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वीर सावरकर पर टिप्पणी मामले में राहुल गांधी को सुप्रीम कोर्ट की सख्त फटकार, कहा - स्वतंत्रता सेनानियों का मजाक न उड़ाएं Aajtak24 News |
नई दिल्ली - स्वतंत्रता सेनानी वीर सावरकर पर की गई विवादित टिप्पणी के मामले में कांग्रेस नेता राहुल गांधी को सुप्रीम कोर्ट से सख्त फटकार मिली है। शुक्रवार को हुई सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने राहुल गांधी को नसीहत देते हुए कहा कि स्वतंत्रता सेनानियों के प्रति ऐसी गैरजिम्मेदाराना टिप्पणियों से बचना चाहिए। बेंच ने यहां तक कह दिया कि भविष्य में अगर इस तरह की टिप्पणी फिर दोहराई गई, तो अदालत स्वतः संज्ञान लेकर कार्रवाई भी कर सकती है।
अदालत ने बताया सावरकर का योगदान
सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने स्पष्ट रूप से कहा कि वीर सावरकर जैसे स्वतंत्रता सेनानियों ने देश को आजादी दिलाने में अहम भूमिका निभाई है, और उनका इस तरह मजाक उड़ाना बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है। अदालत ने कहा कि, “राहुल गांधी जैसे वरिष्ठ नेता को सार्वजनिक मंचों पर बोलते समय संयम बरतना चाहिए। आपको यह याद रखना चाहिए कि ये वही लोग हैं जिन्होंने हमें आजादी दिलाई।”
अदालत ने गांधी का उदाहरण भी दिया
सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने राहुल गांधी के वकील अभिषेक मनु सिंघवी से पूछा, “क्या राहुल गांधी को यह मालूम है कि महात्मा गांधी ने भी अंग्रेजों से पत्राचार में कई बार खुद को ‘आपका वफादार सेवक’ कहा था?” बेंच ने यह बात सावरकर को अंग्रेजों का नौकर कहे जाने की टिप्पणी के जवाब में कही।
राहुल गांधी को राहत भी, पर चेतावनी के साथ
हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने राहुल गांधी को तत्काल राहत देते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट द्वारा जारी समन पर रोक जरूर लगा दी है, लेकिन टिप्पणी को लेकर अदालत का रुख बेहद कड़ा रहा। कोर्ट ने इस मामले में उत्तर प्रदेश सरकार को नोटिस भी जारी किया है और कहा है कि इस पूरे मामले में अदालत निष्पक्ष रूप से सभी तथ्यों की समीक्षा करेगी।
2022 के विवाद की पृष्ठभूमि
यह पूरा मामला वर्ष 2022 का है, जब राहुल गांधी ने अपनी ‘भारत जोड़ो यात्रा’ के दौरान महाराष्ट्र के अकोला में एक जनसभा को संबोधित करते हुए वीर सावरकर पर विवादित टिप्पणी की थी। उन्होंने सावरकर की एक चिट्ठी का हवाला देते हुए कहा था कि “सावरकर ने अंग्रेजों से माफी मांगी और उनके नौकर बने।” राहुल गांधी ने आगे कहा था कि “गांधी-नेहरू ने माफी नहीं मांगी, इसलिए वे सालों तक जेल में रहे। इस बयान के बाद देशभर में तीखी प्रतिक्रियाएं सामने आईं, और कई संगठनों ने इसे वीर सावरकर के सम्मान को ठेस पहुंचाने वाला करार दिया। बाद में एक अधिवक्ता ने राहुल गांधी के खिलाफ मानहानि का मुकदमा भी दायर कर दिया।
सुप्रीम कोर्ट की इस टिप्पणी से यह स्पष्ट है कि भारत की न्यायपालिका देश के स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों की गरिमा को लेकर बेहद सजग है। अदालत का यह कहना कि “इतिहास के महानायकों का मजाक नहीं बनाया जाना चाहिए” न केवल राजनीतिक नेताओं के लिए चेतावनी है, बल्कि यह आम नागरिकों के लिए भी एक संदेश है कि इतिहास के साथ सतर्कता और सम्मान के साथ पेश आना चाहिए।