नईगढ़ी थाना प्रभारी के खिलाफ पत्रकारों का आमरण अनशन चौथे दिन में, प्रशासन की निष्क्रियता पर उठे सवाल sawal Aajtak24 News


नईगढ़ी थाना प्रभारी के खिलाफ पत्रकारों का आमरण अनशन चौथे दिन में, प्रशासन की निष्क्रियता पर उठे सवाल sawal Aajtak24 News 

रीवा /मऊगंज - जिले के नईगढ़ी थाना प्रभारी जगदीश ठाकुर के खिलाफ स्थानीय पत्रकारों का आमरण अनशन गुरुवार को चौथे दिन में प्रवेश कर गया है। कलेक्ट्रेट परिसर में जारी इस अनशन में अब तक कोई ठोस परिणाम नहीं निकला है। प्रशासन की ओर से अनशन समाप्त करने के लिए लगातार प्रयास किए गए, लेकिन पत्रकार अपनी मांगों को लेकर अडिग हैं। मऊगंज प्रशासनिक तंत्र की निष्क्रियता और स्थानीय राजनीति में कथित दबाव के कारण इस मामले पर सवाल खड़े हो रहे हैं।

घटना का विवरण और पत्रकार की गिरफ्तारी

इस विवाद की शुरुआत तब हुई जब नईगढ़ी थाना प्रभारी जगदीश ठाकुर ने कथित रूप से पत्रकार मिथिलेश त्रिपाठी के साथ अभद्रता की। घटना मऊगंज कलेक्ट्रेट के पास हुई, जहां थाना प्रभारी ने पत्रकार को जबरन फिल्मी अंदाज में गिरफ्तार किया और थाने ले जाकर गाली-गलौज की। यह घटना उस समय हुई जब पत्रकार थाने के बाहर खड़ा था और प्रशासनिक कार्यों से जुड़े मुद्दों पर रिपोर्टिंग कर रहा था। गिरफ्तारी के बाद पुलिस द्वारा पत्रकार के साथ किए गए बर्ताव ने मीडिया जगत सहित आम जनमानस में रोष उत्पन्न कर दिया। पुलिस के इस अप्रत्याशित और अमानवीय व्यवहार को लेकर विरोध की आवाजें उठने लगीं। मऊगंज विधायक प्रदीप पटेल ने भी हस्तक्षेप किया, जिसके बाद पत्रकार को थाने से छोड़ा गया। हालांकि, इस पूरे मामले ने पत्रकार बिरादरी को झकझोर दिया और यह मुद्दा गंभीर रूप से उभरकर सामने आया।

पत्रकारों की मुख्य मांगें

पत्रकारों ने इस पूरी घटना के खिलाफ दो प्रमुख मांगें उठाई हैं:

  1. नईगढ़ी थाना प्रभारी जगदीश ठाकुर का तत्काल स्थानांतरण – पत्रकारों का आरोप है कि ठाकुर का व्यवहार पहले भी विवादित रहा है और ऐसे अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई आवश्यक है।

  2. पत्रकार के खिलाफ दर्ज फर्जी प्रकरण की वापसी – पत्रकारों का कहना है कि उनके खिलाफ झूठे आरोप लगाए गए हैं, और इसे तुरंत वापस लिया जाना चाहिए।

प्रशासन की निष्क्रियता

चार दिन से जारी इस आमरण अनशन पर प्रशासन का रवैया पूरी तरह से निष्क्रिय रहा है। तहसीलदार सौरभ मरावी, मऊगंज थाना प्रभारी राजेश पटेल और अन्य प्रशासनिक अधिकारियों ने अनशनकारियों से बातचीत की और समझाइश देने की कोशिश की। हालांकि, पत्रकारों ने इन सभी समझाइशों को ठुकराते हुए जूस तक ग्रहण करने से मना कर दिया। उनका कहना है कि जब तक उनकी मांगों को गंभीरता से नहीं लिया जाएगा, तब तक उनका अनशन जारी रहेगा।

प्रशासनिक दबाव और राजनीतिक हस्तक्षेप

स्थानीय पत्रकारों का यह आरोप भी है कि नईगढ़ी थाना प्रभारी को सत्ताधारी दल के एक प्रभावशाली नेता का संरक्षण प्राप्त है। यह भी चर्चा में है कि यह घटना केवल एक साधारण विवाद नहीं है, बल्कि इसे राजनीतिक दबाव और प्रशासनिक असंवेदनशीलता से जोड़कर देखा जा रहा है। पत्रकार बिरादरी का कहना है कि अगर थाना प्रभारी के खिलाफ कार्रवाई की जाती है, तो प्रशासन और सरकार की छवि पर असर पड़ेगा, और यह स्थिति सत्ताधारी दल के लिए भी परेशानी का सबब बन सकती है।

विधायक प्रदीप पटेल का समर्थन

मऊगंज विधायक प्रदीप पटेल शुरू से ही पत्रकारों के साथ खड़े रहे हैं और उन्होंने उनकी मांगों का समर्थन किया है। लेकिन प्रशासन की ओर से अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया, जिससे यह सवाल उठता है कि क्या प्रशासन पत्रकारों की जायज मांगों को हल्के में ले रहा है या किसी दबाव में काम कर रहा है। विधायक पटेल का आरोप है कि प्रशासन को अब जल्द से जल्द इस मामले में ठोस कदम उठाने चाहिए, ताकि पत्रकारों का विश्वास प्रशासन पर बना रहे।

लोकतंत्र और पत्रकारिता का संकट

यह घटना लोकतंत्र और पत्रकारिता की स्वतंत्रता पर भी सवाल उठाती है। पत्रकारों को अपनी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का सही तरीके से उपयोग करने का अधिकार है, और यदि किसी पत्रकार को इस तरह की स्थिति का सामना करना पड़े, तो यह लोकतंत्र के चौथे स्तंभ के लिए चिंता का विषय बन जाता है। पत्रकारों का कहना है कि यदि प्रशासन जल्द कार्रवाई नहीं करता है, तो यह पूरे तंत्र की निष्क्रियता और अनदेखी को दर्शाता है। पत्रकारों का यह आंदोलन केवल एक व्यक्ति के खिलाफ नहीं, बल्कि एक समग्र व्यवस्था की असफलता और लोकतंत्र की रक्षा के लिए है।

प्रशासन की भूमिका और भविष्य

यदि प्रशासन शीघ्र निर्णय नहीं लेता, तो यह मामला राज्य स्तर पर और अधिक तूल पकड़ सकता है। प्रशासन को मामले की गंभीरता को समझते हुए निष्पक्ष जांच करवानी चाहिए और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए। साथ ही, पत्रकारों की जायज मांगों पर शीघ्र निर्णय लिया जाए ताकि जिले में व्याप्त असंतोष का समाधान हो सके। अगर प्रशासन अब भी निष्क्रिय रहता है, तो यह न केवल प्रशासन की कार्यप्रणाली को सवालों के घेरे में डालेगा, बल्कि जनता का विश्वास भी टूट सकता है। ऐसे में, समय रहते ठोस कदम उठाना अत्यंत आवश्यक है। यह पूरा मामला प्रशासन की निष्क्रियता, पत्रकारों की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हमले और राजनीतिक दबाव के बीच का संघर्ष बनकर उभरा है। मऊगंज जिले में प्रशासन को जल्द से जल्द ठोस कदम उठाने चाहिए ताकि इस मामले का समाधान हो सके और लोकतंत्र की रक्षा हो सके।




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