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चिराग पासवान का विधानसभा चुनाव लड़ने का संकेत: बिहार की सियासत में हलचल तेज tej Aajtak24 News |
नई दिल्ली/पटना - लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के राष्ट्रीय अध्यक्ष और केंद्रीय खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्री चिराग पासवान ने एक बार फिर बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में हिस्सा लेने की इच्छा जताकर राज्य की राजनीति में बड़ा संकेत दे दिया है। इस बयान के बाद न सिर्फ एनडीए गठबंधन में संभावित सियासी समीकरणों को लेकर चर्चा तेज हो गई है, बल्कि यह सवाल भी उठने लगे हैं कि क्या चिराग अब संसद से इस्तीफा देकर पूरी तरह बिहार की राजनीति में सक्रिय होने जा रहे हैं?
बिहार मेरी प्राथमिकता: चिराग
गुरुवार को मीडिया से बात करते हुए चिराग पासवान ने स्पष्ट शब्दों में कहा, "मैं विधानसभा चुनाव लड़ना चाहता हूं। मेरी प्राथमिकता बिहार है। 'बिहार फर्स्ट, बिहारी फर्स्ट' मेरी राजनीति का मूल मंत्र है। मैंने शुरू से यह बात कही है कि मेरा राजनीति में आने का कारण बिहार और यहां के लोग हैं। उन्होंने कहा कि वह केंद्र की राजनीति से अधिक खुद को राज्य की राजनीति में सहज महसूस करते हैं। यह पहला अवसर नहीं है जब चिराग ने बिहार की ओर लौटने की इच्छा जताई है। इससे पहले भी एक साक्षात्कार में उन्होंने कहा था कि वह 2030 के विधानसभा चुनाव में उतर सकते हैं, लेकिन अब उन्होंने संकेत दिए हैं कि यह कदम वे इस साल ही उठा सकते हैं।
पार्टी के अंदर भी उठी मांग
लोजपा (रामविलास) के जमुई से सांसद और चिराग के बहनोई अरुण भारती ने भी हाल ही में कहा कि पार्टी कार्यकर्ताओं और समर्थकों की भावना है कि चिराग बिहार में कोई बड़ी जिम्मेदारी लें और विधानसभा चुनाव लड़ें। उनके अनुसार, "अगर पार्टी और गठबंधन उन्हें कोई बड़ी जिम्मेदारी देता है तो चिराग चुनाव लड़ सकते हैं।" हालांकि, वह जिम्मेदारी क्या होगी, इस पर उन्होंने स्पष्ट कुछ नहीं कहा। बीते रविवार को पटना में पार्टी की युवा कार्यकारिणी की बैठक में एक प्रस्ताव पारित किया गया जिसमें चिराग पासवान को आगामी विधानसभा चुनाव में उतारने की मांग की गई। इससे साफ है कि पार्टी के भीतर इस मुद्दे पर सहमति बन रही है।
कहां से लड़ सकते हैं चुनाव?
हालांकि चिराग पासवान फिलहाल हाजीपुर से लोकसभा सांसद हैं, लेकिन यदि वह विधानसभा चुनाव लड़ते हैं तो उन्हें किसी सुरक्षित सीट की जरूरत होगी। सूत्रों के अनुसार, पार्टी उन्हें समस्तीपुर, मोहनिया, कल्याणपुर जैसी आरक्षित (SC) सीटों से मैदान में उतार सकती है। इन सीटों पर पार्टी की पकड़ भी है और संगठनात्मक नेटवर्क भी मजबूत है। चिराग को उनकी पार्टी के नेता और कार्यकर्ता अक्सर मुख्यमंत्री पद के संभावित उम्मीदवार के रूप में प्रस्तुत करते आए हैं। हालांकि एनडीए में नीतीश कुमार को पहले ही मुख्यमंत्री पद का चेहरा घोषित किया जा चुका है, लेकिन चिराग की संभावित दावेदारी गठबंधन के भीतर भविष्य की राजनीति को लेकर नई संभावनाओं का संकेत देती है।
रणनीति का हिस्सा या सच्ची इच्छा?
राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि चिराग पासवान का चुनाव लड़ने की इच्छा जताना केवल व्यक्तिगत आकांक्षा नहीं, बल्कि एक बड़ी रणनीति का हिस्सा हो सकता है। वर्तमान में एनडीए में सीट शेयरिंग को लेकर बातचीत की तैयारी चल रही है। एलजेपी-रामविलास ने 40 सीटों पर दावा ठोका है, जबकि भाजपा और जदयू उन्हें लगभग 25-30 सीटें देने के पक्ष में हैं। ऐसे में चिराग का विधानसभा चुनाव लड़ने की इच्छा जताना उनकी पार्टी की सीटों की संख्या बढ़ाने की रणनीति का हिस्सा हो सकता है। इससे वह खुद को एक गंभीर और ज़मीनी नेता के रूप में पेश कर पाएंगे और गठबंधन के भीतर अपनी पार्टी की ताकत को रेखांकित कर पाएंगे।
सियासी पारा चढ़ा, विपक्ष की नजर
चिराग पासवान के इस बयान से बिहार की सियासत में गर्माहट बढ़ गई है। आरजेडी और कांग्रेस जैसी विपक्षी पार्टियां अब यह सवाल उठा रही हैं कि क्या एनडीए के भीतर नेतृत्व को लेकर भ्रम की स्थिति है? अगर मुख्यमंत्री पद पर नीतीश कुमार पहले से घोषित हैं तो फिर चिराग की भूमिका क्या होगी? वहीं एनडीए के अंदरूनी सूत्र यह भी संकेत दे रहे हैं कि चिराग को राज्य में कोई महत्वपूर्ण जिम्मेदारी देकर उन्हें भविष्य के मुख्यमंत्री पद के लिए तैयार किया जा सकता है, हालांकि फिलहाल उनकी भूमिका संगठनात्मक मजबूती तक सीमित रखी जाएगी।
चिराग पासवान का विधानसभा चुनाव लड़ने की इच्छा जताना केवल एक व्यक्तिगत बयान नहीं है, बल्कि यह बिहार की आगामी सियासत का संकेतक है। उनके इस कदम से न सिर्फ एनडीए में समीकरण बदल सकते हैं, बल्कि यह राज्य की राजनीति में एक नई धारा की शुरुआत भी हो सकती है। अब देखना यह है कि क्या चिराग अपने इरादे को धरातल पर उतारते हैं या यह केवल सीट शेयरिंग की राजनीतिक बिसात का हिस्सा था।