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कलेक्टर की सख्त कार्रवाई: पीएम आवास योजना में लापरवाही पर तीन जनपद सीईओ को कारण बताओ नोटिस notice Aajtak24 News |
गरियाबंद - प्रधानमंत्री आवास योजना के क्रियान्वयन में बरती गई घोर लापरवाही और उदासीनता के चलते गरियाबंद कलेक्टर श्री बी.एस. उइके ने एक बड़ी कार्रवाई करते हुए तीन जनपद सीईओ को कारण बताओ नोटिस जारी किए हैं। यह कदम योजना के तहत हितग्राहियों को लाभान्वित करने में आ रही अड़चनों को दूर करने और जवाबदेही तय करने के उद्देश्य से उठाया गया है। कलेक्टर लगातार इस महत्वाकांक्षी योजना की समीक्षा कर रहे हैं और स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि इसमें किसी भी प्रकार की कोताही बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
देवभोग, छुरा और फिंगेश्वर के सीईओ निशाने पर
जिन जनपद सीईओ को नोटिस जारी किया गया है, उनमें देवभोग के श्री रवि सोनवानी, छुरा के श्री सतीश चन्द्रवंशी और फिंगेश्वर के श्री स्वप्निल ध्रुव शामिल हैं। इन सभी पर पीएम आवास योजना के क्रियान्वयन में गंभीर अनियमितताएं पाए जाने का आरोप है।
देवभोग सीईओ पर 'बोगस जीओ टैगिंग' का आरोप
देवभोग के सीईओ श्री रवि सोनवानी पर प्रधानमंत्री आवास योजना की गंभीरतापूर्वक मॉनिटरिंग नहीं करने का आरोप है। इसी लापरवाही के कारण उनके संज्ञान में बोगस जीओ टैगिंग का मामला आया। नोटिस में स्पष्ट किया गया है कि उन्होंने अपने कर्तव्यों का निर्वहन कर्तव्यनिष्ठा के साथ नहीं किया, जिसके परिणामस्वरूप यह गंभीर अनियमितता सामने आई।
छुरा सीईओ पर अवैध वसूली की शिकायत और मॉनिटरिंग में कमी
जनपद छुरा के सीईओ श्री सतीश चन्द्रवंशी को पीएम आवास योजना 2.0 के सर्वेक्षण के दौरान मॉनिटरिंग में कमी पाए जाने के कारण नोटिस जारी किया गया है। उनकी इस कमी के चलते ग्राम पंचायत सोरिदखुर्द में पीएम आवास के तहत अवैध वसूली की शिकायत प्राप्त हुई थी, जो कि योजना की पारदर्शिता और लाभार्थियों तक सही लाभ पहुंचाने के प्रयासों को बाधित करती है।
फिंगेश्वर सीईओ पर कूटरचित प्रतिवेदन और उदासीनता
जनपद पंचायत फिंगेश्वर के सीईओ श्री स्वप्निल ध्रुव को पीएम आवास अंतर्गत कूटरचना युक्त प्रतिवेदन प्रस्तुत करने पर नोटिस दिया गया है। ग्रामीणों द्वारा ग्राम पंचायत बरभाठा के सचिव श्री चेमन साहू एवं रोजगार सहायक श्री हेमंत निषाद के खिलाफ शिकायत की गई थी। आरोप था कि उन्होंने पीएम आवास के तहत जॉब कार्ड में कूटरचना करते हुए अन्य व्यक्तियों के नाम पर आवास स्वीकृत किए थे। कलेक्टर द्वारा इस शिकायत की जांच का जिम्मा सीईओ फिंगेश्वर को दिया गया था, किंतु उनके द्वारा आधी-अधूरी जांच करते हुए अस्पष्ट प्रतिवेदन प्रस्तुत किया गया। इसके कारण शिकायत का समय पर निराकरण नहीं हो सका। सीईओ ने अस्पष्ट प्रतिवेदन के साथ सचिव एवं रोजगार सहायक का अन्यत्र स्थानांतरण का प्रस्ताव भी दिया, जो उनके कार्यों के प्रति उदासीनता, स्वेच्छाचारिता एवं वरिष्ठ अधिकारियों के आदेश की अवहेलना को दर्शाता है।
कलेक्टर का कड़ा संदेश
कलेक्टर श्री बी.एस. उइके की यह कड़ी कार्रवाई स्पष्ट संदेश देती है कि प्रधानमंत्री आवास योजना जैसी जनहितकारी योजनाओं में किसी भी स्तर पर लापरवाही या भ्रष्टाचार को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। यह सुनिश्चित करना प्रशासन की प्राथमिकता है कि योजना का लाभ वास्तविक हितग्राहियों तक पहुंचे और इसमें किसी भी प्रकार की अनियमितता या धांधली न हो। इन सीईओ से अब निर्धारित समय-सीमा के भीतर अपने-अपने जवाब प्रस्तुत करने को कहा गया है, जिसके बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी। यह घटना यह भी दर्शाती है कि शासन मैदानी स्तर पर योजनाओं के क्रियान्वयन पर कड़ी नजर रख रहा है और जवाबदेही तय करने में पीछे नहीं हटेगा।