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ओवैसी ने दिखाई पाकिस्तान को औकात: आतंकियों को दी खुली चुनौती, भारतीय मुसलमानों को बताया असली राष्ट्रभक्त rashtrabhakt Aajtak24 News |
नई दिल्ली - पहलगाम आतंकी हमले" ने न केवल देश को झकझोर कर रख दिया, बल्कि राजनीति और समाज के हर वर्ग को गहरी प्रतिक्रिया देने पर मजबूर कर दिया। इस भीषण घटना में जब निर्दोष पर्यटकों को बर्बरता से मारा गया, तब पूरे भारत में आक्रोश की लहर दौड़ गई। ऐसे समय में कई राजनीतिक नेता या तो चुप्पी साधे रहे या नरम बयानों से काम चलाते दिखे, लेकिन हैदराबाद से सांसद और AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी का रुख सबसे अलग, तीखा और राष्ट्रवादी रहा। ओवैसी, जिन्हें अक्सर मुस्लिम राजनीति के केंद्रबिंदु के रूप में देखा जाता है, इस बार न केवल आतंकियों को ‘हरामजादे’, ‘कमीने’ कहकर खुली चुनौती दी, बल्कि पाकिस्तान को भी उसकी औकात याद दिला दी। उन्होंने साफ शब्दों में कहा कि भारत का मुसलमान न पाकिस्तान से जुड़ा है, न ही किसी आतंकी सोच से। संसद से लेकर रैलियों तक, और मीडिया के मंचों पर उन्होंने पाकिस्तान की बयानबाजी का करारा जवाब दिया। इस घटना ने ओवैसी की छवि को केवल एक मुस्लिम नेता से ऊपर उठाकर एक राष्ट्रवादी नेता के रूप में स्थापित किया, जो आतंकवाद और पाकिस्तान पर किसी भी धर्म या विचारधारा से ऊपर उठकर बोलने का साहस रखता है।
आतंकियों को दी गालियां, पाकिस्तान को बताया कायर
हमले के ठीक बाद ओवैसी ने बयान दिया— "ये कमीने, कुत्ते, हरामजादे निर्दोष लोगों को धर्म पूछकर मार रहे थे। वहां सीआरपीएफ कैंप नहीं था। क्विक रिएक्शन टीम एक घंटे बाद पहुंची।"
ओवैसी ने लश्कर-ए-तैयबा को “पाकिस्तान की नाजायज़ औलाद” बताया और पाकिस्तान सरकार पर सीधे आतंकियों को पालने का आरोप लगाया।
अकेले मुस्लिम नेता जो पाकिस्तान के खिलाफ खड़े हुए
जहाँ कुछ मुस्लिम और कांग्रेस नेता नरम रुख दिखा रहे थे, जैसे मणिशंकर अय्यर और सैफुद्दीन सोज, वहीं ओवैसी ने खुलकर पाकिस्तान का विरोध किया। इस दौर में वे एकमात्र ऐसे मुसलमान नेता हैं, जिन्होंने साफ किया कि भारत का मुसलमान पाकिस्तान से नहीं जुड़ा है। उन्होंने भारत में हिंदू-मुसलमान को बांटने की पाकिस्तानी कोशिश को नाकाम करने का काम किया।
सर्वदलीय बैठक में अमित शाह से बातचीत
हमले के दो दिन बाद जब केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने सर्वदलीय बैठक बुलाई, तो उन्होंने ओवैसी को खुद फोन करके आमंत्रित किया। ओवैसी ने बिना किसी देरी के तुरंत दिल्ली रवाना होकर बैठक में भाग लिया। वहां उन्होंने पाकिस्तान के खिलाफ ठोस कार्रवाई के समर्थन में अपनी बात रखी। बैठक के बाद केंद्र सरकार ने सिंधु जल समझौते की समीक्षा और पाकिस्तानी नागरिकों के वीजा रद्द करने जैसे सख्त कदम उठाए।
महाराष्ट्र की रैली में फिर पाकिस्तान को घेरा
इसके बाद ओवैसी महाराष्ट्र के छत्रपति संभाजीनगर पहुंचे, जहां वक्फ संशोधन विधेयक के विरोध में एक बड़ी रैली थी। वहां उन्होंने एक बार फिर पाकिस्तान को निशाने पर लिया। उन्होंने कहा—
"पाकिस्तान परमाणु बम की धमकी देता है, लेकिन उन्हें पता होना चाहिए कि भारत का रक्षा बजट उनके पूरे देश से ज्यादा है। तुम 30 साल पीछे हो। हमारे देश में आकर टूरिस्ट का धर्म पूछकर मारना तुम्हारे लिए अब बहुत भारी पड़ेगा।"
बिलावल और अफरीदी को दी सीधी चेतावनी
ओवैसी ने पाकिस्तान के पूर्व विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो और क्रिकेटर शाहिद अफरीदी को भी आड़े हाथों लिया। बिलावल के “दरिया में खून बहा देंगे” वाले बयान पर उन्होंने कहा—
"बचपन की बातें मत करो। तुम्हारी मां को तुम्हारे ही आतंकियों ने मारा। अगर हमारी मां-बहनों को मारा जाए तो क्या वो आतंकवाद नहीं है?"
शाहिद अफरीदी की टिप्पणी पर तो उन्होंने कहा—
"ये जोकर कौन है? इसका नाम मेरे सामने मत लाओ। ये बस यूं ही पाकिस्तान में बयानबाजी करने वाले लोग हैं।"
भारतीय मुसलमानों को बताया राष्ट्रवादी
ओवैसी का यह स्पष्ट संदेश रहा कि भारतीय मुसलमान पाकिस्तान या उसके एजेंडे का हिस्सा नहीं हैं। उन्होंने मुंबई की एक पुरानी सभा का भी हवाला दिया, जिसमें उन्होंने कहा था—
"हमें जिन्ना के द्वि-राष्ट्र सिद्धांत की कोई ज़रूरत नहीं। हमने 1947 में पाकिस्तान बनने से इनकार किया था और आज भी हम उसी फैसले पर कायम हैं।"
विपक्ष और सत्ता दोनों को दिया संकेत
ओवैसी के इस तेवर ने बीजेपी समर्थकों को भी चौंकाया और विपक्ष के मुस्लिम तुष्टिकरण के एजेंडे पर भी सवाल खड़े किए। कई विश्लेषकों का मानना है कि ओवैसी अब केवल मुस्लिम राजनीति नहीं बल्कि राष्ट्रवादी मुस्लिम नेतृत्व का चेहरा बनने की ओर बढ़ रहे हैं।
पहलगाम हमले के बाद असदुद्दीन ओवैसी के तेवर और बयानों ने यह स्पष्ट कर दिया कि आतंक के खिलाफ लड़ाई में भारतीय मुसलमान भी भारत के साथ हैं। ओवैसी की जुबान में गुस्सा था, लेकिन साथ ही राष्ट्र के प्रति प्रतिबद्धता और अपने समुदाय की सही तस्वीर पेश करने का साहस भी था। पाकिस्तान और आतंक के खिलाफ यह स्पष्ट और जोरदार रुख उनके राजनीतिक भविष्य की नई दिशा भी तय कर सकता है।