रीवा-मऊगंज में बेलगाम अपराध और मेडिकल नशा: प्रशासनिक निष्क्रियता पर उठते गंभीर सवाल saval Aajtak24 News


रीवा-मऊगंज में बेलगाम अपराध और मेडिकल नशा: प्रशासनिक निष्क्रियता पर उठते गंभीर सवाल saval Aajtak24 News

रीवा - मध्यप्रदेश के रीवा और मऊगंज जिले इन दिनों बेलगाम अपराधों और मेडिकल नशे के बढ़ते कारोबार से जूझ रहे हैं, जिससे स्थानीय प्रशासन, पुलिस और जनप्रतिनिधियों की भूमिका पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं। आम जनता में असुरक्षा का माहौल गहराता जा रहा है, और अपराधियों के हौसले इतने बुलंद हैं कि वे कानून को खुलेआम चुनौती दे रहे हैं। हाल ही में थाना गढ़ के अंतर्गत ग्राम पंचायत लौरी कला में एक युवक पर धारदार हथियार से जानलेवा हमला हुआ, जिसमें युवक की हालत गंभीर बनी हुई है। चौंकाने वाली बात यह है कि हमलावर स्थानीय अपराधी हैं, जिनका आपराधिक इतिहास रहा है, और उनके वीडियो फुटेज में वे बेखौफ होकर पुलिस को चुनौती देते दिख रहे हैं। यह स्थिति कहीं न कहीं अपराधियों को मिल रहे राजनीतिक या प्रशासनिक संरक्षण की ओर इशारा करती है। इसके साथ ही, रीवा और मऊगंज में मेडिकल नशे का मकड़जाल तेजी से फैल रहा है, जहाँ कोरेक्स, ट्रामाडोल और अल्प्राजोलम जैसी नशीली दवाएं छोटे कस्बों और गांवों तक पहुँच चुकी हैं। यह न केवल स्वास्थ्य का संकट है, बल्कि युवा पीढ़ी के सामाजिक और आर्थिक पतन का भी संकेत है। जनता सवाल कर रही है कि चुनाव के समय बड़े-बड़े वादे करने वाले जनप्रतिनिधि और प्रशासन इन गंभीर मुद्दों पर मौन क्यों हैं? क्या प्रदेश एक बार फिर 2004 से पहले वाली अराजकता की स्थिति में लौट रहा है, जब अपराध और नशे का बोलबाला था? यदि इन गंभीर चुनौतियों पर तुरंत ध्यान नहीं दिया गया, तो यह संकट पूरे प्रदेश के लिए गहरा घाव बन सकता है।

लौरी कला में जानलेवा हमला: अपराधियों का दुस्साहस

सबसे ताज़ा और चिंताजनक घटना थाना गढ़ अंतर्गत ग्राम पंचायत लौरी कला की है, जहाँ 28 मई 2025 की रात एक युवक पर धारदार हथियार से जानलेवा हमला किया गया। युवक की हालत गंभीर बनी हुई है। सूत्रों के अनुसार, हमलावर लौरी गाँव के ही हैं, जिनका आपराधिक इतिहास रहा है और वे पहले से ही कई अपराधों में आरोपी हैं।स्थानीय लोगों द्वारा उपलब्ध कराए गए ऑडियो और वीडियो फुटेज स्पष्ट करते हैं कि हमलावरों को पुलिस या कानून का कोई डर नहीं है। वीडियो में कुछ आरोपी खुलेआम पुलिस को चुनौती देते दिख रहे हैं, जो इस बात का संकेत है कि अपराधियों को कहीं न कहीं राजनीतिक या प्रशासनिक संरक्षण मिल रहा है।

बढ़ता मेडिकल नशा: युवा पीढ़ी के लिए अभिशाप

रीवा और मऊगंज जिलों में अपराध के साथ-साथ मेडिकल नशे का चलन भी तेजी से बढ़ रहा है। नशीली दवाओं की अवैध बिक्री और वितरण अब छोटे कस्बों और गांवों तक पहुँच चुकी है। युवाओं को कोरेक्स, ट्रामाडोल, अल्प्राजोलम जैसी दवाओं का आदी बनाया जा रहा है, जिससे उनमें आपराधिक प्रवृत्ति बढ़ रही है। यह केवल स्वास्थ्य का संकट नहीं, बल्कि सामाजिक और आर्थिक पतन का संकेत है। सवाल यह है कि प्रशासन, ड्रग्स कंट्रोल ब्यूरो कहाँ हैं, और क्या स्थानीय जनप्रतिनिधियों की कोई जवाबदेही नहीं बनती?

प्रशासनिक उदासीनता और जनप्रतिनिधियों की चुप्पी

इन सब घटनाओं के बीच स्थानीय प्रशासन की निष्क्रियता और जनप्रतिनिधियों की चुप्पी सबसे अधिक चिंताजनक है। जनता यह जानना चाहती है कि चुनाव के समय वोट मांगने वाले नेता, आज जनता की सुरक्षा के मुद्दे पर चुप क्यों हैं? प्रदेश सरकार में मंत्री या वरिष्ठ पदों पर आसीन कई जनप्रतिनिधि अपने ही क्षेत्र में कानून व्यवस्था की बिगड़ती स्थिति पर मौन हैं, जिससे जनता में आक्रोश बढ़ रहा है।

क्या मध्य प्रदेश 2004 से पहले की स्थिति में लौट रहा है?

यह स्थिति कुछ हद तक 2004 से पहले के मध्य प्रदेश की याद दिलाती है, जब कांग्रेस शासन में अपराध, आरक्षण की राजनीति, जातिवादी दंगे और नशे का बोलबाला था। उसी के परिणामस्वरूप जनता ने कांग्रेस को सत्ता से बेदखल कर भाजपा को सत्ता सौंपी थी। लेकिन आज भाजपा की ही सरकार में अपराधियों के हौसले बुलंद हैं, मेडिकल नशा खुलेआम बिक रहा है और पुलिस-प्रशासन मूकदर्शक बना हुआ है। क्या यही "सुशासन" का दावा था?

संगठन के लिए आत्मचिंतन का समय

भारतीय जनता पार्टी, जिसे विश्व का सबसे बड़ा राजनीतिक संगठन कहा जाता है, को अब यह विचार करना होगा कि आखिर क्यों उनके ही शासित प्रदेशों में कानून व्यवस्था ढहती दिख रही है। क्या पार्टी अब केवल हिंदू-मुसलमान की राजनीति तक सीमित रहेगी या समाज के बुनियादी मुद्दों – जैसे सुरक्षा, शिक्षा, स्वास्थ्य और न्याय – पर भी ध्यान केंद्रित करेगी? यदि समय रहते संगठन और सरकार ने इस ओर ध्यान नहीं दिया, तो जनता उसी तरह से सत्ता से बेदखल करने में देर नहीं करेगी, जैसे कांग्रेस को 25 साल पहले किया था। रीवा और मऊगंज जिले की घटनाएँ केवल एक क्षेत्रीय संकट नहीं हैं, बल्कि यह प्रदेश की कानून व्यवस्था के गिरते स्तर का संकेत हैं। यदि आज इन घटनाओं को गंभीरता से नहीं लिया गया, तो आने वाले समय में यह संकट पूरे प्रदेश के लिए गहरा घाव बन सकता है।



Post a Comment

Previous Post Next Post