मुंबई में फिर भाषा विवाद: पिज्जा डिलीवरी बॉय को मराठी न बोलने पर नहीं दिए पैसे paise Aajtak24 News

 

मुंबई में फिर भाषा विवाद: पिज्जा डिलीवरी बॉय को मराठी न बोलने पर नहीं दिए पैसे paise Aajtak24 News 

मुंबई - मुंबई के भांडुप इलाके में एक बार फिर भाषा विवाद देखने को मिला है, जहां एक दंपती ने सिर्फ इसलिए एक पिज्जा डिलीवरी बॉय को पैसे देने से इनकार कर दिया क्योंकि वह मराठी में बात नहीं कर पा रहा था। इस घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है, जिसने भाषा को लेकर जारी बहस को फिर से गरमा दिया है। जानकारी के अनुसार, डोमिनोज पिज्जा का डिलीवरी बॉय रोहित सोमवार रात साईं राधे नामक बिल्डिंग में एक ग्राहक को पिज्जा पहुंचाने गया था। जब उसने ग्राहक दंपती को पिज्जा दिया तो उन्होंने उससे मराठी में बात करने को कहा। रोहित के हिंदी में बोलने पर दंपती नाराज हो गया और उसे पैसे देने से इनकार कर दिया। वायरल वीडियो में साफ सुना जा सकता है कि दरवाजे के अंदर से एक महिला कह रही है, "पैसा चाहिए तो मराठी बोलनी पड़ेगी। यहां मराठी बोलना जरूरी है। 

वीडियो में डिलीवरी बॉय रोहित बार-बार यह पूछता हुआ सुनाई दे रहा है कि क्या मराठी बोलना इतना जरूरी है और यह तो जबरदस्ती है। इस पर महिला लगातार कहती है, "हां, यह जरूरी है। मराठी बोलोगे तभी पैसे देंगे।भांडुप के इस दंपती ने पिज्जा लेने के बाद रोहित को दरवाजे पर रोक लिया और उससे मराठी में बात करने की जिद करने लगे। रोहित ने जब पूछा कि मराठी बोलने की जबरदस्ती क्यों है, तो महिला ने जवाब दिया, "हां, यहां ऐसा ही है।" वीडियो में यह भी देखा जा सकता है कि दंपती कभी मराठी बोलने का बहाना बनाता रहा तो कभी पिज्जा खराब होने का बहाना बनाता रहा, लेकिन डिलीवरी बॉय को पैसे नहीं दिए। हैरानी की बात यह है कि उन्होंने पिज्जा भी वापस नहीं किया, जिसके कारण अंततः रोहित को बिना भुगतान के ही वापस लौटना पड़ा।

इस घटना पर डोमिनोज की ओर से अभी तक कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है। हालांकि, यह घटना मुंबई में हिंदी बनाम मराठी भाषा विवाद की एक और कड़ी के रूप में देखी जा रही है। हाल ही में, राज ठाकरे की महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (MNS) के कार्यकर्ताओं द्वारा बैंकों में जाकर बैंक कर्मचारियों से मराठी में बात न करने पर दुर्व्यवहार करने के मामले सामने आए थे, जिसमें उन्होंने कहा था कि महाराष्ट्र में काम करने के लिए मराठी बोलना अनिवार्य है। अब इस नए मामले ने भाषा को लेकर चल रहे विवाद को और बढ़ा दिया है। यह घटना दर्शाती है कि मुंबई में भाषा को लेकर तनाव अभी भी मौजूद है और आम नागरिकों को भी इसका सामना करना पड़ रहा है।

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