खुशखबरी: क्रूड ऑयल की नरमी से आम आदमी को मिल सकती है राहत, पेट्रोल-डीजल के दाम घटने के आसार aasar Aajtak24 News


खुशखबरी: क्रूड ऑयल की नरमी से आम आदमी को मिल सकती है राहत, पेट्रोल-डीजल के दाम घटने के आसार aasar Aajtak24 News

नई दिल्ली - महंगाई की मार झेल रहे आम आदमी के लिए एक बड़ी खुशखबरी सामने आ सकती है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल (क्रूड ऑयल) की कीमतों में लगातार आ रही गिरावट के संकेत भारतीय उपभोक्ताओं के लिए राहत की फुहार लेकर आ सकते हैं। प्रतिष्ठित रेटिंग एजेंसी इक्रा (ICRA) ने एक आशावादी रिपोर्ट जारी करते हुए अनुमान जताया है कि यदि वैश्विक स्तर पर तेल की कीमतें स्थिर बनी रहती हैं, तो भारत को तेल और गैस के आयात पर लगभग ₹1.8 लाख करोड़ की भारी बचत हो सकती है, जिसका सीधा और सकारात्मक असर देश के पेट्रोल और डीजल के दामों पर देखने को मिल सकता है।

भारत, जो कि दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा तेल आयातक देश है, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर तेल की कीमतों में होने वाली किसी भी प्रकार की गिरावट के प्रति संवेदनशील रहता है। इक्रा की नवीनतम रिपोर्ट के अनुसार, वित्त वर्ष 2025-26 के दौरान यदि कच्चे तेल की औसत कीमत 60 से 70 डॉलर प्रति बैरल के दायरे में बनी रहती है, तो भारत को कच्चे तेल के आयात पर एक अनुमानित ₹1.8 लाख करोड़ और तरलीकृत प्राकृतिक गैस (LNG) के आयात पर अतिरिक्त ₹6,000 करोड़ की महत्वपूर्ण बचत होने की प्रबल संभावना है। यह कुल बचत भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए एक बड़ा बूस्ट साबित हो सकती है और इसका लाभ अंततः आम नागरिकों को पेट्रोल और डीजल की कीमतों में कमी के रूप में मिल सकता है।

गौरतलब है कि हाल के दिनों में अंतरराष्ट्रीय तेल बाजार में अभूतपूर्व नरमी देखी गई है। इस हफ्ते तो कीमतें चार साल के निचले स्तर, 60.23 डॉलर प्रति बैरल तक लुढ़क गईं थीं। वर्तमान परिदृश्य की बात करें तो वेस्ट टेक्सास इंटरमीडिएट (WTI) क्रूड लगभग 58.45 डॉलर प्रति बैरल और ब्रेंट क्रूड लगभग 61.45 डॉलर प्रति बैरल के आसपास कारोबार कर रहा है। यह कीमतें मार्च 2024 में दर्ज की गई कीमतों से लगभग 20 डॉलर प्रति बैरल तक कम हैं। मार्च 2024 में जब कीमतों में थोड़ी नरमी आई थी, तब भारत में पेट्रोल और डीजल के दामों में मामूली ₹2 प्रति लीटर की कटौती की गई थी। अब, कीमतों में और अधिक गिरावट के स्पष्ट संकेत मिलने से उपभोक्ताओं को काफी हद तक राहत मिलने की प्रबल उम्मीद है।

कच्चे तेल की कीमतों में इस गिरावट का प्रभाव केवल उपभोक्ताओं तक ही सीमित नहीं रहेगा। तेल विपणन कंपनियों, जैसे कि पेट्रोल पंपों, को भी इससे फायदा होने की उम्मीद है, क्योंकि उनकी लागत कम होगी और वे बेहतर मुनाफा कमा सकेंगे। दूसरी ओर, घरेलू स्तर पर कच्चे तेल का उत्पादन करने वाली कंपनियों के मुनाफे में लगभग ₹25,000 करोड़ तक की कमी आ सकती है, हालांकि इक्रा का मानना है कि इस कमी का उनके भविष्य के निवेश योजनाओं पर कोई महत्वपूर्ण नकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ेगा। इसके अतिरिक्त, सरकार द्वारा नियंत्रित रसोई गैस (LPG) की कीमतों में भी कमी आने से तेल कंपनियों को इस मद में होने वाले वित्तीय नुकसान को कम करने में सहायता मिलेगी।

हालांकि, इस पूरे परिदृश्य में रिफाइनरियों को कुछ चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है, क्योंकि उनके पास पहले से ही उच्च कीमतों पर खरीदा गया कच्चा तेल का भंडार मौजूद हो सकता है। इसके अलावा, यह भी संभावना जताई जा रही है कि सरकार इस अप्रत्याशित बचत का उपयोग पेट्रोल और डीजल पर लगने वाले करों को बढ़ाने के लिए कर सकती है, ताकि राजस्व में वृद्धि की जा सके। बहरहाल, कुल मिलाकर देखा जाए तो अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में आई यह नरमी भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए एक सकारात्मक और स्वागत योग्य कदम है, जिससे देश का आयात बिल काफी हद तक कम होगा और समग्र आर्थिक स्थिरता को बढ़ावा मिलेगा। अब यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि सरकार और तेल कंपनियां इस अवसर का उपयोग आम आदमी को कितनी राहत पहुंचाती हैं।

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