस्तान के सियालकोट और शकरगढ़ जैसे सेक्टर, जहाँ आतंकियों के लॉन्चपैड मौजूद हैं, वहाँ से भविष्य में भी घुसपैठ की कोशिशें हो सकती हैं।
अतिरिक्त और महिला कमांडो की तैनाती: सीमा पर BSF की अतिरिक्त टुकड़ियों और महिला कमांडो को भी तैनात किया गया है। जवान सीमा की तारबंदी के साथ-साथ फॉरवर्ड ड्यूटी पॉइंट्स पर 24 घंटे पेट्रोलिंग कर रहे हैं। पाकिस्तानी गतिविधियों पर नज़र रखने के लिए आधुनिक निगरानी उपकरणों का भी इस्तेमाल किया जा रहा है। हाल ही में उधमपुर के बसंतगढ़ में एक आतंकी को मार गिराने के बाद सुरक्षा बलों का सर्च ऑपरेशन जारी है, जो दर्शाता है कि सुरक्षा एजेंसियां हर मोर्चे पर तैयार हैं।
यात्रा से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारी और यात्रियों से अपील
यह वार्षिक तीर्थयात्रा दो मार्गों से होती है:
पहलगाम मार्ग: यह 48 किलोमीटर लंबा पारंपरिक मार्ग है, जो ढलान वाला और प्राकृतिक रूप से सुंदर है। यह मार्ग उन तीर्थयात्रियों के लिए बेहतर है जो पहली बार यात्रा कर रहे हैं या बुजुर्ग हैं।
बालटाल मार्ग: यह 14 किलोमीटर का छोटा, लेकिन खड़ी ढलान वाला मार्ग है, जो शारीरिक रूप से अधिक चुनौतीपूर्ण है। यह उन यात्रियों के लिए है जो कम समय में दर्शन करना चाहते हैं।
यात्रियों के लिए ज़रूरी दस्तावेज़ और नियम:
अनिवार्य स्वास्थ्य प्रमाण पत्र (CHC): हर श्रद्धालु को SASB द्वारा मान्यता प्राप्त डॉक्टर या अस्पताल से स्वास्थ्य प्रमाण पत्र लेना अनिवार्य है।
यात्रा परमिट: जिस रूट पर आप जा रहे हैं, उसका परमिट होना ज़रूरी है।
RFID कार्ड: बायोमेट्रिक पहचान के बाद यह कार्ड मिलता है, जो यात्रा के दौरान सुरक्षा और निगरानी के लिए महत्वपूर्ण है।
अन्य दस्तावेज़: आधार कार्ड/पासपोर्ट, 6 पासपोर्ट साइज़ फोटो, और एक वैध मोबाइल नंबर।
उम्र और स्वास्थ्य सीमा: यह यात्रा केवल 13 से 70 साल की उम्र के स्वस्थ लोग ही कर सकते हैं। दिल की बीमारी, सांस की तकलीफ, हाई बीपी या डायबिटीज जैसी गंभीर बीमारियों से पीड़ित लोगों को यात्रा की अनुमति नहीं मिलेगी।
सुरक्षा एजेंसियों ने तीर्थयात्रियों से अपील की है कि वे 2 जुलाई को निर्धारित काफिले के साथ ही रवाना हों और अकेले यात्रा करने से बचें। ऐसा न करने पर न केवल जान का खतरा बढ़ सकता है, बल्कि सुरक्षा व्यवस्था में भी व्यवधान आ सकता है। यह यात्रा न केवल एक धार्मिक कर्तव्य है, बल्कि आस्था, धैर्य और शारीरिक क्षमता की एक कड़ी परीक्षा भी है, इसलिए यात्रियों को सभी नियमों का सख्ती से पालन करने की सलाह दी गई है।