बर्खास्तगी की तलवार के साये में 723 ITI प्रशिक्षण अधिकारी: कर्मचारी संघ ने मुख्यमंत्री को सौंपा 5 सूत्रीय मांग पत्र patra Aajtak24 News


बर्खास्तगी की तलवार के साये में 723 ITI प्रशिक्षण अधिकारी: कर्मचारी संघ ने मुख्यमंत्री को सौंपा 5 सूत्रीय मांग पत्र patra Aajtak24 News 

रायपुर - राजधानी रायपुर में आज छत्तीसगढ़ की तकनीकी शिक्षा व्यवस्था से जुड़ा एक अहम मुद्दा सामने आया, जब छत्तीसगढ़ आईटीआई कर्मचारी अधिकारी संघ ने कलेक्टर रायपुर के माध्यम से मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय और तकनीकी शिक्षा मंत्री श्री विजय शर्मा को एक ज्ञापन सौंपा। ज्ञापन में शासकीय औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों (आईटीआई) में कार्यरत 723 नियमित प्रशिक्षण अधिकारियों की पांच महत्वपूर्ण मांगों को तत्काल सुलझाने की अपील की गई है।

यह पूरा विवाद रोस्टर प्रणाली के पालन को लेकर उठे विवाद और उसके चलते जारी शो-कॉज नोटिस के बाद शुरू हुआ। संघ के अनुसार, इन अधिकारियों को विभाग द्वारा रोस्टर पालन में कथित चूक के आधार पर नौकरी से बर्खास्त करने की मंशा से पहले नोटिस थमाया गया था। हालांकि, यह नोटिस भारत के सर्वोच्च न्यायालय में दायर विशेष अनुमति याचिका (SLP डायरी नंबर 6974/2024) दिनांक 31 जनवरी 2025 को खारिज कर दिया गया था।

फिर भी, कर्मचारियों का आरोप है कि विभाग द्वारा इसी विषय को आधार बनाकर उन्हें दोबारा आरोप पत्र भेजे जा रहे हैं, जिससे 723 प्रशिक्षण अधिकारियों में भारी रोष और मानसिक तनाव फैल गया है। संघ का कहना है कि यह न केवल न्यायालय की भावना के विरुद्ध है, बल्कि कर्मचारियों के भविष्य के साथ भी क्रूर मजाक है।

कर्मचारियों की पांच प्रमुख मांगे:

  1. रोस्टर प्रणाली की स्पष्ट और पारदर्शी प्रक्रिया अपनाई जाए, जिससे पूर्व की तरह भ्रम की स्थिति उत्पन्न न हो।

  2. पूर्व में दिए गए सभी आरोप पत्रों को निरस्त किया जाए, क्योंकि यह सर्वोच्च न्यायालय में खारिज हो चुका मामला है।

  3. नए आरोप पत्र जारी करने की प्रक्रिया तत्काल प्रभाव से बंद की जाए, जिससे कर्मचारियों में व्याप्त मानसिक दबाव कम हो।

  4. समस्त प्रशिक्षण अधिकारियों को सेवा सुरक्षा प्रदान की जाए, ताकि भविष्य में कोई भी मनमाना कार्रवाई न हो सके।

  5. एक स्थायी और निष्पक्ष नीति बनाई जाए, जिससे भविष्य में रोस्टर से संबंधित विवाद ही न उत्पन्न हो।

मानसिक उत्पीड़न और असुरक्षा का माहौल

संघ ने बताया कि बार-बार आरोप पत्र देकर न केवल कर्मचारियों को मानसिक रूप से परेशान किया जा रहा है, बल्कि उनके पारिवारिक जीवन पर भी इसका बुरा प्रभाव पड़ रहा है। कई अधिकारी अवसाद में हैं और अपने भविष्य को लेकर चिंतित हैं। संघ का यह भी आरोप है कि विभागीय उच्चाधिकारियों की कार्यशैली पक्षपातपूर्ण होती जा रही है और यह एक सुनियोजित साजिश प्रतीत होती है, जिसके अंतर्गत लंबे समय से कार्यरत अधिकारियों को हटाकर नए भर्ती रास्ते खोलने की योजना हो सकती है।

मुख्यमंत्री से न्याय की उम्मीद

ज्ञापन में मुख्यमंत्री से आग्रह किया गया है कि वे इस गंभीर मामले में व्यक्तिगत हस्तक्षेप कर अधिकारियों के भविष्य को सुरक्षित करें और विभाग को स्पष्ट दिशा-निर्देश दें ताकि अनावश्यक उत्पीड़न बंद हो। संघ ने यह भी चेतावनी दी है कि यदि आगामी समय में कोई ठोस कार्यवाही नहीं होती है, तो वे राज्यव्यापी आंदोलन के लिए बाध्य होंगे। आंदोलन के दौरान प्रदेश भर के ITI संस्थानों में प्रशिक्षण कार्य ठप हो सकता है, जिससे छात्र-छात्राओं की पढ़ाई पर गहरा असर पड़ेगा।

यह मामला केवल कर्मचारियों की नौकरी का ही नहीं, बल्कि प्रदेश की तकनीकी शिक्षा व्यवस्था की विश्वसनीयता और प्रशासनिक पारदर्शिता का भी है। यदि समय रहते इस विवाद का हल नहीं निकाला गया, तो यह छत्तीसगढ़ की तकनीकी शिक्षा प्रणाली के लिए एक बड़ा संकट बन सकता है। सरकार के लिए यह एक अवसर है कि वह न केवल कर्मचारियों का विश्वास जीते, बल्कि एक निष्पक्ष और न्यायोचित कार्यप्रणाली की मिसाल भी पेश करे।




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